Petrol Diesel Price: जेटली के चैलेंज से उल्टे फंसे मोदी सरकार पर हमलावर ये विपक्षी नेता

पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों पर विपक्षी हंगामे के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2.50 रुपये प्रति लीटर कम करने का फैसला किया. इसके बाद बीजेपी शासित कई राज्यों ने भी 2.50 रुपये प्रति लीटर वैट कर में कटौती की है. इस तरह 5 रुपये प्रति लीटर दाम कम हुए हैं. लेकिन इस दांव से कहीं विपक्ष फंस तो नहीं गया है.

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ईंधन के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के साथ (फोटो क्रेडिट, congress) ईंधन के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के साथ (फोटो क्रेडिट, congress)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

देश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर विपक्ष सख्त तेवर अख्तियार कर मोदी सरकार को घेरने में जुटा हुआ था. ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती का ऐलान कर दिया.

मोदी सरकार की घोषणा के बाद ही बीजेपी/एनडीए शासित कई राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य स्तरीय वैट कर में 2.50 रुपये प्रति लीटर कटौती और कर दी. इनमें गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर, उत्‍तराखंड, गोवा, महाराष्‍ट्र और हरियाणा में पेट्रोल-डीजल की प्रभावी कीमत पांच रुपये प्रति लीटर कम हो गए हैं.

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अरुण जेटली और बीजेपी के इस दांव से पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों पर मुखर रहने वाले विपक्ष के नेता ही अब घिर गए हैं और उन पर भी पांच रुपये की कटौती का दबाव बढ़ गया है.

बता दें कि पिछले महीने 10 सितंबर को पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर कांग्रेस ने 'भारत बंद' का आह्वान और देश भर में प्रदर्शन किया था. दिल्ली के जंतर-मंतर पर कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के 20 दलों के नेताओं ने एक मंच पर आकर पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के लिए मोदी सरकार पर जमकर हमले किए थे.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर मोदी सरकार पर हमलों में सबसे ज्यादा मुखर थे.

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बीजेपी शासित राज्यों में 5 रुपये की कटौती के बाद विपक्ष जिन राज्यों में सत्ता में है, वहां दाम घटाने का दबाव बढ़ गया है. मौजूदा समय में कांग्रेस की पंजाब, मिजोरम, पुडुचेरी और कर्नाटक में सरकारें है. इनमें से तीन राज्यों में कांग्रेस की अकेले दम पर सरकार है. जबकि कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार चला रही है. जेटली के चैलेंज के बाद कांग्रेस शासित किसी भी राज्य में तेल कीमतों में कटौती नहीं की गई है.

कर्नाटक ने ईंधन कीमतों में और कटौती करने से मना कर दिया है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों के लेकर मुखर रहने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है. जबकि पंजाब ने शुक्रवार को इस पर निर्णय लेने की बात कही है.

इसी तरह से टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वैट में कटौती नहीं की है. हालांकि उन्होंने पिछले दिनों एक रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी. अब ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार तेल कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर कमी करे. लेकिन ममता ने बीजेपी शासित राज्यों की तरह 2.50 रुपये प्रति लीटर कम नहीं किए हैं.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार की कटौती के बाद अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. जबकि वो लगातार पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं. हालांकि उन्होंने पिछले दिनों 2 रुपये की कटौती की थी. यही वजह है कि अब दोबारा कटौती करना उनके लिए आसान नहीं है.

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पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों को लेकर मोदी सरकार पर हमला करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी अब दबाव बढ़ गया है. अभी तक उन्होंने ईंधन के दामों में राज्य कर में कोई कटौती नहीं की है. इस तरह कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने भी किसी तरह की कटौती नहीं की है. हालांकि पिछले महीने ही उन्होंने 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है.

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