सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा यानी एनईईटी के अध्यादेश पर जल्द सुनवाई नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने गर्मी की छुट्टी के दौरान इस मामले पर सुनवाई से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि इस मामले को जुलाई में मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस, बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए राज्यों को परीक्षाएं आयोजित कराने की अनुमति देने वाले केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ याचिका पर अवकाशकाल में सुनवाई करने से इनकार किया है. कोर्ट ने कहा है कि जुलाई में अदालत में कामकाज के दोबारा शुरू होने तक इस मामले को लेकर छात्रों में कुछ सुनिश्चितता आएगी.
केंद्र का अध्यादेश उसी के पक्ष के उलट
सभी राज्यों को इस साल अपने मेडिकल टेस्ट करवाने की अनुमति देने वाले केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. व्यापम केस के व्हिसल ब्लोअर आनंद राय ने केंद्र द्वारा जारी अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए इस पर स्टे लगाने की मांग की थी. केंद्र ने इस शैक्षणिक सत्र से सभी राज्यों के लिए एनईईटी लागू करने के खिलाफ अध्यादेश जारी किया था. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह अध्यादेश केंद्र के उस पक्ष के बिल्कुल उलट है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सामने केंद्र सरकार ने देश भर में संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा का समर्थन किया था.
चीन यात्रा से पहले राष्ट्रपति ने दी थी मंजूरी
मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशभर में एनईईटी पर अध्यादेश को मंजूरी दी थी. जिसके तहत राज्यों के बोर्ड को एक साल तक एनईईटी से छूट मिल गई है. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस पर जानकारी देते हुए कहा था कि उन्होंने राष्ट्रपति को राज्य बोर्डों की विभिन्न परीक्षाओं, पाठ्यक्रम और क्षेत्रीय भाषाओं के तीन मुद्दों पर जानकारी दी. लिहाजा यही वजह है कि इस साल एनईईटी को टाल दिया गया.
2016 में लागू हुआ एनईईटी
दरअसल इसी साल से एनईईटी लागू किया गया है. राज्यों को एनईईटी से एक साल की छूट है साथ ही राज्य चाहें तो इसके तहत आ सकते हैं. इस साल से ही प्राइवेट कॉलेज भी एनईईटी के दायरे में आए हैं.
सबा नाज़ / अनुषा सोनी