मोदी सरकार के चार साल पूरे हो रहे हैं, लेकिन सड़क सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मसले पर एक जरूरी विधेयक को सरकार अब तक कानून का रूप नहीं दिला पाई है. देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सड़क सुरक्षा पर कानून कितना जरूरी है.
मोटर वाहन ‘संशोधन’ विधेयक को अगस्त, 2016 में ही केंद्र सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी थी. यह लोकसभा में पारित भी हो चुका है. इसमें यातायात के नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रस्ताव है. लेकिन अभी तक यह बिल ट्रांसपोर्ट, टूरिज्म और कल्चर की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी के पास रिव्यू के लिए पेंडिंग पड़ा हुआ है. सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़कों को सुरक्षित बनाने और लाखों निर्दोष लोगों की जान बचाने की दिशा में इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया था.
यह स्थति तब है, जब मोदी सरकार के एक वरिष्ठ नेता और मंत्री की सड़क दुर्घटना में ही मौत हुई थी. महाराष्ट्र से पिछड़े वर्ग के लोकप्रिय बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे 3 जून, 2014 को दिल्ली में इंदिरा गांधी हवाई अड्डा जा रहे थे, तब उनकी कार की पृथ्वीराज रोड-तुलगक रोड गोल चक्कर के पास एक अन्य वाहन से टक्कर हो गई थी. नितिन गडकरी ने तब एक माह के भीतर एक मजबूत और ठोस सड़क सुरक्षा कानून लाने का वादा किया था.
क्या है इस विधेयक का प्रस्ताव
इस संशोधन बिल में सड़कों का इस्तेमाल करनेवालों के लिए कड़े नियमों के अलावा सड़क सुरक्षा, रोड एक्सीडेंट पीड़ितों को मदद, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों के लिए कड़े लाइसेंस नियम और कानून तोड़ने वालों के लिए भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है. कुछ प्रमुख प्रस्ताव इस प्रकार हैं-
- शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना और ‘हिट एंड रन’ मामलों के लिए दो लाख रुपये का मुआवजा.
- सड़क दुर्घटना में मौत होने की स्थिति में 10 लाख रुपये तक के मुआवजे का प्रावधान.
-बीमा के बिना गाड़ी चलाने पर 2,000 रुपये का जुर्माना और/या तीन महीने की जेल हो सकती है.
-बिना हेलमेट के वाहन चलाने पर 2,000 रुपये का जुर्माना और तीन महीने के लिए लाइसेंस निलंबित हो सकता है.
-किशोरों द्वारा वाहन चलाते समय सड़क दुर्घटना के मामले में वाहन मालिक अथवा अभिभावक को दोषी माना जाएगा, वहीं वाहन का पंजीकरण भी रद्द किया जाएगा.
एक अनुमान के अनुसार, भारत में प्रतिदिन 1300 से ज्यादा सड़क हादसे होते हैं और दुनियाभर में कुल सड़क हादसों के 10 फीसदी हादसे अकेले भारत में होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने रोड सेफ्टी के नियम लागू करने के लिए कमेटी बनाई है और हाइवे मिनिस्ट्री का 10 फीसदी खर्च अकेले रोड सेफ्टी पर होता है. बिना गाड़ी वाले भी महफूज नहीं हैं. रोड एक्सिडेंट में मरने वाले 38 फीसदी वो लोग होते हैं जो पैदल चल रहे होते हैं, जबकि 30 फीसदी साइकिल या मोटरसाइकिल सवार होते हैं. इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के मुताबिक 90 फीसदी हादसे ड्राइवर की गलती की वजह से होते हैं.
गौरतलब है कि देश के राष्ट्रीय राजमार्गों का कुल विस्तार करीब 97,000 किलोमीटर है, जिसे अगले पांच साल में 2,00,000 किलोमीटर तक बढ़ाने का सरकार का लक्ष्य है. देश में सड़कों की कुल लंबाई 52 लाख किलोमीटर है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर देश के कुल ट्रैफिक का 40 फीसदी बोझ है, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग देश के कुल सड़कों का महज 2 फीसदी ही है. इसी की वजह से सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े लंबे होते जा रहे हैं.
सड़क सुरक्षा पर क्या किया सरकार ने ?सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, आम लोगों की मदद से राजमार्गों पर सड़क दुर्घटना के बचाव के लिए मंत्रालय ने ब्लैक स्पॉट्स पहचानने की कोशिश की है. राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट्स वो जगह कहलाते हैं, जहां पर अधिकतर दुर्घटनाएं होती हैं. एक विस्तृत पड़ताल के बाद सरकार ने पूरे देश के राजमार्गों पर 726 ब्लैक स्पॉट्स की पहचान की है.
गडकरी के अनुसार, इन जगहों को बनाने और सुधारने के लिए काम पूरी तेजी से चल रहा है. अब इसे एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है. नए ब्लैक स्पॉट्स की पहचान की जाती है और उसमें सुधार किया जाता है.
सड़क दुर्घटनाओं में लोगों के मरने का आकंड़ा इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को वाजिब आकस्मिक उपचार मिलने में काफी समय लग जाता है. इस मामले से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सरकार ने एक विशेष गाइडलाइन तय की है जिसके अनुसार घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले भले लोगों से अस्पताल, पुलिस या अन्य एजेंसियों की तरफ से कोई पूछताछ या उसका किसी भी तरह से उत्पीड़न नहीं किया जाएगा.इनके अलावा मंत्रालय इंटेलीजेंट ट्रैफिक सिस्टम को लागू करने के प्रयास में भी जुटा हुआ है. इस सिस्टम को लागू करने से ट्रैफिक कानून तोड़ने वालों को रियल टाइम में ट्रैक करके पकड़ा जा सकेगा. पुलों को लेकर भी एक महत्वपूर्ण पहल मंत्रालय के द्वारा की जा रही है. सरकार ने इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम्स (आईबीएमएस) की स्थापना की है. इस सिस्टम में पूरे देश में मौजूद पुलों का रियल टाइम रिकॉर्ड मौजूद रहेगा. इस सिस्टम में किसी भी पुल का रिपेयर और मेटेंनेंस की जरूरत का रिकार्ड रखा रहेगा.
सरकार ने स्पीड ब्रेकर्स को लेकर भी एक निश्चित गाइडलाइन तय की हैं. देश में स्पीड ब्रेकर्स की वजह से प्रतिदिन औसतन 30 क्रैश और 9 मौतें होती हैं.
दिनेश अग्रहरि