चालू वित्त वर्ष में भारत के निर्यात में सुस्ती बरकरार है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश का निर्यात जनवरी में 1.66 फीसदी घटकर 25.97 अरब डॉलर पर आ गया है. यह लगातार छठा महीना है जब निर्यात में गिरावट आई है. इससे पहले, जून 2019 में व्यापार घाटा 15.28 अरब डॉलर था. बता दें कि निर्यात में नरमी का असर आर्थिक वृद्धि पर देखा जा रहा है. चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहने का अनुमान है जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है.
आयात और व्यापार घाटा में भी सुस्ती
वहीं जनवरी महीने में आयात भी 0.75 फीसदी घटकर 41.14 अरब डॉलर पर आ गया. इसके अलावा जनवरी माह में व्यापार घाटा 15.17 अरब डॉलर रहा, जो सात महीने का उच्च स्तर है. आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जनवरी के दौरान निर्यात एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 1.93 फीसदी गिरकर 265.26 अरब डॉलर रहा. इस दौरान आयात में 8.12 फीसदी गिरावट रही और यह 398.53 अरब डॉलर रहा.
निर्यात में क्यों आई कमी?
मुख्य तौर से पेट्रोलियम, प्लास्टिक, कालीन, रत्न एवं आभूषण के अलावा चमड़ा उत्पादों के निर्यात में कमी के कारण इसमें गिरावट आई है. आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी में कुल 30 प्रमुख क्षेत्रों में से 18 में निर्यात में गिरावट दर्ज की गई. पेट्रोलियम उत्पादों, प्लास्टिक, कालीन, रत्न एवं आभूषण तथा चमड़ा उत्पादों के निर्यात में क्रमश: 7.42 फीसदी, 10.62 फीसदी, 5.19 फीसदी, 6.89 फीसदी और 7.57 फीसदी की गिरावट आई.
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निर्यात आंकड़े के बारे में कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि कपड़ा क्षेत्र को निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार से तत्काल मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य एवं केंद्रीय करों एवं शुल्कों में छूट योजना (आरओएससीटीएल) और भारत से वस्तु निर्यात योजना के सही तरीके से क्रियान्वयन जरूरी है.’’ निर्यातकों के संगठनों का शीर्ष निकाय फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सर्राफ ने कहा कि वैश्विक और घरेलू कारकों की वजह से फिर से मासिक निर्यात घटा है.
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