CAA-NRC के विरोध में रविवार को भी प्रदर्शन जारी, लोगों को समझाने के लिए संघ की नई तैयारी

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर लोगों को एकमत करने के लिए एक तरफ केंद्र सरकार, संघ और बीजेपी लगातार प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ इन सभी प्रयासों को नाकाफी बताते हुए सीएए के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है.

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CAA के विरेध में जारी है विरोध प्रदर्शन CAA के विरेध में जारी है विरोध प्रदर्शन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST

  • नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया इलाके में 17वें दिन प्रदर्शन जारी
  • संघ ने सीएए पर अल्पसंख्यकों को मनाने के लिए बीजेपी को दिया होमवर्क

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर लोगों को एकमत करने के लिए एक तरफ केंद्र सरकार, संघ और बीजेपी लगातार प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ इन सभी प्रयासों को नाकाफी बताते हुए सीएए के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है. इस कानून के विरोध में सभी धर्म के लोग आगे आ रहे हैं. रविवार को सीएए, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक अनोखे विरोध प्रदर्शन में कुछ महिलाओं ने चेन्नई के बेसंत नगर इलाके में 'कोलम' (रंगोली) बनाई और नो टू सीएए, नो टू एनआरसी और नो टू एनपीआर लिखा.

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जिसके बाद सिटी पुलिस ने विरोध कर रही छह महिलाओं को हिरासत में लिया, हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. 'कोलम' ने बड़ी संख्या में लोगों का ध्यान आकर्षित किया जिस वजह से यातायात बाधित हुआ.

पुलिस ने पहले संपर्क किए जाने पर इस तरह के 'कोलम' को बनाए जाने की अनुमति देने से इनकार किया. हालांकि, महिलाओं का यह समूह अपनी योजना के साथ आगे बढ़ा. इन्हें पुलिस ने कम्युनिटी सेंटर में हिरासत में लिया, जिसके कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.

वहीं द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. एक फेसबुक पोस्ट में स्टालिन ने कहा कि यह अन्नाद्रमुक सरकार के अत्याचार का एक अन्य उदाहरण है, जो संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के इस्तेमाल को रोकता है.

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जामिया में एक आंख पर पट्टी बांधकर प्रदर्शन

अपने एक साथी छात्र के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए जामिया मिलिया के छात्रों ने सीएए, एनआरसी और पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ अपने प्रदर्शन को जारी रखा. रविवार को प्रदर्शन का 17वां दिन था. विरोध-प्रदर्शन को विभिन्न छात्र संगठनों व स्थानीय निवासियों का समर्थन प्राप्त है. छात्र ने 15 दिसंबर को पुलिस की कार्रवाई में अपनी एक आंख गंवा दी थी.

प्रदर्शनकारी असलम ने कहा कि एक आंख पर पट्टी बांधकर प्रदर्शन करना मोहम्मद मिन्हाजुदीन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए है. मिन्हाजुदीन अपनी एक आंख खो चुके हैं, लेकिन परिसर में तबाही के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी व बल के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं गई है.

सीएए का विरोध अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर विरोध में भी बदल चुका है. छात्रों का कहना है कि यह राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की दिशा में एक कदम है.

शाहीन बाग में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन

उधर, शाहीन बाग में कड़ाके की ठंड में महिलाओं का विरोध प्रदर्शन दिन-रात जारी है, जिसमें सैकड़ों नागरिक समर्थन देने के लिए आ रहे हैं. जामिया में पुलिस कार्रवाई के बाद विरोध प्रदर्शन को बल मिला है. प्रदर्शनकारियों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन के खिलाफ कार्रवाई पर शुक्रवार को यूपी भवन के तरफ मार्च किया था, लेकिन उन्हें पुलिस ने रोक दिया था.

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असम में सीएए के विरोध में प्रदर्शन जारी

सीएए के विरोध में असम में हजारों लोग रविवार को सड़कों पर उतरे और कानून वापस लिये जाने तक प्रदर्शन का संकल्प लिया. विपक्षी कांग्रेस ने 22 दिसंबर को सदिया से धुबरी तक 800 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू की थी जो गोलाघाट पहुंची और हजारों लोगों ने इसमें भाग लिया.

सीएए के विरोध में नलबाड़ी में बड़ा प्रदर्शन हुआ जहां प्रसिद्ध गायक जुबिन गर्ग ने 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले एक नए क्षेत्रीय राजनीतिक दल के गठन का संकेत दिया.

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस, एजीपी और बीजेपी सभी ने हमें ठगा है. हमें कुछ नया सोचना होगा. अगर जरूरत पड़ी तो हम अपनी पार्टी बनाएंगे और चुनाव लड़ेंगे.’’

गुवाहाटी, बकसा, ढेकियाजुली, गोलपाड़ा, कार्बी आंगलोंग, बोकाजन, हावड़ाघाट, नाहरकटिया, आमगुरी, डूम डूमका, कामपुर, रांगिया, बारपेटा तथा बोकाघाट में भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुए.

सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों ने अपने नेता अखिल गोगोई को रिहा करने की मांग की जिन्हें प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था.

