शिवपाल के अरमानों पर मुलायम ने फेरा 'पन्ना', वर्ना आज टूट जाती सपा

मुलायम सिंह यादव आज लोहिया ट्रस्ट में प्रेस कांफ्रेंस करने उतरे तो उनके हाथों में चार पेज का प्रेस नोट था. नेताजी ने बड़ी सफाई से पहला पेज हटा दिया और बाकी पेजों की लिखी गई बातों को रखा. जबकि बगल में बैठे शारदा शुक्ल बार-बार पहला पेज पढ़ने के लिए दे रहे थे,

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समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 25 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव पुत्रमोह में भाई शिवपाल के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. मुलायम सिंह को सोमवार को समाजवादी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने का एलान करना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. शिवपाल मुलायम के जरिए अखिलेश यादव को राजनीतिक सिखाने की कवायद कर रहे थे, लेकिन नेताजी ने ऐसा सियासी दांव चला कि शिवपाल ही ठिकाने लग गए.  

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मुलायम सिंह यादव आज लोहिया ट्रस्ट में प्रेस कांफ्रेंस करने उतरे तो उनके हाथों में चार पेज का प्रेस नोट था. नेताजी ने बड़ी सफाई से पहला पेज हटा दिया और बाकी पेजों की लिखी गई बातों को रखा. जबकि बगल में बैठे शारदा शुक्ल बार-बार पहला पेज पढ़ने के लिए दे रहे थे, लेकिन नेताजी ने उसे पढ़ा ही नहीं.

दरअसल पहले पेज पर नई पार्टी बनाने की बात लिखी हुई थी, जिसके मुलायम सिंह यादव को प्रेस कांफ्रेंस के जरिए बताने वाले थे. नेताजी ने इस नई पार्टी बनाने वाले पेज को पढ़ा ही नहीं, बल्कि उलट उन्होंने कहा कि मैं कोई नई पार्टी नहीं बना रहा हूं. इतना ही नहीं उन्होंने अखिलेश और शिवपाल में से एक को चुनने वाले सवाल को भी टाल गए.

नेताजी ने जिस पेज को पढ़ा नहीं उसमें लिखा था कि "पिछले एक साल से लगातार किसी न किसी कारण से अपमानित होने के बावजूद पार्टी को एक रखने की कोशिश की, लेकिन 23 सितंबर (शनिवार) को प्रदेशीय सम्मेलन में मुझे आमंत्रित तक नहीं करने के कारण अपमानित महसूस कर रहा हूं." जबकि पार्टी  की स्थापना साल 1992 में मेरे ही द्वारा की गई थी. जो की यह देश के समाजवादी आंदोलन का अहम और प्रमुख भाग रहा है.

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देश के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान रखते हुए मैंने फैसला लिया है कि अलग संगठन दल बनाकर समान विचारधारा वाले लोगों को साथ लेकर राजनीतिक रास्ता बनाया जाएगा. जिसकी रूपरेखा शीघ्र तैयार की जाएगी. किसानों, बेरोजगारों, मुसलमानों की आवाज कोई नहीं उठा रहा है, इसलिए मजबूर होकर मैं यह निर्णय ले रहा हूं''

सपा के प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने जिस समाजवादी विचारधारा और पार्टी को अपने हाथों से खड़ा किया उसे अखिलेश यादव आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में नेताजी उसे अपने हाथों से कैसे कमजोर करते. नेताजी ने उन सबके अरमानों पर पानी फेर दिया है जो लोग समाजवादी विचारधारा और पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे.

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