भारतीय महिलाएं क्यों घूम रही हैं अकेले? सोलो ट्रैवलिंग में 135% की बढ़ोतरी

अकेले यात्रा करना अब महिलाओं के लिए नया ट्रेंड बन गया है. पिछले दो सालों में अकेली महिला यात्रियों की संख्या में 135% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे कई वजह है, जिनसे महिलाओं को स्वतंत्रता और आत्मविश्वास दोनों मिल रहे हैं.

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सुरक्षा और स्वतंत्रता के साथ निडर होकर सफर करती महिलाएं (Photo: Pexels) सुरक्षा और स्वतंत्रता के साथ निडर होकर सफर करती महिलाएं (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:15 AM IST

भारत में अकेले यात्रा करना अब सिर्फ एक ट्रेंड नहीं है, यह लोगों, ख़ासकर महिलाओं के लिए दुनिया घूमने का नया तरीका बन गया है. वैश्विक स्तर पर भी, आधी से ज़्यादा सोलो ट्रैवल सर्च अब महिलाएं ही कर रही हैं. यह उछाल सिर्फ़ आज़ादी के लिए नहीं है, बल्कि यह प्यार, दोस्ती और व्यक्तिगत विकास के नए द्वार खोल रहा है. 

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एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 से 2025 के बीच अकेली महिला यात्रियों की संख्या 90,700 से बढ़कर 2.13 लाख से ज्यादा हो गई है, यानी 135% की बढ़ोतरी. यह रुझान महिलाओं के बीच बढ़ते आत्मविश्वास, बेहतर सुरक्षा और स्वतंत्रता की निशानी है. खासकर 18 से 35 वर्ष की महिलाएं, जो अकेली यात्रा बुकिंग का 70% से अधिक हिस्सा रखती हैं. तो चलिए जानते हैं कि आख़िर क्या वजह है कि भारतीय महिलाएं अकेले सफ़र को इतनी तेज़ी से अपना रही हैं? 

यात्रा से कनेक्शन और रिश्तों की तलाश

यात्रा अब सिर्फ घूमने-फिरने तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि आत्मिक जुड़ाव और नए रिश्तों का रास्ता बन गई है. जैसे फ़िल्म  ईट, प्रे, लव में दिखाया गया था, वैसे ही महिलाएं आज सोलो ट्रैवल के जरिए अपने जीवन में नए एक्सपीरियंस जोड़ रही हैं. डेटिंग ऐप 'हैपन' के सर्वे बताते हैं कि 43% भारतीय सिंगल्स मानते हैं कि अच्छे रिश्ते दोस्ती से शुरू होते हैं. यही वजह है कि यात्रा ऐसे रिश्तों के लिए एक बेहतरीन माहौल बनाती है. चाहे ट्रेन में होने वाली सहज बातचीत हो, कैफ़े में साझा टेबल, या किसी स्थानीय कार्यक्रम में हंसी-मज़ाक की रात. ये सब भावनात्मक सहजता पैदा करते हैं और केमिस्ट्री को पनपने का मौका देते हैं.

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सड़क पर संयोग और यादगार लम्हे की तलाश

अकेले यात्रा करने का सबसे बड़ा रोमांच है उन अनचाहे पलों से टकराना जो जीवनभर याद रह जाते हैं. यह ठीक वैसा ही है जैसा फिल्मों में दिखाया जाता है. इसके अलावा सोलो ट्रैवलर रास्ता भटकने, किसी स्थानीय की मदद लेने या अचानक मिले आमंत्रण को स्वीकार करने से मिलने वाले एक्सपीरियंस को सबसे ज्यादा एंजॉय करते हैं.

संस्कृतियों की खोज और असली एक्सपीरियंस का मजा

आज के यात्री केवल लोकप्रिय जगहों पर टिके नहीं रहना चाहते, बल्कि लोकल संस्कृति और छुपे हुए अनुभवों की तलाश में रहते हैं. कोई अनजानी फ़ूड शॉप, तो कोई गाइडबुक से बाहर लोकल मार्केट या छत से दिखने वाला खास नज़ारे का मजा लेना चाहता है. ये सब यात्राओं को गहरा और यादगार बना देते हैं. इतना ही नहीं स्थानीय लोगों या साथी यात्रियों से मिलने-जुलने का यह मौका सोलो ट्रैवल को और खास बना देता है.

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स्वतंत्रता के साथ जुड़ाव का एहसास

अकेले सफर करना अब अकेलेपन की निशानी नहीं है. दरअसल अब महिलाएं अपनी शर्तों पर घूम रही हैं. इतना ही नहीं वो चाहें तो नए दोस्त या रिश्ते भी बना रही हैं. इसके पीछे की असली वजह है सुरक्षा तकनीक, भरोसेमंद जानकारी और महिला-विशेष टूर पैकेज. जोकि इसे आसान बना दिया है. इसी वजह से महिलाएं अब आत्मविश्वास के साथ सुरक्षित और आज़ाद होकर ट्रैवल कर रही हैं.

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सोशल मीडिया ने सोलो ट्रैवल को बनाया आसान

सोशल मीडिया ने भी सोलो ट्रैवल को एक बड़ा सहारा दिया है. यात्रा ब्लॉग, पैकिंग लिस्ट, गाइड और #SoloTravel जैसे हैशटैग ने इस ट्रेंड को लोकप्रिय बना दिया है. लोग अब दूसरों के अनुभव देखकर प्रेरित होते हैं और अपनी यात्रा की योजना आसानी से बना पाते हैं. यही कारण है कि एक बड़ा समुदाय बन चुका है जो नए यात्रियों को मोटिवेट करता है और उन्हें भरोसा दिलाता है कि सोलो ट्रैवल सिर्फ सुरक्षित ही नहीं बल्कि बेहद मजेदार भी है.
 

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