मोदी सरकार के प्रस्तावित 3 श्रम क़ानूनों को RSS के मज़दूर संघ ने ठुकराया, सिर्फ 1 को अपनाया

देश में पुराने 44 के बदले नए चार श्रम कानूनों को लागू करने के लिए मोदी सरकार की ओर से तैयार चार में से तीन बिलों को आरएसएस से जुड़े देश के सबसे बड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने ठुकरा दिया है.

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भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष साजी नारायण भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष साजी नारायण

नवनीत मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST

  • प्राइवेट फंड मैनेजर्स को सरकार न सौंपे कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई, डूबेंगे तो कौन होगा ज़िम्मेदार?: BMS
  • कोड ऑन वेजेज को BMS ने ठीक बताया, ओएसएच को विचार के लिए संसदीय कमेटी को भेजे जाने की मांग की

देश में पुराने 44 के बदले नए चार श्रम कानूनों को लागू करने के लिए मोदी सरकार की ओर से तैयार चार में से तीन बिलों को आरएसएस से जुड़े देश के सबसे बड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने ठुकरा दिया है. सरकार लोकसभा में फिलहाल मजदूरी और वेतन तथा कर्मचारियों की सुरक्षा से जुड़े दो बिलों- कोड ऑन वेजेज और लेबर कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन्स (OSH) को पेश कर चुकी है. इसमें से सिर्फ़ कोड ऑन वेजेज को ही बीएमएस ने ठीक बताया है, जबकि ओएसएच में कुछ खामियां बताते हुए विचार के लिए संसदीय कमेटी को भेजे जाने की मांग की है.

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AajTak.in से बात करते हुए भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष साजी नारायण ने कहा कि इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट की जगह तैयार इंडस्ट्रियल रिलेशंस (IR) कोड तो इंडस्ट्रीज की शांति छीन लेगा. इसमें मौजूद एंटी लेबर प्रावधानों को हटाए बिना बिल पास हुआ तो ठीक नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि लेबर कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर बिल 2019 पर भारतीय मज़दूर संघ को कुछ आपत्तियां हैं. दावा है कि आरएसएस से जुड़े मज़दूर संगठन की ओर से इन दो बिल को कर्मचारी और मजदूर विरोधी बताए जाने के चलते ही सरकार इसे अभी तक लोकसभा में पेश नहीं कर सकी है.

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि हड़ताल के अवैध घोषित होने पर कर्मचारियों के आठ दिन की सैलरी कटे. इतना ही नहीं मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए बने ट्रेड यूनियन्स को भी कमजोर करने जैसी बातें नए बिल में हैं. भला सोचिए, मज़दूर संघों में कौन पदाधिकारी बनेगा, यह सरकार कैसे तय कर सकती है? ट्रेड यूनियन्स में सरकार की दखलंदाजी नहीं चलेगी.

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साजी नारायण ने छह करोड़ से अधिक EPF और ESIC अंशदाताओं की लाखों-करोड़ की धनराशि भी प्राइवेट फंड मैनेजर्स को दिए जाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई प्राइवेट फंड मैनेजर्स शेयर मार्केट में लगाते हैं. अगर पैसा डूबा तो कौन जिम्मेदार होगा? हमने सरकार से इस पैसे की सुरक्षा के लिए गंभीरता से काम करने की मांग की है.

उन्होंने बताया कि भारतीय मजदूर संघ ने वर्कर्स के खिलाफ तैयार सभी प्रावधानों को हटाने के बाद ही इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड को संसद में पेश करने की मांग की है. तीनों श्रम कानूनों पर सभी आपत्तियों के बारे में सरकार को बता दिया गया है. श्रम मंत्री संतोष गंगवार भी भेंटवार्ता के दौरान मांगें गंभीरता से सुन चुके हैं. उन्होंने जरूरी सुधार बिल में शामिल किए जाने का आश्वासन दिया है.  

वेज बिल अच्छा, लाभ पाएंगे 40 करोड़ से ज्यादा

भारतीय मज़दूर संघ के अध्यक्ष साजी नारायणन ने मोदी सरकार की ओर से लाए गए कोड ऑन वेजेज की सराहना की. उन्होंने कहा कि पहले के न्यूनतम मजदूरी के प्रावधानों के दायरे में सिर्फ सात प्रतिशत कर्मचारी ही लाभ पाते थे. मगर मोदी सरकार ने सीमा तोड़ते हुए संगठित- असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों को इस दायरे में ला दिया है, जिससे 40 करोड़ से ज्यादा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी समेत अन्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा.

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