राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मैक्सिको तथा ऑस्ट्रेलिया के नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का लीक होना राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक बहुत बड़ा सवाल उठाता है.
व्हाइट हाउस गुरूवार की एक घटना का जिक्र कर रहा था जिसमें अमेरिका के एक प्रमुख अखबार ने मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरिके पेन्या नीटो और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ हुई ट्रंप की अत्यधिक गोपनीय बातचीत को प्रकाशित किया है.
व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव लिंडसे वाल्टर्स ने कल ट्रंप के साथ वेस्ट वर्जिनिया की यात्रा करते हुए एयर फोर्स वन में संवाददाताओं से कहा फोन पर हुई बातचीत लीक होना राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. यह राष्ट्रपति को अच्छा काम करने और विदेशी नेताओं से बातचीत करने से रोकता है.
बहरहाल व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने द वॉशिंगटन पोस्ट की वेबसाइट पर पोस्ट की गई बातचीत की खास जानकारियों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. यहां तक कि ट्रंप के आलोचकों ने भी राष्ट्रपति की बातचीत लीक होने की निंदा की है.
खतरनाक हो सकता है फोन पर बात करना
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के भाषणों को लिखने वाले डेविड फ्रुम ने द अटलांटिक मैगजीन में लिखा विदेशी नेता से राष्ट्रपति की बातचीत लीक करना अभूतपूर्व स्तब्ध करने वाला और खतरनाक है.
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एक राष्ट्रपति गोपनीय बातचीत कर सकें और शायद इससे ज्यादा अहम यह है कि विदेशी नेताओं को यह विश्वास हो कि उनकी बातचीत गोपनीय है. इस बीच ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने बातचीत लीक होने के बावजूद कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके संबंध स्नेहपूर्ण हैं, लीक हुई बातचीत में यह सामने आया है कि दोनों नेताओं के बीच शरणार्थी समझौते को लेकर तकरार हुई थी.
सुर्खियों में रहा ट्रंप और टर्नबुल का विवाद
हालांकि ट्रंप और टर्नबुल के बीच जनवरी में फोन पर हुई बातचीत उस समय भी सुर्खियों में रही थी लेकिन द वाशिंगटन पोस्ट में आज प्रकाशित हुई बातचीत नई जानकारी देती है. बातचीत के अनुसार ट्रंप ने टर्नबुल से कहा कि यह समझौता बेकार बकवास और खराब था.
टर्नबुल ने आज संवाददाताओं से कहा कि बातचीत विनम्र और स्पष्ट थी. उन्होंने कहा कि ट्रंप के साथ उनके संबंध स्नेहपूर्ण है.
न्यू गिनी में नाउरू और पापुआ के लिये जगह
ओबामा प्रशासन के दौरान किए गए शरणार्थी समझौते के अुनसार अमेरिका उन 1,250 शरणार्थियों को आश्रय देगा जिसे ऑस्ट्रेलिया ने नाउरू और पापुआ न्यू गिनी में शरणार्थी शिविरों में रखा हुआ है.
BHASHA