वाजपेयी ने संसद हमले के बाद भी कहा था युद्ध समस्या का हल नहीं: पंडित जसराज

पंडित जसराज ने बताया कि संसद हमले के बाद तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था, पंडित जी! पाकिस्तान को तो तीस मिनट में दुनिया के नक्शे से हटा सकते हैं. बिल्कुल साफ...लेकिन उसके बाद देश तीस साल पीछे ऐसे चला जाएगा कि हम आप तब के हालात के बारे में सोच भी नहीं सकते. युद्ध के बगैर शत्रु को हराने के उपाय भी हैं.

Advertisement
पंडित जसराज पंडित जसराज

सबा नाज़ / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने संसद पर हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हुई मुलाकात की याद आज तक के साथ साझा की. पंडित जसराज ने बताया कि संसद हमले के बाद तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था, पंडित जी! पाकिस्तान को तो तीस मिनट में दुनिया के नक्शे से हटा सकते हैं. बिल्कुल साफ...लेकिन उसके बाद देश तीस साल पीछे ऐसे चला जाएगा कि हम आप तब के हालात के बारे में सोच भी नहीं सकते. युद्ध के बगैर शत्रु को हराने के उपाय भी हैं.

Advertisement

उरी हमले के बाद हर कोई गुस्से में है और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कह रहा है. भारतीयों का ऐसा ही गुस्सा 13 दिसंबर 2001 के दिन संसद पर हमले के बाद भी था. तब भी यही कहा जा रहा था कि आखिर हम किस दिन की राह देख रहे हैं. पाकिस्तान को नेस्तनाबूद क्यों नहीं कर रहे. उरी हमले के बाद से रंज और गम के ऐसे ही माहौल में भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिविंग लीजेंड पंडित जसराज ने भी तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कुछ ऐसा ही कहा था.

तीस मिनट के युद्ध से 30 बरस पिछड़ जाएगा देश
पंडित जसराज जी को आज भी याद है 2002 के मार्च की वो शाम. तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी से रेसकोर्स रोड पर हुई कई मुलाकातों में से वो शाम कुछ खास थी. पंडित जी बताते हैं कि तब वाजपेयी जी और मैं ही कमरे में थे कोई सिक्योरिटी भी नहीं. तब मैंने वाजपेयी जी से पूछा था, हुजूर... हम क्यों इंतजार कर रहे हैं अब तो हमारी संसद पर भी नापाक पाकिस्तानियों ने हमला कर दिया. हम पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब क्यों नहीं दे रहे. इस पर वाजपेयी का तपाक से जवाब आया, 'पंडित जी...युद्ध से जवाब देना बहुत आसान है. भारत सिर्फ तीस मिनट में पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे से हटा सकता है. लेकिन उस तीस मिनट के युद्ध के बाद हमारा देश जो तीस साल पीछे जाएगा उसकी कल्पना भी हम आप नहीं कर सकते. सोच भी नहीं सकते कि नई नस्लें कैसे उसकी विभीषिका झेलेंगी.'

Advertisement

अमेरिका ने चुकाई युद्ध की कीमत
तब पंडित जी को लगा था कि भारत अब भी पंचशील जैसे सिद्धांतों का पुजारी है और वाजपेयी जी की उम्र भी हो गई है. शायद ऐसी सोच उम्र के असर से हो. तब वाजपेयी जी की बात का असली मर्म समझ में नहीं आया था. लेकिन इतने साल बाद दुनिया के अनुभव हासिल हुए तो पता चलता है कि वाजपेयी जी की सोच कितनी आगे तक की थी. इराक और अफगानिस्तान से दो दो हाथ करने वाले अमेरिका की दशा देखकर सब कुछ समझ में आ जाता है. अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान में युद्ध तो लड़ा और अपने मन की कर भी ली लेकिन उन दो सैन्य कार्रवाइयों में अमेरिका जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था को कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है इसकी असलियत अमेरिकी जनता और शासन के अलावा जान पाना बेहद मुश्किल है.

युद्ध से मानवता का होगा नुकसान
अब लगता है कि युद्ध तो 2001 या 2002 में भी लड़कर पाकिस्तान को करारा सबक सिखाया जा सकता था लेकिन हीरोशीमा और नागासाकी की तस्वीर जेहन के आगे आते ही आत्मा कांप जाती है. हम पाक पर हमला कर देते, जीत भी जाते लेकिन पाकिस्तान चुप तो बैठता नहीं हमारा थोड़ा ही सही लेकिन नुकसान तो होता. वो थोड़ा भी जहर जब हमारी नस्लों तक रिसता रहता तो उसे देखकर देखकर ज्यादा तकलीफ होती. दरअसल, पाकिस्तान के साथ सीधा युद्ध किसी के भी हित में नहीं होगा क्योंकि इससे नुकसान मानवता का है. सरहदें और सियासतें तो बिगड़ कर फिर बन सकती हैं लेकिन मानवता का क्या होगा. बड़ा सवाल अब भी यही है और तब भी यही होगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement