शख्स ने AI को चटाई धूल, वर्ल्ड चैंपियनशिप में OpenAI मॉडल को हराया, 10 घंटे तक चला था मुकाबला

एक पोलैंड के प्रोग्राम ने एक वर्ल्ड कम्पटीशन में AI को धूल चटा दी और चैंपियनशिप को अपने नाम कर लिया. दरअसल, आजकल हर जगह AI की चर्चा जारी है, जहां कई सेक्टर में AI को लाने का प्रयास भी किया जा रहा है. अब ऐसे में OpenAI के पूर्व कर्मचारी ने कम्पटीशन AI को मात देते हुए विजेता का खिताब हासिल किया. आइए जानते हैं...

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AI चैंपियनशिप के दौरान Polish programmer ने OpenAI को मात दी (Credit: X/@FakePsyho) AI चैंपियनशिप के दौरान Polish programmer ने OpenAI को मात दी (Credit: X/@FakePsyho)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 20 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

AI को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है. अधिकतर कंपनियां AI को इंसानों के जैसा या उनसे भी बेहतर बनाने पर काम कर रही हैं, लेकिन हाल ही में एक शख्स ने साबित कर दिया है कि AI कितना भी एडवांस्ड क्यों ना हो जाए वह इंसानों से आगे नहीं निकल सकता है. 

टोक्यो में आयोजित एटकोडर वर्ल्ड टूर फाइनल्स 2025 ह्यूरिस्टिक कम्पटीशन में ChatGPT मेकर OpenAI के कस्टम AI मॉडल को एक पोलिश प्रोग्रामर ने हरा दिया है. इसके बाद इनकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है. 

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OpenAI के मॉडल को दी मात 

बुधवार को हुई कम्पटीशन में पूर्व OpenAI कर्मचारी और प्रोग्रामर प्रजेमिस्लाव डेबियाक (Psyho) ने एक OpenAI के कस्टम AI मॉडल को मात दी है. दरअसल, इस प्रोग्राम का आयोजन जापानी प्लेटफॉर्म AtCoder ने किया है. 

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Psyho ने किया पोस्ट 

 
Psyho ने X प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करके बताया है कि मानवता की जीत हुई है (अभी के लिए). उन्होंने इसके साथ एक स्क्रीनशॉट्स पोस्ट किया है और बताया है कि कम्पटीशन में उन्होंने बाजी मारी है. 

600 मिनट तक चला कंम्पटीशन

यहां आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि इस कम्पटीशन के लिए करीब 600 मिनट में एक मुश्किल प्रॉब्लम को सॉल्व करना होता है. 

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यह कम्पटीशन, अमेरिका की एक कहानी जॉन हेनरी की याद दिलाती है, जिन्हें स्टील ड्राइविंग मैन भी कहते थे. उन्होंने 1870 के दौरान एक स्टीम पावर से चलने वाली ड्रिल मशीन को हराया था. 

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अमेरिका में रेलवे ट्रैक का हो रहा था एक्सपेंशन 

दरअसल, कहानी कुछ इस तरह है कि 1870 के समय जब अमेरिका में रेलवे ट्रैक का विस्तार हो रहा था, तो वहां चट्टानों को तोड़ने के लिए इंसानों की मदद ली जाती थी, जो चट्टानों में छेद करके उसमें बारूद लगाते और फिर वहां से रेलवे ट्रैक के लिए रास्ता बनाया जाता था. 

लेकर आए थे भाप से चलने वाली ड्रिल मशीन

एक दिन, रेल कंपनी एक नई भाप से चलने वाली ड्रिल मशीन लेकर आए थे. यह मशीन इंसानों की जगह काम कर सकती थी. ये सब देखकर जॉन हेनरी ने चुनौती दी कि वह मशीन से बेहतर काम कर सकते हैं, जिसके बाद ही मुकाबले का शुरुआत हुई. 

इस मुकाबले में एक तरफ भाप से चलने वाली ड्रिल मशीन और दूसरी तरफ जॉन हेनरी थे. दोनों ने चट्टानों में छेद करना शुरू किया. जहां मशीन तेजी से काम कर रही थी, लेकिन जॉन हेनरी उससे भी तेज काम किया और मशीन को हरा दिया. यह जीत उनके जीवन की आखिरी जीत बनी. 

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