अगर आपके अंदर घूमने-फिरने का कीड़ा है और पहाड़ों का नाम सुनते ही दिल धड़कने लगे, तो भारत के ये पहाड़ी रास्ते आपको जरूर देखना चाहिए. यहां पहुंचना आसान नहीं है, बर्फ से ढके रास्ते, बादलों में गुम मोड़ और ऐसे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जहां हर सांस एक रोमांच बन जाए. लेकिन यकीन मानिए, इन रास्तों तक का सफर आपकी जिंदगी का ऐसा अनुभव होगा जिसे आप बार-बार याद करना चाहेंगे. यहां का हर मोड़, हर नजारा और हर ठंडी हवा आपको पहाड़ों से मोहब्बत करने पर मजबूर कर देगी.
खारदुंग ला, 5,359 मीटर की ऊंचाई पर बसा है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे रास्तों में शुमार है. ये कोई आम सड़क नहीं, बल्कि नुब्रा वैली का शानदार गेटवे है, जहां चारों तरफ बर्फ से ढके पहाड़ मानो आसमान को थामे खड़े हों. यहां तक का सफर दिल दहला देने वाला है और हां, रोमांच के शौकीनों, खासकर बाइकर्स के लिए तो ये किसी अधूरे ख्वाब के हकीकत बनने जैसा है.
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जोजिला, श्रीनगर को लद्दाख से जोड़ने वाला वो दर्रा, जो 3,528 मीटर की ऊंचाई पर सांस रोक देता है. यहां के रास्ते इतने संकीर्ण है कि एक ओर खड़ी चट्टान, तो दूसरी तरफ गहरी खाई. घुमाव ऐसे कि हर मोड़ पर लगता है कि बस जिंदगी यहीं खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं ऊपर आसमान में तैरते बादल जैसे हाथ बढ़ाकर छू लो. यही वजह है कि यहां जितनी खूबसूरती है, उतना ही खतरा है.
रोहतांग दर्रा, 3,978 मीटर की ऊंचाई पर, मानो बादलों और बर्फ की गोद में बसा हो. ये मनाली को लाहौल-स्पीति से जोड़ता है. हालांकि अटल टनल ने रास्ता आसान कर दिया है, मगर रोहतांग की असली खूबसूरती अब भी उसी बर्फीले विस्तार और खुले आसमान में सांस लेती है. यहां पहुंचना सिर्फ सफर नहीं, एडवेंचर लवर्स के लिए दिल धड़काने वाला तजुर्बा है, जो बार-बार बुलाता है.
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4,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाथू ला, सिक्किम को तिब्बत से जोड़ता है. कभी यह सिल्क रूट का हिस्सा था. यहां जाने के लिए परमिट चाहिए, लेकिन घुमावदार रास्तों और बर्फीले नजारों के बीच की यात्रा आपको हमेशा याद रहेगी.
मनाली-लेह हाईवे पर 4,890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पास लाहौल को लद्दाख से जोड़ता है. यहां का सूरज ताल झील भारत की सबसे ऊंची झीलों में से एक है और इसकी सुंदरता एडवेंचर लवर्स का मनमोह लेती है.
4,170 मीटर की ऊंचाई पर बसा सेला दर्रा, सालभर बर्फ की चादर में लिपटा रहता है. यह तवांग का रास्ता खोलता है और यहां की सेला झील, तस्वीरों से कहीं ज्यादा असल में जादू बिखेरती है. बर्फीले नजारे, ठंडी हवाएं और सफर का रोमांच, एडवेंचर लवर्स के लिए यह जगह किसी ख्वाब से कम नहीं.
5,334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह लिपुलेख दर्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा की जान है. यहां खड़े होकर हिमालय की चोटियां इतनी पास लगती हैं कि मन करता है बस हाथ बढ़ाकर छू लें. बर्फीली हवाएं, खामोश चोटियां और अनंत आकाश ये नजारा आंखों में नहीं, दिल में बस जाता है.
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