दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के जासूसी के आरोपी दो अफसरों के ड्राइवर जावेद हुसैन को भी भारत छोड़ने का आदेश जारी किया गया है. भारत ने दोनों अफसरों के पाकिस्तानी ड्राइवर जावेद हुसैन को परसोना नॉन ग्रेटा करार दिया है. माना जा रहा है कि जावेद बुधवार सुबह भारत छोड़ देगा.
दो पाकिस्तानी अफसरों के ड्राइवर जावेद हुसैन को भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रविवार को रंगे हाथों पकड़ा था. भारत सरकार ने जावेद हुसैन को परसोना नॉन ग्रेटा घोषित किया है. उसे बुधवार को निष्कासित किए जाने की संभावना है. इससे पहले, आबिद हुसैन और मोहम्मद ताहिर खान को सोमवार रात जासूसी के आरोप में भारत से पाकिस्तान भेज दिया गया था.
ये भी पढ़ें-जासूसी के आरोपी अफसर लौटे पाकिस्तान, 24 घंटे में भारत छोड़ने का था आदेश
इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया है कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जांच के दौरान पाया कि जावेद हुसैन भी आबिद और ताहिर की जासूसी में शामिल था. इससे पहले, उसने भारतीय एजेंसियों को बताया था कि वह दिल्ली में और उसके आसपास के इलाकों में दोनों को घुमाता था. आबिद और ताहिर से पूछताछ के बाद पाकिस्तान के भक्कर के मूल निवासी 36 वर्षीय जावेद को पुलिस ने पकड़ लिया था.
कई अहम दस्तावेज बरामद
बता दें कि जासूसी के आरोप में पकड़े गए पाकिस्तानी उच्चायोग के अफसरों से कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं. दोनों पाकिस्तानी अफसरों के पास से क्लासिफाइड सीक्रेट डॉक्युमेंट्स मिले हैं. बरामद डॉक्युमेंट्स सेना के मूवमेंट और डिप्लॉयमेंट से संबंधित थे.
दर्ज एफआईआर के मुताबिक, आबिद और ताहिर पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के मेंटर के इशारे पर इंडियन रेलवे और आर्म्ड फोर्सेस में पैसे के दम पर घुसपैठ कर रहे थे. जब दोनों को दिल्ली में मौके से पकड़ा गया तो प्लान के तहत ड्राइवर के तौर पर काम कर रहे आईएसआई एजेंट जावेद ने भागने की कोशिश की. इस दौरान पाक उच्चायोग की गाड़ी के शीशे भी टूट गए थे. काफी मशक्कत के बाद जावेद काबू में आया.
ये भी पढ़ें-पकड़े गए PAK उच्चायोग के अफसरों से सेना के मूवमेंट-डिप्लॉयमेंट से जुड़े दस्तावेज मिले
आबिद ने कई फर्जी पहचान पत्रों के जरिए विभिन्न विभागों में काम करने वाले लोगों को लुभाने का काम किया था. भारतीय रेलवे में काम करने वाले एक व्यक्ति के साथ संपर्क साधने के लिए उसने खुद को मीडियाकर्मी का भाई तक बताया. आबिद ने रेल मूवमेंट की जानकारी हासिल करने की कोशिश की. उसका असली मकसद रेलवे कर्मचारियों को लुभाना और फिर ट्रेनों के जरिये सेना की आवाजाही की जानकारी हासिल करनी थी.
बहरहाल, दोनों पाकिस्तानी अधिकारियों के निष्कासन के बाद कम से कम 12 भारतीय सेना और सरकारी अधिकारी निगरानी में हैं.
मुनीष पांडे