उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपयों के चीनी मिल घोटाले का मामला सामने आने के बाद पिछली सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है. मायावती सरकार के दौरान 1100 करोड़ रुपयों के चीनी मिल घोटाले के मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है.
इस घोटाले पर लखनऊ के ईडी जोनल ऑफिस में कार्रवाई की जा रही है. ईडी ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो के करीबी माने जाने वाले पूर्व आईएएस नेतराम समेत अन्य अफसरों पर भी ईडी अपना शिकंजा कसने की तैयारी में है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल अप्रैल में इस चीनी मिल घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी. आरोप है की बीएसपी सरकार के दौरान 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचकर तकरीबन 1100 करोड़ रुपयों का घोटाला किया गया था. आरोपों के मुताबिक बेची गई चीनी मिलों में 10 ठीकठाक हालत में थी जबकि 11 बंद अवस्था में थी. यह पूरा मामला साल 2010-11 के बीच का है.
सीबीआई इस मामले की जांच करते हुए हाल ही में पूर्व आईएएस अधिकारी नेतराम और बीएसपी सरकार के दौरान चीनी मिल निगम संघ के एमडी विनय प्रिय दुबे के घरों समेत उत्तर प्रदेश के 14 ठिकानों में छापेमारी कर चुकी है. इस छापेमारी में सीबीआई को काफी सबूत भी मिले थे.
अब इस मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच शुरू कर दी है. जिसमें इन सभी आरोपियों के पास मौजूद संपत्तियों, जमीनों, बेनामी संपत्तियों और दूसरे आय से अधिक संपत्ति के स्रोतों की जांच कराई जाएगी. माना जा रहा है आने वाले दिनों में जांच की आंच कई बड़े अफसरों और बिचौलियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती तक भी पहुंच सकती है.
क्या था पूरा मामला
आरोपों के मुताबिक, तत्कालीन मायावती सरकार ने एक कंपनी को फायदा दिलवाने के लिए फर्जी बैलेंस शीट और निवेश करने के लिए फर्जी कागजातों के आधार पर नीलामी में शामिल होने के योग्य बना दिया था. इस तरीके से ज्यादातर चीनी मिल इस कंपनी को औने-पौने दामों में बेच दिया गया था. इस कंपनी का नाम नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड था. जिस वक्त ये चीनी मिल नम्रता कंपनी को बेची गई थीं, उस समय यूपी में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी और मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं.
सीबीआई के मुताबिक देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, छितौनी और बाराबंकी की सात चीनी मिलों को खरीदने के लिए फर्जी कागजातों का इस्तेमाल किया गया था.
aajtak.in / शिवेंद्र श्रीवास्तव