जिस AI से दहल गया था अमेरिकी शेयर मार्केट, अब मिलिट्री में उसका इस्तेमाल कर रहा चीन

चीन टेक्नोलॉजी के मामले में एक सुपर पावर बन चुका है. जहां अमेरिका जैसी सुपर पावर को AI मॉडल बनाने में अरबों डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. चीन उस जैसा ही मॉडल कुछ लाख डॉलर खर्च करके तैयार कर दे रहा है. अब चीन AI मॉडल्स का इस्तेमाल अपनी मिलिट्री पावर को बढ़ाने में कर रहा है. इसकी जानकारी कई मौकों पर बाहर आई है. आइए जानते हैं पूरी डिटेल्स.

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चीन AI का इस्तेमाल अपनी मिलिट्री पावर बढ़ाने में कर रहा है. (Representational Photo: Unsplash) चीन AI का इस्तेमाल अपनी मिलिट्री पावर बढ़ाने में कर रहा है. (Representational Photo: Unsplash)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

चीनी टेक कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में कई ऐसे काम किए हैं, जो दुनिया के लिए किसी चुनौती की तरह हैं. ऐसा ही कुछ चीन ने DeepSeek के जरिए किया था. जहां अमेरिकी कंपनियों को अपना AI मॉडल तैयार करने के लिए अरबों डॉलर खर्च करने पड़े थे. वहीं चीन का ये AI मॉडल कुछ लाख डॉलर में तैयार हो गया था. 

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अब इस AI मॉडल का इस्तेमाल चीन अपनी मिलिट्री पावर को बढ़ाने के लिए कर रहा है. इस साल फरवरी में चीनी डिफेंस कंपनी Norinco ने एक मिलिट्री वीइकल पेश किया था, जो ऑटोनोमस तरीके से जंग में मदद मुहैया करा सकता है. ये वीइकल 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है. 

अमेरिकी शेयर मार्केट में आ गया था भूचाल

ये वीइकल DeepSeek के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड है. DeepSeek ने लॉन्च होते ही अमेरिकी शेयर मार्केट को हिला कर रख दिया था. इस चीनी स्टार्टअप का चैटबॉट सामने आते ही, अमेरिकी कंपनी Nvidia के शेयर 14 फीसदी तक टूट गए थे. इसकी वजह से कंपनी की मार्केट वैल्यू भी गिर गई थी. दरअसल, चीनी स्टार्टअप ने बेहद कम कीमत में अपना AI मॉडल तैयार किया था. यहां तक कि उनके पास Nvidia के हाई-एंड चिप भी नहीं थे. 

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हाल में आई रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों रिसर्च पेपर, पेटेंट और रिकॉर्ड्स सामने आए हैं, जो दिखाते हैं कि चीन किस तरह से AI का इस्तेमाल अपनी मिलिट्री पावर को एडवांस बनाने में कर रहा है. भले ही चीन के अगली पीढ़ी के हथियार अभी टॉप सीक्रेट हों, लेकिन लीक हुई जानकारी से ये साफ है कि चीन क्या तैयार कर रहा है. 

AI हथियारों पर काम कर रहा चीन

बीजिंग ऑटोमोनस हथियारों पर काम कर रहा है, जो अपने टार्गेट को पहचान सकते हैं और रियल टाइम में फैसला भी कर सकते हैं. रॉयटर्स की मानें, तो चीन AI पावर्ड मिलिट्री टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है, जिसमें रोबोट डॉग्स और ड्रोन्स शामिल हैं. ये ड्रोन्स खुद टार्गेट को ट्रैक कर सकते हैं. 

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नवंबर 2024 में PLA ने AI पावर्ड रोबोट डॉग्स के लिए एक टेंडर जारी किया था, जो खतरे को खोजकर विस्फोटक को हटा सकते हैं. हालांकि, ये टेंडर पूरा हुआ या नहीं इसकी जानकारी नहीं है. इससे पहले चीन ने हथियार वाले रोबोट डॉग्स का इस्तेमाल मिलिट्री ड्रिल में किया था, जिसकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई थीं. 

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पिछले दो साल में सामने आए रिसर्च पेपर, टेंडर और पेटेंट्स से साफ है कि PLA किस तरह से मिलिट्री में AI के इस्तेमाल को बढ़ा रहा है. ड्रोन, सैटेलाइट्स से लेकर रोबोट डॉग्स तक चीन AI के जरिए अपनी सेना को मजबूत और फ्यूचर प्रूफ बनाने में लगा हुआ है.

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