ऑस्ट्रेलियाई अखबार ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ने शुक्रवार को फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस द्वारा भारत में बनाए जा रहे छह स्कॉर्पिन पनडुब्बियों को लेकर दस्तावेजों की दूसरी किश्त जारी की है. इस नए लीक दस्तावेजों में पनडुब्बी के जल के भीतर की युद्ध प्रणाली के संचालन निर्देशों से जुड़ी सूचना है.
हालांकि, एक शीर्ष रक्षा विश्लेषक ने इस आशंका को खारिज किया है कि इससे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लड़ाकू पोतों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है. पहले की तरह ही अखबार ने वे ब्योरे जारी नहीं किए, जिनसे उसे भारत के सुरक्षा हित प्रभावित होने की आशंका थी.
सोनार प्रणाली का पूरा ब्योरा लीक
दस्तावेजों के नए सेट में पनडुब्बियों की सोनार प्रणाली के ब्योरे दिए गए हैं, जिसका इस्तेमाल पानी के भीतर खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए किया जाता है. दस्तावेजों पर भारतीय नौसेना का प्रतीक चिह्न है और साथ ही 'रेस्ट्रिक्टेड स्कार्पिन इंडिया' लिखा है. इसमें सोनार की तकनीकी विशिष्टताओं और वह किस डिग्री व फ्रीक्वेंसी पर काम करेगा, इसका विस्तार से जिक्र है.
नौसेना की वेबसाइटों पर है जिक्र
दस्तावेज में 'संचालन निर्देशन नियमावली’ है जो हथियार दागने के लिए निशाने का चयन करने के तरीके, हथियार की बनावट चयन के बारे में बताता है. नौसेना ने नए दस्तावेज जारी किए जाने को लेकर आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं दी है. सूत्रों ने कहा है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पनडुब्बी से जुड़ी इसी तरह की सूचना कई नौसेना रक्षा वेबसाइटों पर भी उपलब्ध है.
'इससे कोई खतरा नहीं'
रक्षा विशेषज्ञ और सोसाइटी ऑफ पॉलिसी स्टडीज के निदेशक कमोडोर (रिटायर्ड) उदय भास्कर ने कहा, 'एकबारगी लगता है कि दस्तावेज मूल रूप से संचालन की नियमावली हैं. आप बाजार से कोई भी सामान खरीदें, उसके साथ संचालन नियमावली मिलेगी.' उन्होंने कहा कि यह अगर यह पूछा जाए कि ताजा खुलासे से हमारी पनडुब्बियां खतरे में पड़ जाएंगी, तो उनका जवाब ना में होगा. भास्कर ने कहा, 'यह यूजर के लिए बुनियादी संचालन निर्देश जैसा है.'
स्वपनल सोनल / BHASHA