क्या होते हैं Real Money Games, जिन पर बैन लगाने की तैयारी में है सरकार

तेजी से आगे बढ़ रही भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री को एक स्पीड ब्रेकर का सामना करना पड़ सकता है. ये स्पीड ब्रेकर सरकार द्वारा लाया जा रहा ऑनलाइन गेमिंग बिल है, जिसकी वजह से कई गेम्स बैन हो सकते हैं. सूत्रों की मानें, तो बिल में रियल मनी गेम्स को बैन करने की बात है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है. आइए जानते हैं पूरा मामला.

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क्या होते हैं रियल मनी गेम्स? (Photo: AI-Generated) क्या होते हैं रियल मनी गेम्स? (Photo: AI-Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

एक वक्त था जब लोग अपने टाइम पास के लिए मोबाइल पर गेम्स खेला करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. लोग ऑनलाइन गेम्स सिर्फ टाइम पास के लिए नहीं बल्कि कमाई के लिए भी खेल रहे हैं. भारत में ऐसे गेम्स काफी पॉपुलर हैं और बड़ी संख्या में लोग इस तरह के गेम्स खेल रहे हैं. 

ऐसे गेम्स को रियल मनी गेम्स (Real Money Games) कहा जाता है. पिछले कुछ सालों में भारतीय बाजार में ऐसे कई गेम्स आए हैं और इनका खूब प्रचार और प्रसार हुआ है. अब सरकार ऐसे गेम्स पर नकेल कसने की तैयारी में है, जिसके लिए ऑनलाइन गेमिंग बिल लाया जा रहा है.

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क्या होते हैं रियल मनी गेम्स? 

ऐसे गेम्स जहां प्लेयर्स असली पैसे लगाकर गेम खेलते हैं और जीतने पर उन्हें प्राइज मिलता है. इसे एक तरह का सट्टा भी कहा जा सकता है जहां स्किल्स का यूज नहीं होता, बल्कि किस्मत से जीत होती है. पोकर और रमी जैसे गेम्स इसके बड़े उदाहरण हैं. आसान शब्दों में कहें, तो ऐसे गेम्स, जिनमें यूजर पैसे लगाते हैं और जीतने पर उन्हें कैश प्राइज मिलता है. Real Money Gaming के अंदर BGMI, Call Of Duty, Freefir और GTA जैसे गेम्स नहीं आते हैं, क्योंकि यहां सट्टा नहीं लगाया जा सकता है. 

इन गेम्स में पैसा लगाने के लिए UPI, कार्ड या वॉलेट का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद प्लेयर्स को उस गेम को खेलना होता है. भारतीय बाजार में रम्मी, फैंटेसी क्रिकेट, लूडो जैसे गेम्स हैं, जिनमें आप पैसे लगा सकते हैं. यहां जीतने पर कैश सीधे आपके अकाउंट में आता है.

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Real Money Games और नॉर्मल गेम्स में फर्क है?

रियल मनी गेमिंग और फर्स्ट पर्सन शूटर गेम जैसे Call Of Duty या FreeFire में फर्क होता है. रियल मनी गेमिंग में भाग लेने के लिए पैसे देने होते हैं. जैसे पोकर, रमी, फैंटेसी स्पोर्ट्स और कसिनो गेम्स में पार्टिसिपेट करने के लिए आपको पैसे लगाने होते हैं और जीतने पर कैश मिलता है. दूसरी तरफ BGMI, FreeFire और COD जैसे मोबाइल गेम्स खेलने के लिए आपको पैसे नहीं देने होते हैं. हालांकि यहां भी इन ऐप परचेज का सिस्टम होता है, लेकिन यहां सट्टेबाजी नहीं होती, बल्कि इन ऐप परचेज से गेमर्स स्किन्स खरीदते हैं और गन्स अपग्रेड करते हैं. यहां जुआ जैसा कुछ नहीं होता. 

यह भी पढ़ें: Dream11 जैसे गेम्स पर मंडरा रहा बैन होने का खतरा? क्या है Online Gaming Bill?

ध्यान रहे कि Real Money Games में कॉइंस या वर्चुअल रिवार्ड नहीं, बल्कि रियल मनी का लेन-देन होता है. भारत में इस तरह के कई गेम्स मौजूद हैं और लाखों करोड़ रुपये की इंडस्ट्री इस पर बेस्ड है. सरकार ऑनलाइन गेमिंग बिल लेकर आ रही है, जिसे केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. 

ऑनलाइन गेमिंग बिल का क्या होगा असर?

सूत्रों से हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बिल में रियर मनी गेम्स को बैन करने की बात है. यानी ऐसे गेम्स जिसमें सट्टा लगाया जाता है, सरकार उन्हें बैन कर सकती है. हालांकि, आधिकारिक रूप से सरकार ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. इस बिल की वजह से 2 लाख नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. इतना ही नहीं सरकार का खजाना भी कम होगा. 

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यह भी पढ़ें: ऑनलाइन गेम्स पर UPI से कर दिए 4 महीने में 41 हजार करोड़ रुपये खर्च

गेमिंग सेक्टर से सरकार को सालाना 20 हजार करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिलते हैं. पिछले कुछ सालों में लगभग 400 स्टार्टअप ने इस सेक्टर में एंट्री की है, जिसकी वजह से 25 हजार करोड़ रुपये का फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट आया है. एनालिस्ट्स का मानना है कि ऐसे गेम्स पर बैन की वजह से ना सिर्फ बड़ी संख्या में नौकरी जाएंगी, बल्कि निवेशकों का कॉन्फिडेंस भी कम होगा.

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