कोरोना संकट काल में उत्तर प्रदेश की सियासत में नए तरह के सियासी समीकरण देखने को मिल रहे हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सूबे में राजनीतिक सक्रियता से बसपा अध्यक्ष मायावती काफी बेचैन हैं. मायावती लगातार कांग्रेस पर हमलावर हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि बसपा और बीजेपी के बीच ऐसी कौन सी सियासी केमिस्ट्री है, जिसकी वजह से मायावती बीजेपी पर नरम तो कांग्रेस पर गरम हैं.
प्रियंका गांधी और योगी सरकार के बीच बस विवाद में जब मायावती कूदी थी तो ऐसा लगा मानो वह यूपी सरकार का बचाव कर रही हो. अपने ट्वीट के एक पूरी श्रृंखला में मायावती का तीखा हमला कांग्रेस पार्टी पर दिखाई देता है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने तो बकायदा बीजेपी के सहयोगी के तौर पर बसपा को कहना शुरू कर दिया है और मायावती को बीजेपी का प्रवक्ता तक कह डाला है.
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प्रियंका गांधी और योगी सरकार के बीच बस विवाद अपने चरम पर था तब मायावती ने कांग्रेस की राजस्थान और पंजाब सरकार को घेरा था और तब प्रियंका गांधी के कदम पर सवाल उठाए थे. हालांकि अखिलेश यादव ने भी आज तक को दिए अपने इंटरव्यू में इशारों में ऐसा ही सवाल कांग्रेस पर भी उठाया था लेकिन मायावती को लेकर इन दिनों चर्चा बेहद गर्म है कि आखिर वह बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस पर क्यों हमलावर हैं?
प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की सियासी जमीन पर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए सीधे-सीधे मायावती के वोट बैंक पर चोट कर रही हैं. प्रियंका गांधी के निशाने पर उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण दलित और मुसलमान वोट बैंक हैं. जिसे वह हर हाल में वापस लेने की कोशिश कर रही हैं. यही वजह है कि मायावती कांग्रेस को किसी भी सूरत में बख्शने के मूड में नहीं दिख रही. इसीलिए फ्रंटफुट पर कांग्रेस पर निशाना साध रही हैं.
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प्रियंका गांधी के फ्रंट पर आने से ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका कांग्रेस की तरफ रुख कर सकता है. यह वह तबका है जो योगी सरकार से खिलाफ मायावती के ब्राह्मण कार्ड में शामिल हो सकता है, लेकिन अब इसे कांग्रेस साधने में जुटी है. इसके अलावा दलित एवं अनुसूचित जातियों का यह वर्ग बसपा के उभार के पहले कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था, जिसे प्रियंका गांधी दलित संगठन भीम आर्मी के जरिए साधने की कोशिश रही हैं. इसीलिए प्रियंका गांधी और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण की राजनीतिक नजदीकियां मायावती को कभी रास नहीं आई.
मुस्लिम वोट बैंक पर भी नजर
उत्तर प्रदेश में कभी मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस का हुआ करता था, लेकिन 90 के दशक से सपा और बसपा के बीच बंटता रहा है. प्रियंका गांधी की नजर यूपी में मुस्लिम वोटर्स पर भी है. सूबे में सीएए-एनआरसी विरोध के दौरान मारे गए मुस्लिम परिवारों के घर जाकर प्रियंका गांधी ने मुलाकात की थी और खुलकर योगी सरकार पर हमला बोला था. प्रियंका के इस दांव से मुस्लिम समुदाय के बीच काफी बेहतर संदेश गया था. इसके अलावा प्रियंका आजमगढ़ में मुस्लिम महिलाओं से जाकर नए समीकरण बनाने की कोशिश की थी.
दरअसल मायावती इन्हीं तीनों वोटबैंक के जरिए यूपी में अपनी खोई हुई सियासत को पाना चाहती हैं, जिस पर अब प्रियंका गांधी ने नजर गढ़ा दिया है. इसीलिए मायावती कांग्रेस को फिलहाल बीजेपी से बड़ा शत्रु अपने लिए मान रही हैं. इसीलिए बसपा प्रमुख बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस पर आक्रमक रुख अख्तियार किए हुए हैं.
वहीं, कांग्रेस के लोग भी मायावती पर यूं ही सवाल नहीं उठा रहे हैं. कोरोना के संकट काल में बसपा प्रमुख मायावती इकलौती ऐसी बड़ी नेता हैं जिन्हें फोन कर योगी आदित्यनाथ ने धन्यवाद दिया था. मुख्यमंत्री राहत कोष में विधायकों से उनकी निधि से पैसे लिए जा रहे थे तब बीएसपी के विधायकों को मुख्यमंत्री राहत कोष में पैसे देने के आदेश मायावती ने दिए और इसी बात को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मायावती को धन्यवाद भी दिया था. राजनीति संकेतों का खेल होता है और अगर संकेत मानें तो कहीं ना कहीं बीजेपी और बीएसपी के बीच सियासी केमिस्ट्री दिख रही है और कांग्रेस इसी के बहाने मायावती पर निशाना साध रही है.
कुमार अभिषेक