GST पर मोदी के मेगा शो में भंग डालने की तैयारी में कांग्रेस, क्या मनमोहन बनेंगे संकटमोचक?

बीजेपी की कोशिशों के चलते सभी राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार के कार्यकाल में आम सहमति बना ली यह अपने आप में मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे पहले केन्द्र में बैठी मनमोहन सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद सभी राजनीतिक दलों को देश के सबसे बड़े टैक्स सुधार के लिए एक मंच पर नहीं ला पाई थी.

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राहुल मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2017,
  • अपडेटेड 3:57 PM IST

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार ने जीएसटी को लेकर विपक्षी दलों को साध लिया है. जहां संसद में जीएसटी पास कराने के लिए विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम किया वहीं अब 30 जून की रात जीएसटी लॉन्च के लिए रखे गए भव्य आयोजन से वह कतरा रही है.

दरअसल, संसद में जीएसटी पास कराने और सर्वदलीय जीएसटी काउंसिल द्वारा नियमों पर आम राय बनाना देश में राजनीतिक दलों की एकजुटता का नमूना है, वहीं अब 30 जून के कार्यक्रम में शरीक होने से विपक्षी दलों को डर है कि वह महज मोदी सरकार की इस बड़ी उपलब्धि में मूक दर्शक बन कर रह जाएंगे.

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गौरतलब है कि जहां बीजेपी की कोशिशों के चलते सभी राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार के कार्यकाल में आम सहमति बना ली यह अपने आप में मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इससे पहले केन्द्र में बैठी मनमोहन सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद सभी राजनीतिक दलों को देश के सबसे बड़े टैक्स सुधार के लिए एक मंच पर नहीं ला पाई थी.

विपक्ष करेगी जीएसटी लॉन्च का बॉयकॉट

लिहाजा, जैसे-जैसे 1 जुलाई की तारीख नजदीक आ रही है विपक्ष मोदी सरकार के 30 जून के मेगा कार्यक्रम से कटती नजर आने लगी है. जहां कुछ पार्टियां दावा कर रही हैं कि मोदी सरकार बिना पूरी तैयारी के इतने बड़े टैक्स रिफॉर्म को अंजाम देने जा रही है वहीं कुछ दलों का मानना है कि मोदी सरकार अकेले ही जीएसटी का पूरा श्रेय लेना चाहती है.

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इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, बीते कुछ दिनों से विपक्षी पार्टियां 30 जून को जीएसटी लॉन्च के बॉयकॉट की योजना पर भी काम कर रही हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जीएसटी लॉन्च के लिए 28 जून की तारीख बेहद अहम है क्योंकि इस दिन विपक्ष द्वारा आगे की गई राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार अपना नामांकन दाखिल करेंगी. इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले ज्यादातर दलों से उम्मीद है कि वह जीएसटी लॉन्च के बॉयकॉट में भी अहम भूमिका निभाएंगे.

मोदी को चाहिए मनमोहन का साथ

इसके उलट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनौती अपने 30 जून के कार्यक्रम में सभी दलों को शामिल करने की है जिससे वह जीएसटी की सफलता का श्रेय ले सकें. पीएम मोदी को 30 जून की रात यह साबित करना है कि वह देश के एक मात्र नेता हैं जो राजनीति से अलग हटकर राजनीतिक दलों को एकजुट करने में सफल हुए हैं. लिहाजा, उनके पास एक मात्र विकल्प है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जीएसटी लॉन्च की रात अपने पक्ष में रखें और 30 जून को संसद में आयोजित कार्यक्रम में मनमोहन सिंह को खास अहमियत दें.

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