UP चुनाव में इन नेताओं की पत्नियों ने संभाला मोर्चा, मुकाबला रोचक

जीवन के हर मोड़ पर साथ निभाने की कसम निभाने की कोशिश में इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के महासंग्राम में कई नेताओं की पत्नियां अपने-अपने पतियों की मदद करने और उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटी हैं.

Advertisement
महिलाओं के मैदान में आने से मुकाबला रोचक महिलाओं के मैदान में आने से मुकाबला रोचक

अमित कुमार दुबे / BHASHA

  • लखनऊ,
  • 13 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

जीवन के हर मोड़ पर साथ निभाने की कसम निभाने की कोशिश में इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के महासंग्राम में कई नेताओं की पत्नियां अपने-अपने पतियों की मदद करने और उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में जुटी हैं.

डिंपल यादव ने झोंकी ताकत
इस बार चुनाव में ऐसे राजनेताओं की पत्नियां चुनाव मैदान में हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है या फिर जो किसी अन्य कारण से चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. सपा अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी सांसद पत्नी डिंपल पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में जमकर प्रचार के लिये कड़ी मेहनत कर रही हैं.

Advertisement

बसपा से भी महिला ब्रिगेड मुकाबले में
सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बसपा की पिछली सरकार में शिक्षा मंत्री रहे राकेश धर त्रिपाठी इस बार आय के अज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के आरोपों की वजह से भदोही से चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. ऐसे में यहां से उनकी पत्नी प्रमिला धर त्रिपाठी अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.

बीजेपी भी पीछे नहीं
इसी तरह इलाहाबाद की मेजा सीट पर आपराधिक छवि वाले उदयभान सिंह करवरिया ने अपनी पत्नी नीलम करवरिया को भाजपा से टिकट दिलवाया है और उन्हें जिताने के लिए वह भरपूर कोशिश कर रहे हैं.

स्वाति सिंह पति के बदले मैदान में
भाजपा को ही देखें तो पार्टी के महिला मोर्चे की अध्यक्ष स्वाति सिंह एक और मिसाल हैं, भाजपा के निष्कासित पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति लखन की सरोजिनीनगर सीट से चुनाव लड़ रही हैं. इस सीट पर भाजपा पहले कभी नहीं जीती है, लिहाजा उनके सामने इतिहास रचने की चुनौती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement