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नेपाल में बनती हैं 2 साल की 'देवी मां'... जिनसे पीएम, राष्ट्रपति भी लेते हैं आशीर्वाद! ऐसे होता है चयन

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST
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नेपाल के हिंदु और बौद्ध धर्म के लोग हफ्ते भर इंद्र जात्रा उत्सव मनाते हैं. इस त्योहार में पूरे देश से एक छोटी बच्ची को चुना जाता है और उसे 'Living Goddess' यानी जीवित देवी का रूप दिया जाता है. इसके बाद सभी छोटी बच्ची को देवी मान उनकी पूजा करते हैं और उनसे आर्शीवाद लेते हैं. इस साल आर्यतारा शाक्य जीवित देवी बनी हैं. इस हिंदू त्योहार के दौरान मंगलवार को परिवार के सदस्यों द्वारा काठमांडू की एक गली में स्थित देवी चुनी गईं और फिर बच्ची को घर से मंदिर के महल में ले जाया गया.

Photo: AP
 

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आर्यतारा शाक्य की आयु 2 वर्ष और 8 महीने है. अब वे पुरानी देवी का स्थान लेंगी. परंपरा के अनुसार, पुरानी देवी को मासिक धर्म होने पर साधारण मनुष्य मान लिया जाता है. कुमारियों का चयन नेवार समुदाय के शाक्य कुलों से किया जाता है, जो काठमांडू घाटी के मूल निवासी हैं और हिंदू बहुल इस राष्ट्र में हिंदू और बौद्ध दोनों ही उन्हें पूजते हैं. लड़कियों का चयन 2 से 4 साल की उम्र के बीच किया जाता है और उनकी त्वचा, बाल, आंखें और दांत बेदाग़ होने चाहिए. उन्हें अंधेरे से डरना नहीं चाहिए. देवी वही बच्ची बनती है जिसे अंधेरे से डर नहीं लगता है.
 

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इस महीने की शुरुआत में इंद्र जात्रा उत्सव के दौरान, पूर्व देवी को एक रथ पर घुमाया जाता है जिसे भक्त खींचते हैं. देवी हमेशा लाल रंग के कपड़े पहनती हैं, अपने बालों में चोटी बांधती हैं और उनके माथे पर तीसरी आंख बनी होती है. इंद्र जात्रा एक हफ़्ते तक चलने वाला त्योहार है. यह कई बड़े त्योहारों की शुरुआत है, जिनमें दशहरा और दिवाली शामिल हैं.
 

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इस महीने की शुरुआत में इंद्र जात्रा उत्सव के दौरान, पूर्व देवी को एक रथ पर घुमाया जाता है जिसे भक्त खींचते हैं. देवी हमेशा लाल रंग के कपड़े पहनती हैं, अपने बालों में चोटी बांधती हैं और उनके माथे पर तीसरी आंख बनी होती है. इंद्र जात्रा एक हफ़्ते तक चलने वाला त्योहार है. यह कई बड़े त्योहारों की शुरुआत है, जिनमें दशईं और अक्टूबर में मनाया जाने वाला तिहार या दिवाली शामिल हैं.
 

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मंगलवार को दशहरा का आठवां दिन था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का 15 दिवसीय उत्सव है. लोगों ने अपने परिवारों के साथ जश्न मनाया और कार्यालय और स्कूल बंद रहे. परिवार, मित्रों और भक्तों ने नई कुमारी को काठमांडू की सड़कों पर घुमाया और मंदिर के प्रांगण में प्रवेश कराया, जो कई वर्षों तक उनका निवास रहेगा.
 

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भक्तों ने कतारों में खड़े होकर कन्याओं के चरण स्पर्श किए, जो इस हिमालयी राष्ट्र में हिंदुओं के बीच सम्मान का सर्वोच्च प्रतीक है और उन्हें फूल और धन भेंट किया. नई कुमारी गुरुवार को राष्ट्रपति सहित भक्तों को आशीर्वाद देंगी. देवी बनीं आर्यतारा के  पिता अनंत शाक्य ने कहा, 'कल तक वह मेरी बेटी थी, लेकिन आज वह देवी है.' उन्होंने कहा कि उसके जन्म से पहले ही उसके देवी बनने के संकेत मिल रहे थे. 'मेरी पत्नी ने गर्भावस्था के दौरान सपना देखा था कि वह एक देवी है और हमें पता था कि वह कोई बहुत खास इंसान बनने वाली है.'
 

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नेपाल की नवनियुक्त जीवित देवी कुमारी आर्यतारा शाक्य, काठमांडू स्थित अपने निजी आवास पर तस्वीरों के लिए पोज़ देते समय अपने पिता और माता की गोद में नजर आ रही हैं. पूर्व कुमारी तृष्णा शाक्य, जो अब 11 वर्ष की हैं, अपने परिवार और समर्थकों द्वारा ढोई गई पालकी पर पीछे के प्रवेश द्वार से रवाना हुईं. वह 2017 में जीवित देवी बनीं.

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इस प्रतिष्ठित पद के लिए अर्हता प्राप्त करने वाले शाक्य वंश के परिवार अपनी बेटियों के चयन के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. कुमारी का परिवार समाज और अपने कुल में एक ऊंचा स्थान प्राप्त करता है, लेकिन कुमारियां अकेला जीवन जीती हैं. उनके कुछ ही चुनिंदा साथी होते हैं और उन्हें साल में सिर्फ़ कुछ ही बार त्योहारों पर बाहर जाने की अनुमति होती है.
 

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पूर्व कुमारियों को सामान्य जीवन में ढलने, घर के काम सीखने और नियमित स्कूल जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. नेपाली लोककथाओं के अनुसार, जो पुरुष पूर्व कुमारियों से विवाह करते हैं उनकी मृत्यु कम उम्र में हो जाती है और इस वजह से कई लड़कियां अविवाहित रह जाती हैं.
 

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काठमांडू की रिटार्यड राजकुमारी तृष्णा शाक्य को नेपाल के काठमांडू में एक समारोह के दौरान पालकी में बिठाकर उनके घर वापस ले जाया गया.
पिछले कुछ वर्षों में, परंपरा में कई बदलाव हुए हैं और अब कुमारी को मंदिर के अंदर निजी शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त करने और यहां तक कि एक टेलीविजन सेट रखने की अनुमति है. सरकार अब सेवानिवृत्त कुमारियों को लगभग 110 डॉलर की एक छोटी मासिक पेंशन भी प्रदान करती है, जो सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से थोड़ा अधिक है. यह रकम भारतीय रुपये में लगभग 9 हजार रुपये हुई.

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