निजीकरण, विनिवेश नीतियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगा RSS से जुड़ा संगठन

बीएमएस नेता के मुताबिक नवंबर में होने वाले विचार मंथन में कोयला और स्टील समेत सभी उद्योगों के यूनियन प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. साथ ही बैंकिंग सेक्टर, बीमा और अन्य PSUs के यूनियन नेता भी इस मंथन में हिस्सा लेंगे.

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भारतीय मजदूर संघ ने जताया विरोध भारतीय मजदूर संघ ने जताया विरोध

आनंद पटेल

  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:16 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने मोदी सरकार की विनिवेश नीति के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए कमर कस ली है. बीएमएस की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में 15 नवंबर को अखिल भारतीय सम्मेलन बुलाने की तैयारी की जा रही है.

क्या कहना है BMS के महासचिव विर्जेश उपाध्याय का?

बीएमएस के महासचिव विर्जेश उपाध्याय ने इंडिया टुडे से कहा, 'हम सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) में विनिवेश के जरिए स्वामित्व बदलने की सरकार की नीति के खिलाफ हैं.'  

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उपाध्याय के मुताबिक दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में विभिन्न सेक्टरों से जुड़ी यूनियन्स के एक हजार से अधिक प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है. इस सम्मेलन में समन्वित रणनीति बनाई जाएगी. बीएमएस का मानना है कि सार्वजनिक सेक्टर की इकाइयों को लेकर सरकार की ओर से धड़ाधड़ निजीकरण और विनिवेश के कदम उठाने से कर्मचारियों के दिमाग में डर पैदा हो गया है.  

बीएमएस नेता के मुताबिक नवंबर में होने वाले विचार मंथन में कोयला और स्टील समेत सभी उद्योगों के यूनियन प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. साथ ही बैंकिंग सेक्टर, बीमा और अन्य PSUs के यूनियन नेता भी इस मंथन में हिस्सा लेंगे. उपाध्याय ने कहा कि सरकार को PSUs में निजीकरण और विनिवेश बंद करना चाहिए और बीमार PSUs की सेहत सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए.

श्रम कानून पूंजीवादियों के हित में?

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बीएमएस महासचिव के मुताबिक आज हमारे PSUs समेत संगठित सेक्टर में 87% ठेके पर कर्मचारी हैं. सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि श्रम कानून सुधार अमानवीय ना होकर कर्मचारियों के हित में हों . उपाध्याय ने कहा, 'मौजूदा सरकार पिछली सरकार की ही उन नीतियों पर जोर दे रही है जो पूंजीवादियों के हित में थी. हम इससे निपटने के लिए अपने सम्मेलन में एजेंडा तय करेंगे. '

उपाध्याय ने कहा, 'ऑटोमेशन की वजह से मानव को नौकरियां मिलने की जगह रोबोट्स लाए जा रहे हैं. इससे श्रमिकों की मांग घट रही है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.' बीएमएस नेता ने आरोप लगाया कि आज राजनीतिक दल बुनियादी आमदनी के लिए एक न्यूनतम स्तर तय करने में अधिक दिलचस्पी ले रही हैं चाहे वो आम आदमी से जुड़ा मामला हो या व्यापारी से.

बीएमएस से जुड़ी यूनियन 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. इसके जरिए सरकार की गलत आर्थिक और श्रम नीतियों को दुरूस्त कराने के लिए आंदोलन छेड़ने को कर्मचारियों को तैयार किया जाएगा.

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