जेब काटने के साथ-साथ 'जासूसी' भी करेंगे AI फोन्स और लैपटॉप्स, एक्सपर्ट जता रहे चिंता

नवंबर साल 2022, OpenAI ने अपने AI चैटबॉट ChatGPT को लॉन्च किया. इसके बाद दुनियाभर में AI पर चर्चा होने लगी. साल 2024 में ये चर्चा AI फोन्स और AI लैपटॉप तक पहुंच गई. यानी हमारे लैपटॉप से फोन्स तक में AI को जोड़ दिया गया. कई लोगों को लग रहा होगा कि AI यूज करने के लिए सिर्फ ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, लेकिन ये पूरा सच नहीं है. इसकी कीमत कहीं ज्यादा भारी है.

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AI पावर को अब फोन और लैपटॉप में जोड़ा जा रहा है. AI पावर को अब फोन और लैपटॉप में जोड़ा जा रहा है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2024,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST

Apple, Microsoft और Google सभी कंपनियां अब एक नए दौर में आ चुकी हैं. इन कंपनियों के बीच अब एक नई जंग शुरू हुई है. ये जंग AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर है. कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला कंप्यूटर तैयार कर रहा है, तो कोई AI फोन लेकर आ गया है. 

ये डिवाइसेस पुराने फोन और कंप्यूटर के सभी काम करने के साथ कुछ एक्स्ट्रा ऑफर करते हैं. कंपनियों का कहना है कि इनकी मदद से फोटो एडिटिंग, नोट्स बनाना आसान हो जाएगी. आपके किसी दोस्त को बर्थडे विश ऑटोमेटिक चली जाएगी. यानी आपके कई काम मशीन खुद-ब-खुद कर देगी. 

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AI के लिए पूरी करनी होगी ये शर्त!

हालांकि, इन फीचर्स को यूज करने के लिए एक शर्त है. शर्त है आपका डेटा. वैसे भी इन कंपनियों के पास आपका डेटा पहले से मौजूद है, लेकिन अब इन्हें और ज्यादा डेटा चाहिए. इस डेटा का इस्तेमाल आपके तमाम काम को ऑटोमेटिक तरीके से करने के लिए किया जाएगा. 

आसान भाषा में कहें, तो अब आपका Windows लैपटॉप हर सेकेंड स्क्रीनशॉट लेगा, जिससे उससे पता रहे कि आप क्या कर रहे हैं. iPhone आपके तमाम ऐप्स के डेटा को एक जगह इकट्ठा करेगा. वहीं Google स्कैम से बचाने के लिए आपकी सभी फोन कॉल्स को सुनेगा. यानी आपको बहुत से नए फीचर्स मिलेंगे, लेकिन इसकी कीमत आपका डेटा होगा. 

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क्या आप ये जानकारियां शेयर करना चाहेंगे? 

Microsoft ने Recall फीचर का ऐलान किया है. ये फीचर आपके वेब ब्राउजिंग से लेकर नोटपैड और सोशल मीडिया तक के पेज का स्क्रीनशॉट लेगा, जिससे आपको भविष्य में आसानी से इन सभी का एक्सेस मिल सके. यानी अगर भविष्य में आप किसी वेब पेज बारे में इस मशीन से सवाल करेंगे, तो ये आपको उस पेज पर लेकर चली जाएगी, जिसमें आपके कभी ओपन किया होगा. 

वहीं Google ने Scam Calls से बचाने के लिए Android पर नया फीचर जोड़ा है. इस फीचर के तहत जैसी ही कोई कॉलर आपसे आपको पर्सनल डिटेल्स मांगेगा, Google आपको स्कैम कॉल को लेकर आगाह करेगा. इसके लिए आपको गूगल सभी कॉल्स का एक्सेस देना होगा. यानी वो आपकी तमाम कॉल्स को सुन सकेगा. क्या आप इन फीचर्स के लिए तैयार हैं? 

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इसके अलावा Apple ने iPhone ऐपल इंटेलिजेंस को जोड़ा है, जो कुछ और नहीं बल्कि AI का ही बदला हुआ नाम है. कंपनी तमाम ऐप्स के डेटा को एक जगह स्टोर करेगी. मसलन आप किसी तारीख को अचानक से एक मीटिंग रखते हैं, तो ये फोन आपको बताएगा कि उस दिन आपने पहले से ही कुछ प्लान बना रखे हैं, जो आपकी मीटिंग की वजह से प्रभावित होंगे. 

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सुनने में ये सभी फीचर्स कितने आकर्षक और उत्साहवर्धक लगते हैं, लेकिन इनकी कीमत उतनी ही भारी है. इन सभी के लिए आपको अपने डेटा का एक्सेस इन कंपनियों को देना होगा.

इन सब की शुरुआत OpenAI के ChatGPT लॉन्च करने के बाद हुई है. साल 2022 में कंपनी ने ChatGPT को लॉन्च किया था और कुछ ही महीनों में पूरी इंडस्ट्री तेजी से बदल गई. Apple, Google और Microsoft सभी कंपनियों ने हजारों करोड़ का निवेश AI सेक्टर में किया है. इन सभी का मानना है कि ये ही कंप्यूटिंग का फ्यूचर है. 

क्या है इनसे खतरा? 

AI बहुत से काम बड़ी आसानी से कर सकता है. इसके साथ ही ये लगातार सीख भी रहा है यानी बेहतर हो रहा है. ये ऑटोमेटिक किसी फोटो से किसी अनचाहे ऑब्जेक्ट को गायब कर सकता है. इसके लिए AI को बहुत ज्यादा कंप्यूटेशनल पावर की जरूरत होती है. आपका फोन या लैपटॉप इस पावर को प्रोड्यूस नहीं कर सकता है. 

ऐसे में AI को बाहरी पावर का इस्तेमाल करना पड़ता है. हम बात कर रहे हैं क्लाउड कंप्यूटिंग की. जैसे ही आपकी कोई जानकारी क्लाउड पर पहुंचती है, ये रिस्क जोन में आ जाती है. वैसे तो कंपनियां दावा करती हैं कि क्लाउड पर भी आपका डेटा सुरक्षित है, लेकिन सच कुछ और हो सकता है. 

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एक बार कोई जानकारी क्लाउड पर पहुंच जाती है, तो इसे दूसरे लोग भी देख सकते है. इसमें कंपनी के कर्मचारी, सरकारी एजेंसियां और हैकर्स कोई भी हो सकता है. वैसे तो हमारा बहुत सा डेटा आज भी क्लाउड पर मौजूद है, लेकिन AI के आम होने के साथ ही इस तरह के डेटा की संख्या बढ़ेगी. 

कंपनियों का कहना है कि यूजर्स का डेटा सिक्योर रहेगा और उसे कोई दूसरा एक्सेस नहीं कर पाएगा. मगर कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब अभी कंपनियों के पास नहीं है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोई भी डेटा जो डिवाइस से बाहर जाता है, वो कम सुरक्षित हो जाता है.

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