सीएए और एनआरसी के खिलाफ पुणे में प्रदर्शन

महाराष्ट्र के पुणे जिले में रविवार को सैकड़ों लोगों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ मार्च निकाला. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान नए कानून के विरोध में नारे लगाए और हाथों में तख्तियां लिए हुए थे. तख्तियों पर मोदी सरकार और सीएए तथा एनआरसी के खिलाफ नारे लिखे थे.

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इस मार्च का आयोजन विभिन्न वामपंथी और मुस्लिम संगठनों ने किया था. इसकी शुरुआत गोलीबर मैदान से हुई और संभागीय आयुक्त के कार्यालय पर समाप्त हुई.

प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी नारेबाजी की. शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है.

मैं एनपीआर फॉर्म नहीं भरूंगा : अखिलेश

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए फार्म नहीं भरेंगे. उन्होंने कहा, "बीजेपी तय नहीं करेगी कि मैं भारतीय हूं या नहीं. हम रोजगार चाहते हैं, एनपीआर नहीं."

हाल में राज्य में हुए सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) विरोधी प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए अखिलेश ने कहा कि पुलिस फायरिंग में लोगों के मारे जाने के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं.

उन्होंने कहा, "हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट क्यों नहीं दी जा रही है? सरकार नहीं चाहती कि सच्चाई लोगों तक पहुंचे, क्योंकि वह जनता में बढ़ते गुस्से से आशंकित है. मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए अन्याय कर रहे हैं. यहां तक उनके विधायक उनके खिलाफ हैं."

सपा अध्यक्ष ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बुरी दशा में है, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.

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एनआरसी संभव नहीं : हेमंत सोरेन

सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ट्वीट किया, "मुझे नहीं लगता कि एनआरसी लागू करने योग्य है और इसे लागू करना संभव भी है. पूरा देश सीएए के खिलाफ खड़ा हो गया है. यह तब हो रहा है, जबकि हमारा देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है. हम लोगों को फिर से कतार में खड़ा नहीं कर सकते हैं, जैसा कि नोटबंदी के दौरान हुआ था."

एक अन्य ट्वीट में सोरेन ने 'नोटबंदी' का जिक्र करते हुए कहा, "नोटबंदी के कारण कई लोगों की जान चली गई. इसकी क्या आवश्यकता है? खोए हुए जीवन की जिम्मेदारी कौन लेगा? सीएए के विरोध को भी सरकार पुलिस के माध्यम से शांत करना चाह रही है. यह लोकतंत्र नहीं, कुछ और है."

सीएए, एनआरसी समझाने के दौरान बीजेपी नेता पर हमला

अमरोहा जिले में नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के फायदे बताने के दौरान भारतीय जनता पार्टी के एक नेता की स्थानीय लोगों ने पिटाई कर दी. बीजेपी नेता को वहां से भागना पड़ा.

रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी की जिला अल्पसंख्यक शाखा के महासचिव मुर्तजा आगा काजमी को शुक्रवार को अमरोहा के लकड़ा मोहल्ला में घेर लिया गया और उनकी पिटाई कर दी गई.

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भारत को विभाजित करने वाली कांग्रेस अब सीएए का विरोध कर रही : नड्डा

बीजेपी ने सीएए पर धारणा की लड़ाई जीतने के लिए एक विशाल राष्ट्रव्यापी प्रचार अभियान शुरू किया है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस कानून को दलितों के उत्थान से जोड़ते हुए कहा, "सीएए के माध्यम से जिनको फायदा होगा, उनमें से 70 प्रतिशत लोग दलित समुदाय से आते हैं. ऐसे में कई दलित नेता कानून को लेकर बहस कर रहे हैं. कम से कम बोलने से पहले सोचें."

केरल में सीएए पर सर्वदलीय बैठक का बीजेपी ने किया बहिष्कार

सीएए को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से केरल बीजेपी  के नेताओं ने वॉकआउट किया. बीजेपी राज्य इकाई ने इस बैठक को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि यह बैठक सीएए को लेकर चर्चा के लिए बुलाई गई है, जो पहले ही कानून बन चुका है.

सीएए पर मचे बवाल को थामने आगे आया संघ

सीएए पर देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मोर्चा संभाल लिया है. संघ इस संदर्भ में अब बीजेपी नेताओं को नया होमवर्क दे रहा है. संघ ने इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश की है.

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आरएसएस ने शनिवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की एक बैठक मेरठ के संघ कार्यालय में बुलाई थी. बैठक में पश्चिम उत्तर प्रदेश से संघ के कई पदाधिकारी भी शामिल हुए. बैठक में फैसला हुआ कि अल्पसंख्यक समाज में नागरिकता कानून के बारे में फैले भ्रम और भय को दूर किया जाए.

सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए पूरे उत्तर प्रदेश में छह रैलियां आयोजित करने का निर्णय लिया गया. बैठक में यह भी तय हुआ कि सभी सांसद और मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में पदयात्रा निकालेंगे, जो एक जनवरी से 15 जनवरी के बीच होगी.

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