आसान हुआ ऑनलाइन इनकम टैक्स भरना

आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट को पूरी तरह से परिचालन में ला दिया गया है और करदाताओं ने आकलन वर्ष 2015-16 के लिए अपना रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दिया है. टैक्स डिपार्टमेंट ने नए फॉर्म और ई-फाइलिंग की प्रक्रिया को सरल करने के कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट को पूरी तरह से परिचालन में ला दिया गया है और करदाताओं ने आकलन वर्ष 2015-16 के लिए अपना रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दिया है.

टैक्स डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईटीआर-2 और आईटीआर-2ए के लिए लिंक्स को चालू कर दिया गया. विभाग ने पिछले सप्ताह ही नये आईटीआर फार्म अधिसूचित किये हैं जिसमें तीन पन्ने का आसान फार्म आईटीआर-2ए भी शामिल है. आयकर रिटर्न की ई-फाइलिंग 31 अगस्त तक की जा सकती है.

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नया फॉर्म (आइटीआर 2ए)
यह फॉर्म उन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) के लिए है, जिनके पास दो मकान हैं, लेकिन पूंजीगत लाभ, व्यवसाय/पेशे से या विदेशी संपत्ति/विदेशी आय से कोई आमदनी नहीं है.

कैसे करें अपने आईटीआर फॉर्म का चुनाव
करदाताओं को छह प्रकार के टैक्स फॉर्म में से चुनना होता है और अपनी आमदनी के स्रोत के आधार पर अपना सही आइटीआर फॉर्म पहचानना और चुनना होता है. विदेश परिसंपत्तियां, आय, अगले लाभ से घाटा पूर्ति सरीखी कुछ और बातें हैं, जिन्हें अपना सही आइटीआर फॉर्म चुनने से पहले देखना होता है.

अगर तनख्वाह, पेंशन या ब्याज आमदनी का एकमात्र स्रोत हो और संपत्ति के तौर पर सिर्फ एक मकान हो तो ऐसे व्यक्ति को आइटीआर-1 टैक्स फॉर्म भरना है.

जिन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों को एक से अधिक मकान से आय और पूंजीगत लाभ प्राप्त हुआ है, उन्हें फॉर्म आइटीआर-2 भरने की जरूरत है.

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नया फॉर्म आइटीआर-2ए उन व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए है, जिन्हें कोई पूंजीगत लाभ न हुआ हो और जो एक से ज्यादा मकानों के मालिक हों.

आइटीआर-3 व्यवसाय से आमदनी प्राप्त करने वाले व्यक्तियों/एचयूएफ के लिए है.

आइटीआर-4 स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों के लिए है.

पासपोर्ट नंबर
नए फॉर्म में आपको अपनी विदेश यात्राओं या उनमें किए गए खर्चों के विस्तृत ब्योरे आयकर विभाग को नहीं देने पड़ेंगे. लेकिन अगर आपके पास पासपोर्ट है, तो उसका नंबर अब भी आइटीआर-2 और आइटीआर-2ए में आपको देना ही होगा. हालांकि इनकम टैक्स विभाग आपकी विदेश यात्राओं के ब्योरे इमिग्रेशन विभाग से हासिल कर सकता है.

बैंक खाते के ब्योरे
पहले आप रिफंड के मकसद से सिर्फ एक बैंक खाते का ब्योरा देते थे. अब से आपको पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय संचालित अपने सभी बैंक खातों के ब्योरे देने होंगे. आपको सभी चालू/बचत खातों के नंबर और आइएफएस कोड बताने होंगे. इस नए प्रावधान से टैक्स-पूर्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी.

आइटीआर-1 में बदलाव
नए प्रावधानों के तहत, जिन लोगों की बगैर किसी सीलिंग के छूट-प्राप्त आमदनी (5,000 रुपए से अधिक कृषि आय के अलावा) है, वे अब फॉर्म आइटीआर-1 (सहज) भर सकते हैं. व्यक्तियों/एचयूएफ के लिए भी फॉर्म-4 (सुगम) के संदर्भ में ऐसे ही सरल उपायों की पेशकश की गई है. एक और कदम यह उठाया गया है कि कोई भी निवासी, जो भारत के बाहर से आय अर्जित कर रहा हो या जिसका भारत के बाहर कोई वित्तीय हित हो, उसे आइटीआर-1 में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की इजाजत नहीं है.

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ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करना हुआ आसान
पहले ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने के बाद आपको उसकी पावती या आइटीआर-वी अलग से आयकर विभाग को पोस्ट करने की जरूरत होती थी. अब अगर आप अपने आइटीआर फॉर्म में आधार नंबर दे देते हैं, तो आपको आइटीआर-वी पोस्ट करने की जरूरत नहीं होगी. टैक्स मामलों के जानकार कहते हैं कि यह बड़ी राहत है क्योंकि कई लोग अक्सर पावती फॉर्म आयकर विभाग को भेजना भूल जाते थे.

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