Taj Mahal 1989 Review: नई बोतल में पुरानी शराब वाली कहानी!

नेटफ्लिक्स पर आई एक नई सीरीज 'ताज महल 1989' में लखनऊ की गलियों को दिखाया गया है. प्यार और दोस्ती की कहानियों से भरपूर इस सीरीज में कुल 7 एपिसोड हैं.

Advertisement
Taj Mahal 1989 Review Taj Mahal 1989 Review

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

ज़िंदगी क्या है? इश्क़ क्या है? दोस्ती क्या है? ऐसे कई सवाल हैं जिनका हमारी जिंदगी में कभी ना कभी हम से ताल्लुक पड़ता ही है. हम इन सवालों के जवाब ढूंढने में सारी जिंदगी बिता देते हैं. नेटफ्लिक्स पर एक ऐसी ही सीरीज आई है जो इन सवालों के इर्द-गिर्द बनी है. सीरीज में कहानी है, किस्से हैं, दोस्ती है, प्यार है और लखनऊ की गलियां हैं. सीरीज़ का नाम है 'ताजमहल 1989', इसमें क्या खास है और क्या देखने लायक, रिव्यू पढे़ं और तय करें...

Advertisement

सिर्फ 7 एपिसोड की इस सीरीज में कई कहानियां हैं जो एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. इसमें आपको नीरज काबी और गीतांजलि कुलकर्णी का शानदार काम देखने को मिलेगा, इसके साथ ही पुष्पेंद्र नाथ मिश्र का शानदार डायरेक्शन देखने को मिलेगा जिससे आपको इस सीरीज से मोहब्बत सी हो जाएगी.

कहानी क्या है?

21वीं सदी के तड़के के साथ 1990 के दशक की भारत की तस्वीर इस सीरीज में देखने को मिलती है. यानी लहजा, तरीका और अंदाज पूरी तरह से आज के वक्त का है.. फटाफट अंग्रेजी, ड्रेसिंग सेंस और कॉन्फिडेंस. लेकिन सेट, बैकग्राउंड और हालात वही 90 के दशक वाले. यह मिक्सचर सुनने में भले ही अजीब लगता हो लेकिन सीरीज में देखने में शानदार लगता है.

सीरीज में किरदार अलग-अलग हैं और उनकी कहानियां भी अलग-अलग हैं. अख्तर बेग लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं जो फिलॉसफी पढ़ाते हैं, उनकी पत्नी है सरिता जो उसी यूनिवर्सिटी में फिजिक्स पढ़ाती हैं. दो दशक से दोनों की शादी हो चुकी है, लेकिन वही घर की छोटी-छोटी खींचतान और बढ़ती उम्र के साथ प्यार में कमी, दोनों के बीच लगातार खटपट चलती ही रहती है.

Advertisement

दूसरी ओर एक कॉलेज लाइफ है, जहां तीन-चार युवा दोस्त हैं और उनकी जिंदगी में क्या बीत रहा है वह सब देखने को मिलता है. अंगद, रश्मि और धर्म तीन किरदार हैं जो दोस्त हैं और यूनिवर्सिटी में एक साथ पढ़ते हैं. रश्मि और धर्म बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं लेकिन धर्म बीच में रास्ते से भटक जाता है तो उनका साथ छोड़ जाता है.

दूसरी तरफ अंगद है जो गरीब है, अनाथ है लेकिन स्मार्ट बहुत है. साम्यवाद को लेकर उसके पास इतनी शानदार नॉलेज है कि कॉलेज की लड़कियां उसकी फैन हो जाती हैं. धर्म दूसरी तरफ शराब और राजनीति के पचड़े में फंस जाता है, जिसकी वजह से यह दोस्ती में दरार आ जाती है. और बाकी भी बहुत कुछ जिंदगी में घटता है जो सीरीज़ में देखें तो ही अच्छा लगेगा.

Malcolm X: Netflix की सीरीज ने 50 साल बाद फिर खुलवाया हत्या का केस

सीरीज़ में शानदार क्या है?

30 मिनट का एक एपिसोड और सिर्फ 7 एपिसोड, यह सीरीज छोटी भले लगती है लेकिन जितनी छोटी यह सीरीज है उतना ही ज्यादा है इससे प्यार भी होता है. सीरीज में सबसे शानदार देखना लायक है इसकी सिनेमैटोग्राफी. जिस तरीके से डायरेक्टर और कैमरामैन की जुगलबंदी ने काम किया है और लखनऊ की छोटी-छोटी चीजों को दिखाया है, ना सिर्फ लखनऊ को ध्यान में रखते हुए बल्कि समय (1989) को भी ध्यान में रखते हुए छोटी-छोटी चीजें दिखाई गई हैं. जो आपकी नजर के सामने आती हैं, एक तरफ डायलॉग बोले जा रहे हैं, दूसरी तरफ कैमरा जब घूमता है तो इस तरीके से घूमता है कि डायलॉग और सीन सब कनेक्ट हो रहा है.

Advertisement

इसके अलावा कलाकारों का काम भी शानदार देखने को मिला है. खासकर नीरज काबी और गीतांजलि कुलकर्णी, नीरज काबी को आप सैक्रेड गेम्स और तलवार जैसे फिल्मों में देख चुके जहां उनके काम ने झंडे गाडे़ हैं और वहीं गीतांजलि फोटोग्राफ-सिलेक्शन डे जैसे प्रोजेक्ट में दिख चुकी हैं.

अंगद का किरदार निभा रहे अनुद सिंह ढाका ने अपने रोल में शानदार काम किया है. साम्यवादी छात्र के रूप में जिस तरह से उन्होंने किरदार निभाया है वह आपको उनके काम की तारीफ करने के लिए मजबूर कर देगा. इन सभी के अलावा भी कई ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने अच्छा काम किया और अपने रोल में परफेक्ट दिखाई दे रहे हैं.

इसे क्लिक कर पढ़ें... देखें ये वेब सीरीज़, आपको बना सकती हैं अमेरिका का एक्सपर्ट

प्लस प्वाइंट...

इस सीरीज में फिलॉसफी की बात होती हैं जो आपको जिंदगी का ज्ञान बताती हैं. कई किस्से ऐसे साझा किए जाते हैं जो सुनने में बड़ा मजा आता है. कुछ डायलॉग ऐसे हैं जो दिल में उतरते हैं. इसके अलावा दोस्ती, प्यार और उसे निभाने के तरीके, कुछ ऐसी चीज है जो आपके दिल में उतर जाती हैं ऐसे में कुछ वक्त निकालकर इस सीरीज को देखना जरूर बनता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement