दफ्न हो गई 23 साल पुरानी दुश्मनी, नई दोस्ती की गवाह है ये तस्वीर

गेस्ट हाउस कांड के बाद से सपा बसपा के बीच दुश्मनी इस कदर थी कि मायावती की नजर में सपा नेता फूटी आंख नहीं सुहाते थे. लेकिन 23 साल बाद सियासी हालात ने दोनों पार्टियों को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया कि फिर दोनों को एक दूसरे की मदद के लिए हाथ मिलाना पड़ा.

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सपा नेता राम गोविंद चौधरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती सपा नेता राम गोविंद चौधरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 7:25 AM IST

उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को हार और सपा को जीत मिली. इस जीत के साथ 23 साल पुरानी सपा-बसपा की दुश्मनी भी पूरी तरह से दफन होती नजर आई. इसका नजारा सूबे की राजधानी लखनऊ में देखने को मिला. बीएसपी सुप्रीमो मायावती को सामने देखकर यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने झुककर उनका अभिवादन किया. मायावती ने भी मुस्कुरा कर उनके अभिवादन का जवाब दिया.

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बता दें कि बीजेपी की राम मंदिर लहर को रोकने में 1993 में मुलायम सिंह यादव और बसपा संस्थापक कांशीराम के गठबंधन ने सफलता दर्ज की थी. लेकिन सपा-बसपा की दोस्ती दो साल ही चली. 1995 में बसपा ने समर्थन वापस लिया तो ये दोस्ती दुश्मनी में तब्दील हो गई. इसके बाद सपा विधायकों ने लखनऊ में मायावती पर गेस्ट हाउस में जानलेवा हमला किया.

गेस्ट हाउस कांड के बाद से सपा बसपा के बीच दुश्मनी इस कदर थी कि मायावती की नजर में सपा नेता फूटी आंख नहीं सुहाते थे. 23 साल के बाद सियासी हालत ने दोनों पार्टियों को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया कि फिर दोनों को एक दूसरे की मदद के लिए हाथ मिलाना पड़ा.

उपचुनाव में बसपा के समर्थन से सपा ने फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी मात दी है. इसके बाद बसपा और सपा के बीच नजदीकियां बढ़ती दिख रही हैं. सपा के दिग्गज नेता राम गोविंद चौधरी ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती से हाथ जोड़कर नमस्ते की. मायावती ने भी मुस्कुरा कर, हाथ जोड़कर उनके अभिवादन का जवाब दिया. इतना ही नहीं, चंद मिनटों तक मायावती से चौधरी बातचीत करते रहे.

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फोटो और वीडियो देखकर लगता है कि सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने मायावती को फूलपुर और गोरखपुर में पार्टी की जीत के लिए धन्यवाद दे रहे हैं. बता दें कि दोनों सीटों पर बसपा ने सिर्फ जुबानी समर्थन नहीं दिया था बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमीनी स्तर पर उतरकर चुनाव प्रचार भी किया था.

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