प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार के नीतियों के खिलाफ आज महागठबंधन और लेफ्ट के नेताओं ने आक्रोश मार्च निकाला.
आक्रोश मार्च को मिला कई पार्टियों का समर्थन
केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश मार्च का आह्वान राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने किया था. इस आक्रोश मार्च को महागठबंधन के अन्य दल राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी का समर्थन प्राप्त हुआ. यही नहीं लेफ्ट पार्टियों ने भी महागठबंधन के इस आक्रोश मार्च में केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ हल्ला बोला.
हालांकि, महागठबंधन के इस आक्रोश मार्च से आरजेडी नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नदारद रहे, जिसको लेकर कई सवाल भी उठे.
आजतक से बातचीत करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की नीतियां आज इतनी ध्वस्त हो चुकी है कि बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरीके से रसातल में चली गई है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जब तक नीतीश सरकार बिहार में नहीं बदलेगी तब तक प्रदेश का विकास संभव नहीं है.
उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश सरकार पर साधा निशाना
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, '15 साल के नीतीश सरकार के शासनकाल में बिहार की हालत बदतर हो गई है. रोजाना बिहार में हत्या और लूट की अनेकों वारदातें होती हैं. सरकार इन वारदातों पर लगाम लगाने में नाकामयाब रही है और ऐसे में नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकना ही हमारा मकसद है.'
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी इस आक्रोश मार्च में शामिल हुए. केंद्र और राज्य सरकार के नीतियों को लेकर उन्होंने भी हल्ला बोला.
आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी पर उनका बचाव करते हुए कहा कि वह फिलहाल दिल्ली और रांची में कई मामलों को लेकर व्यस्त हैं और इसी कारण इस आक्रोश मार्च में शामिल नहीं हो पाए हैं.
रोहित कुमार सिंह