ब्रिटेन में यूरोपियन यूनियन से अलग होने को लेकर हुए रेफरेंडम के बाद नस्लवादी टिप्पणियों और धमकी की घटनाओं में तेजी देखी जा रही है. यह हाल ब्रिटेन की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह दिखाई दे रहा है.
रग्बी बाजार में रह रहे एक पूर्वी यूरोपियन ने हाल ही में शिकायत की है कि किसी ने उनके मेलबॉक्स में कुत्ते का पेशाब फेंक दिया. कुछ शराबी लोगों ने लंदन में सब-वे के अंदर एक कार सवार से गाली गलौज की, जिसके बाद दोनों में झड़प होते होते रह गई. ग्लूस्टरशायर में एक पोलिश लड़की को हाई स्कूल से बाहर निकालने की धमकी मिली और ताना मारा गया.
'शुक्रवार से पूरी तरह बदल गए हैं हालात'
यह हाल कमोबेश पूरे ब्रिटेन का है, जहां ईयू के रिजल्ट के बाद xenophobia यानी विदेशी लोगों को पसंद नहीं करने के व्यवहार में बढ़ोतरी हुई है. आलम यह है कि विदेश में जन्म लेने वाले या निकट के इलाकों से ताल्लुक रखने वालों को यूके अचानक ही किसी डरावने जगह की तरह लगने लगा है. 32 साल की रोमानियन ओआना कहती हैं, 'शुक्रवार से पहले हम एक सहिष्णु समाज में रह रहे थे. मैं 13 साल से यहां हूं. मैंने कभी ये महसूस नहीं किया कि मुझे यह छिपाने की जरूरत है कि मैं कहां की मूल निवासी हूं. लेकिन शुक्रवार से हालात पूरी तरह बदल गए हैं.'
'ब्रिटेन में लगने लगा है डर'
ट्विटर और फेसबुक पर कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जहां लोगों ने महसूस किया है कि उनके साथ भेदभाव किया गया है, वो भी सिर्फ इसलिए कि वे काले हैं या फिर मूल रूप से ब्रिटिश नहीं हैं. इस बारे में सोशल मीडिया पर भी ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है, जहां लोग बता रहे हैं कि उन्हें ब्रिटेन में डर लगने लगा है.
मुसलमानों के खिलाफ कई घटनाएं
ब्रिटेन के स्काई न्यूज के प्रेजेंटर एडम बॉलटॉन ने ट्विटर पर लिखा कि उनकी फैमिली और उनसे अलग-अलग घटनाओं में धमकी और गाली-गलौज करते हुए पूछा कि वह अपने घर कब जा रहे हैं? ब्रिटेन में रहने वाले मुस्लिम समुदाय को भी ऐसी ही परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. मुस्लिम काउंसिल ऑफ ब्रिटेन के महासचिव मिकदाद वर्सी कहते हैं, 'देशभर में मुस्लिम समुदाय से नस्लवाद और भेदभाव के कारण हिंसा की 100 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं. लोग हमसे कह रहे हैं कि अपने घर जाओ . इस तरह की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है.'
'...जैसे लोगों को छूट मिल गई है'
दूसरी ओर, ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने का समर्थन करने वाले नेताओं ने ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा की है. यूनाइटेड किंगडम इंडीपेंडेंस पार्टी के नेता निगेल फराज कहते हैं, 'मैंने कभी ऐसे व्यवहार का समर्थन नहीं किया और न ही कभी करूंगा.' जबकि ब्रिटिश लॉमेकर हरमन कहते हैं, 'नेताओं के ब्रेक्जिट कैंपेन को लेकर ऐसा महौल बनाया है कि लोगों को ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें नस्लवाद और बाहरी लोगों के खिलाफ कुछ भी बोलने, करने की छूट मिल गई है.'
स्वपनल सोनल