संजय सिन्हा आज की कहानी में रिश्तों में व्याप्त स्वार्थ पर प्रकाश डाल रहे हैं. वे बता रहे हैं कि कैसे मां-बाप हर दुख झेलकर बच्चों को पढ़ाते हैं. पैरों पर खड़ा करते हैं और यही बच्चे जरूरत के वक्त मुंह मोड़ लेते हैं. उनका सवाल है कि ऐसा क्यों होता है. ये दुनिया ऐसी क्यों है?