किसानों की आत्महत्या पर SC ने जताई चिंता, केंद्र, राज्यों को नोटिस

अदालत ने सरकारों से फसल बीमा को लेकर उठाए गए कदमों की तफ्सील मांगी है. कोर्ट ने पूछा है कि ये योजना कितने प्रभावी ढंग से लागू की जा रही है. अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि किसान प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोन नहीं चुका पाते.

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किसानों की आत्महत्या पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख किसानों की आत्महत्या पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

अहमद अजीम

  • दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच ने इस सिलसिले में केंद्र और सभी राज्य सरकारों के अलावा आरबीआई को भी नोटिस जारी किया है. अदालत ने नोटिस का जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है.

अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने सरकारों से फसल बीमा को लेकर उठाए गए कदमों की तफ्सील मांगी है. कोर्ट ने पूछा है कि ये योजना कितने प्रभावी ढंग से लागू की जा रही है. अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि किसान प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोन नहीं चुका पाते. जजों ने पूछा कि इस मामले में कोई नीति क्यों नहीं बनाई गई है.

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याचिका में क्या था?
अदालत ने ये बातें सिटीजन्स रिसोर्स एंड एक्शन इनिशिएटिव (CRANTI) नाम की एनजीओ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं. 2014 में दायर इस याचिका में दावा किया गया था कि गुजरात में 2003 से 2013 के बीच 619 किसानों ने सुसाइड किया था. एनजीओ की मांग है कि इन किसानों के परिवारों को 5 लाख रुपये के मुआवजे के अलावा 30 हजार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से हर्जाना दिया जाए. गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि नीतिगत मामलों में अदालत कोई दखल नहीं दे सकती. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सर्वोच्च अदालत ने याचिकाका दायरा बढ़ाकर इसे पूरे देश के किसानों के लिए मान लिया है.


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