उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना तीन साल का सफर पूरा कर लिया है और अब उनका दो साल का कार्यकाल बचा हुआ है. ऐसे में योगी आदित्यनाथ के लिए आगे की सियासी राह चुनौतियों भरी हैं. इसमें योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सबका स्वीकार्य नेता बनने और उनका भरोसा जीतने की है. इसके अलावा अपने हिंदुत्व के रुख को बरकरार रखने के साथ-साथ विकास के पैमाने पर भी खरा उतरना होगा. राज्य भर में गोशालाएं बनने के बावजूद किसान अब भी आवारा पशुओं से निजात नहीं पा सके हैं. सूबे में 2022 का विधानसभा चुनाव योगी के कामकाज और चेहरे पर होना है, ऐसे में उनकी आगे की राह काफी मुश्किलों भरी है.
सर्वसमाज का नेता बनने की चुनौती
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन साल के बाद भी सर्वसमाज में मजबूत पकड़ नहीं बना सके हैं. योगी भले ही हिंदुत्ववादी नेता की छवि के तौर पर अपने आपको स्थापित कर ले गए हैं, लेकिन अब भी उनके विरोधी उन्हें जाति विशेष का नेता मानते हैं. ऐसे में योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सबका स्वीकार्य नेता बनने और उनका भरोसा जीतने की है.
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अल्पसंख्यक समुदाय के बीच योगी की स्वीकार्यता अभी तक नहीं हो पाई है. इसके अलावा जिस तरह से उन्होंने प्रशासकीय फैसले लिए हैं उसे अल्पसंख्यक समुदाय उनसे और भी दूर हुआ है. ऐसे में योगी के सामने बहुसंख्यक समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय के विश्वास को जीतने की बड़ी चुनौती है.
आवारा पशुओं पर नकेल, योगी की बड़ी मुश्किल
उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या योगी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. जगह-जगह किसानों को फसल बचाने के लिए घेराबंदी करने में हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. कई जगहों पर तो पूरी रात जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ रही है. विधानसभा चुनाव से पहले आवारा पशुओं की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो विपक्ष इसे बीजेपी के खिलाफ मुद्दा बना सकता है.
जनता से सीधे संवाद की चुनौती
योगी सरकार के अब तक के काम पर नजर डालें तो उसने केंद्र की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त की है. इसका असर भी उसे नतीजों के तौर पर लोकसभा चुनाव के बाद देखने को मिला है. हालांकि सरकार अब भी जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित नहीं कर पाई है जबकि 2022 में सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी की पूर्ववर्ती सपा सरकार ने भी पांच साल में काम किया था, लेकिन जनता से संवाद स्थापित नहीं कर पाने के चलते उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी थी. यही चुनौती अब योगी सरकार के सामने भी रहेगी.
मोदी नहीं योगी के नाम होगा चुनाव
योगी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती दो साल के बाद होने वाले 2022 का विधानसभा चुनाव है. 2014-2019 लोकसभा और 2017 का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से पीएम मोदी के नाम और केंद्र सरकार के काम पर लड़ा गया था, लेकिन 2022 का विधानसभा चुनाव योगी के नाम और काम पर लड़ा जाना है. ऐसे में उनके सामने सूबे में विकास की इबारत लिखना बड़ी चुनौती है.
स्थानीय समस्याएं हैं सवाल
यूपी में लोगों की सबसे बड़ी समस्या उनके आसपास की है. आम तौर एक शिकायत रहती है कि ब्लॉक और तहसील में समस्याओं की सुनवाई नहीं होती है. समस्या के समाधान के लिए बार-बार दौड़ लगानी पड़ती है. इसके अलावा जिन योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए उनका लाभ भी नहीं मिल पाता है. अगर योगी सरकार स्थानीय समस्याओं का समाधान करने में सफल नहीं हो पाती है तो उनके लिए सत्ता में वापसी एक बड़ी चुनौती बन जाएगी.
कुबूल अहमद