बेस्ट एयर प्यूरिफायर कैसे खरीदें? ज्यादातर लोग करते हैं ये गलती, हवा भी नहीं होती साफ

एयर प्यूरिफायर धीरे धीरे भारत में जरूरत बनता जा रहा है. हवा की क्वॉलिटी गिर रही है और लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होती है. विंटर सीजन में ये प्रॉबल्म और भी बढ़ जाती है. आइए जानते हैं एयर प्यूरिफायर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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 एयर प्यूरिफायर खरीदते समय ना करें गलती (Photo: ITG/AI) एयर प्यूरिफायर खरीदते समय ना करें गलती (Photo: ITG/AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 3:12 PM IST

सर्दियां आते ही उत्तर भारत का आसमान धुंध में खो जाता है. AQI 300, 400 और कई बार 500 पार कर जाता है. दिवाली के दूसरे दिन 1000 तक चला गया. डॉक्टरों की भाषा में यह 'सीवियर' नहीं, 'इमरजेंसी ज़ोन' है. जब बच्चों, बुज़ुर्गों और दमा-एलर्जी वाले लोगों के लिए रोज़मर्रा की सांस लेना भी एक स्ट्रगल की तरह होता है.

यही वह समय है जब लोग जल्दी-जल्दी Google सर्च करते हैं. 'बेस्ट एयर प्यूरिफायर', 'कौन-सा मॉडल ख़रीदें?', 'किस फ़िल्टर में पैसा लगाएं और क्यों?

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लेकिन सच्चाई यह है कि भारत के बाज़ार में एयर प्यूरिफायर की आधी लड़ाई ग़लत जानकारी की वजह से हार जाती है. कंपनियां चमकीले दावे बेचती हैं. 'एंटी- वायरल लेयर', 'यूवी किल टेक', 'ऑक्सीजन फ्रेश जैसा एहसास'. जबकि असली लड़ाई सिर्फ़ तीन तकनीकों पर टिकती है: हेपा फ़िल्टर, कार्बन फ़िल्टर, और सही CADR (सी-ए-डी-आर).

आइए जानते हैं कि क्यों एयर प्यूरिफायर ज़रूरी है और बेस्ट प्यूरिफायर कैसे चुनें. 

एयर पॉल्यूशन असली दुश्मन क्यों है?

सबसे खतरनाक कण हैं PM 2.5, इतने बारीक कि यह फेफड़ों में घुसकर सीधे ब्लडस्ट्रीम तक पहुँच सकते हैं. विंटर्स में यही लोगों के गले में खराश, खांसी, सांस फूलने से लेकर कैंसर तक का वजह बन सकते हैं. ये डिबेट काफी समय से चल रही है कि एयर प्यूरिफायर कितना कारगर हैं, लेकिन डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि घर के अंदर कम से कम बेडरूम में एयर प्यूरिफायर जरूर रखें. लेकिन इससे पहले ये जानना जरूरी है कि आपके लिए कौन सा एयर प्यूरीफायर बेटर होंगे  एयर प्यूरिफायर चुने कैसे?

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HEPA FILTER 

एयर प्यूरिफायर में पहला और सबसे महत्वपूर्ण फ़िल्टर है HEPA. भारत के लिए H13 या H14 हेपा फ़िल्टर ही इफेक्टिव माने जाते हैं. यह धूल, धंआं, स्मॉग और पीएम 2.5 जैसे बेहद बारीक कणों को भी रोक देता है. 

CARBON FILTER 

अगर आपकी समस्या धुआं, रसोई का स्मोक, अगरबत्ती, सिगरेट या गैस की बदबू है, तो कार्बन फ़िल्टर जरूरी है. यह VOCs और धुएं को सोख लेता है और कमरे से बदबू एलिमिनेट कर देता है. दिल्ली जैसी जगहों के लिए सिर्फ HEPA फिल्टर काफी नहीं है, इसके साथ कार्बन फिल्टर होना भी जरूरी है.

CADR : सबसे बड़ा फैक्टर, जिसे लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं

CADR यानी क्लीन एयर डिलिवरी रेट. ये एक तरह से कार की माइलेज की तरह है. जैसे खरीदते समय आप पूछते हैं कि ये कितना माइलेज देती है, ठीक वैसे ही एयर प्यूरिफायर खरीदते समय दुकानदार से ये जरूर पूछें कि इसका CADR क्या है यानी यह मशीन एक घंटे में कितनी हवा साफ़ कर सकती है?

यह नंबर ही तय करेगा कि आपका कमरा 30 मिनट में साफ़ होगा या 3 घंटे में भी हवा साफ़ नहीं हो पाएगी. यही वजह है कि CADR कम हुआ, तो प्यूरिफायर चलाने का भी कोई खास फायदा नहीं होगा.

कमरे के लिए सही CADR कैसे चुनें?

आपका कमरा 120-150 वर्गफुट का है तो 200-250 m³/h, 180-250 है तो 300-400 m³/h और 300-400 वर्गफुट का है तो 450-600 m³/h CADR होना चाहिए. 

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Auto Mode, PM Sensor और Noise लेवल

एक अच्छे एयर प्यूरिफायर में कई तरह के सेंसर्स होते हैं जो हवा के पॉल्यूटेंट्स डिटेक्ट करके बताते हैं. ऑटो मोड भी होना चाहिए जो खुद से स्पीड सेट कर सके. नाइट मोड फीचर भी होना चाहिए जो बिना शोर किए या आपकी नींद खराब करे रात भर चले और हवा साफ करे. ऐसे में बिजली की भी बचत हो सकती है.

सबसे बड़ा हिडन खर्च: फ़िल्टर रिप्लेसमेंट

मशीन खरीदकर असली खर्च फ़िल्टर पर आता है खरीदने से पहले हमेशा कंपनी से ये पूछें कि फिल्टर कितने में महीने में बदलेगा और कीमत क्या होगी. उदाहरण के तौर पर डायसन एयर प्यूरिफायर के एयर फिल्टर्स एक साल चलते हैं. इसी तरह अलग अलग कंपनियां बताती हैं कि फिल्टर कब तक चलेगा. कई बार एयर प्यूरिफायर से महंगा फिल्टर लग जाता है.

आयन बेस्ड एयर प्यूरिफायर लेने से बचें 

मार्केट में सिर्फ कार्बन फिल्टर और आयन बेस्ड एयर प्यूरिफायर भी मिलते हैं. लेकिन ये आपके लिए फायदे का सौदा नहीं होंगे. ये पूरी तरह से हवा साफ नहीं करते, आयन बेस्ड प्यूरिफायर से खास फायदा नहीं होगा. 

 

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