मोदी-शाह के अश्वमेध रथ को रोकने सड़क पर उतरे यदुवंशी लव-कुश

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के हाथों बीजेपी ने सत्ता छीनी है, तो वहीं तेजस्वी यादव यादव के साथ नाता तोड़कर नीतीश कुमार बीजेपी के संग मिल गए हैं. ऐसे में दोनों यदुवंशी कुल के नेताओं को सीधे चोट बीजेपी से मिली है.

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समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और आरजेड़ी नेता तेजस्वी यादव समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव और आरजेड़ी नेता तेजस्वी यादव

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 10 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एक के बाद एक सूबे की सियासी जंग फतह करते जा रहे हैं. बीजेपी का राजनीतिक आधार लगातार फैल रहा है. मौजूदा वक्त में देश के 29 राज्यों में से 18 राज्यों में बीजेपी या उसके सहयोगी पार्टी की सरकार है. ऐसे में मोदी-शाह के अश्वमेघ को रोकने के लिए यदुवंशी लव-कुश सड़क पर उतरे हैं. यदुवंशी लव-कुश यानी मुलायम के सियासी वारिस अखिलेश यादव और लालू प्रसाद यादव के वारिस तेजस्वी यादव है.

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दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के हाथों बीजेपी ने सत्ता छीनी है, तो वहीं तेजस्वी यादव यादव के साथ नाता तोड़कर नीतीश कुमार बीजेपी के संग मिल गए हैं. ऐसे में दोनों यदुवंशी कुल के नेताओं को सीधे चोट बीजेपी से मिली है. ऐसे में दोनों नेता इन दिनों अपने-अपने सूबे की सड़क पर उतरकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं, ताकि 2019 की सियासी जंग में बीजेपी को शिकस्त दे सकें.

तेजस्वी का जनादेश अपमान यात्रा

तेजस्वी यादव अपने पिता आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के सियासी वारिस हैं. अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए इन दिन सूबे की सड़कों पर उतरे हैं. बिहार में पिछले दिनों नीतीश के साथ टूटे महागठबंधन से नाराज आरजेडी़ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बुधवार को मोतिहारी से 'जनादेश अपमान यात्रा' की शुरुआत की. नीतीश कुमार और बीजेपी के खिलाफ एक माहौल बनाने के लिए तेजस्वी ने अभियान का आगाज उस सरजमी से शुरू किया जहां सौ साल पहले महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन का आगाज किया था. चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष भी चल रहा है ऐसे में तेजस्वी ने क्रांति दिवस दिन से नीतीश और बीजेपी के खिलाफ सड़क पर संघर्ष करने उतरे हैं.

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उन्होंने नीतीश के साथ महागठबंधन बनाने को लेकर उन्होंने सूबे की आवाम से माफी मांगी. तेजस्वी ने अपने निशाने पर नीतीश रहे और उन्होंने कहा- हम नहीं जानते थे कि नीतीश जी खुद को गांधी जी का भक्त बता कर उन्हीं के हत्यारे की गोद में बैठ जाएंगे. उन्होंने कहा कि नीतीश ने न सिर्फ जनादेश का अपमान किया है, बल्कि बापू के विचारों का भी अपमान किया है.  आज से तीन महीने पहले मुख्यमंत्री के साथ सात किलोमीटर पैदल चलकर नीतीश के साथ इसी मूर्ति के सामने हमने कई संकल्प लिए थे, लेकिन आज तक पूरे नहीं हुए है.

लालू के एमवाई समीकरण को रिकैप्चर करने का प्लान

तेस्जवी पूरी सूझ बूझ के साथ अपने अभियान को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. इसके जरिए नीतीश बीजेपी के खिलाफ जहां एक तरफ माहौल बनाने के उनकी कोशिश है तो दूसरी तरफ लालू के एमवाई समीकरण ( मुस्लिम, यादव) को दोबारा से मजबूत करने का है. लालू ने इसी समीकरण के जरिए काफी समय तक बिहार की सत्ता पर कायम थे, लेकिन नीतीश कुमार ने लालू के इस खास वोटबैंक में सेंधमारी करके पिछले दस सालों से बिहार की सत्ता पर विराजमान हैं. महागठबंधन के टूटने से एक बार फिर नीतीश के इस वोटबैंक में नाराजगी आई है. तेजस्वी इसी को कैश कराने के लिए बिहार की सड़को पर उतरे हैं. इसीलिए तेजस्वी अपने निशाने पर संघ को भी ले रहे हैं.

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अखिलेश का 'देश बचाओ, देश बनाओ'

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र की नरेंद्र मोदी और प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ 'देश बचाओ-देश बनाओ' का आगाज किया. इस आंदोलन के जरिए प्रदर्शन करने खुद अखिलेश यादव जहां फैजाबाद जिला मुख्यालय पहुंचे. अखिलेश की इस कवायद को 2017 के विधानसभा चुनाव में खोया जनाधार वापस पाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि इस अभियान के जरिए अखिलेश 2019 के सियासी संग्राम के आगाज के तौर पर भी देखा जा रहा है, ताकि बीस महीने बाद होने वाले इस रण में वे सुल्तान बन सकें.

अखिलेश यादव 2019 में बीजेपी को मात देने के लिए महागठबंधन बना सकते हैं. उन्होंने रैली में इस बात का साफ संकेत दिया कि महागठबंधन के लिए बीएसपी सुप्रीमो सुप्रीमो मायावती से भी बात की जा सकती है. इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने बिहार में महागठबंधन टूटने पर कहा कि हम नीतीश कुमार का वह भाषण सुनते थे, जिसमें वह डीएनए की बात करते थे. मगर पता चला की उनका डीएनए भी NDA का निकला.

राम के सहारे अखिलेश

मोदी और योगी सरकार के खिलाफ जंग फतह करने के लिए राम भरोसे भी हैं. दरअसल 'देश बचाओ-देश बनाओ' अभियान सूबे के सभी जिलों एसपी कार्यकर्ता बना रहे थे लेकिन अखिलेश फैजाबाद में शामिल हुए. फैजाबाद में उनके पहुंचने के कई मायने हैं. राम की नगरी अयोध्या फैजाबाद जिले में ही आती है. एसपी की छवि मुस्लिम परस्त पार्टी की रही है, ऐसे में अखिलेश की कवायद पार्टी को इस छवि से बाहर निकालने की भी है. ताकि बीजेपी को उसी अस्त्र से मात दे सकें. क्योंकि बीजेपी की पूरी राजनीति आयोध्या के सहारे आगे बढ़ी है. मौजूदा समय में देश और सूबे दोनों जगह बीजेपी की सरकार है. अखिलेश ने राम नगरी की सड़कों पर उतरकर बता दिया है कि संघर्ष और राम भरोसे वो 2019 में बीजेपी का सामना करेंगे.

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