लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 15 जून की रात भारत और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प होने के बाद भारतीय सेना पूरी तरह सतर्क और तैयार है. चीन की किसी भी चालबाजी और विपरीत परिस्थितियों का जवाब देने के लिए भारत अपनी तैयारियों को और पुख्ता करने में जुटा हुआ है. इसी तैयारी का हिस्सा है रूस से जल्द से जल्द S400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम हासिल करना ताकि किसी भी दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.
इसी को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का रूस दौरा बेहद अहम माना जा रहा है. रूस जब भारत को हथियार बेच रहा है तो ये बात चीन को अच्छी नहीं लग रही. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली की ओर से एक फेसबुक पोस्ट डाली गई है जो हथियारों के इस सौदे के खिलाफ है.
अब जब भारत को S400 मिलेगा तो चीन की बेचैनी और बढ़ना तय है. S400 को दुनिया का सबसे शक्तिशाली मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है और इसमें भारत के दुश्मनों को बेदम करने की पूरी काबिलियत है. इसका पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है.
S400 एयरक्राफ्ट क्रूज मिसाइल और यहां तक कि एटमी मिसाइल को भी हवा में ही मारकर गिरा देगा. इसे दुनिया के सबसे खतरनाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम की उपाधि मिल चुकी है. इसकी ताकत का राज छिपा है इसमें लगीं तीन तकनीकों में.
S400 में तीन तकनीक एक साथ काम करती है. पहली तकनीक है मिसाइल लॉन्चर, दूसरी तकनीक है शक्तिशाली रेडार सिस्टम और तीसरी तकनीक है कमांड सेंटर. इसका रडार 600 किलोमीटर की दूरी तक अपने टारगेट को पहचान सकता है और एक साथ 100 से लेकर 300 टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है.
एस-400 में फिट मिसाइलें 400 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकती हैं. इसकी मारक क्षमता इतनी अचूक है कि ये एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है और हवा में उड़ते 36 टारगेट्स को एक समय में निशाना बना सकता है.
ये सिस्टम मिसाइल से लेकर ड्रोन तक से किये जाने वाले हमले को नाकाम कर सकता है. सिर्फ इतना ही नहीं एस-400 सिस्टम मिसाइल हमले की स्थिति में खुद एक्टिव होता है और दुश्मन की मिसाइल हो या लड़ाकू विमान हवा में ही उसे ध्वस्त कर सकता है.
S400 की टेस्टिंग बहुत कड़ी होती है. इसके एक एक पुर्ज़े को धूल, बारिश, ठंड हर तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. दुनिया में अभी तक ऐसा कोई फाइटर जेट नहीं है जो एस-400 की रडार से बच सके.
नाटो इस सिस्टम की दूर तक मार करने की क्षमता की वजह से इसे दुनिया का सबसे खतरनाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम मानता है. एस-400 की खूबियों और खासियतों की वजह से रक्षा विशेषज्ञ इसे भारत के एयर डिफेंस के लिए मील का पत्थर मानते हैं.
इसकी जरूरत भारतीय सेना काफी वक्त से महसूस कर रही है. अब राजनाथ सिंह ने अपनी यात्रा में S400 की डिलिवरी तेज़ करने को अपना प्रमुख एजेंडा बनाया है.उम्मीद है कि S400 के लिए भारतीय सेना का इंतजार खत्म होने वाला है.