Review: क्या हुआ जब साहिबा नहीं जूलियट का दीवाना हुआ मिर्जा

अभी तक हमने सुना था कि मिर्जा को तो साहिबां से मोहब्बत थी. लेकिन इस मिर्जा को हुआ है जूलियट से प्यार. जानें कैसी है इस लव स्टोरी पर बनी फिल्म...

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मेधा चावला

  • मुंबई,
  • 07 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 1:49 PM IST

फिल्म : मिर्जा जूलियट
डायरेक्टर: राजेश राम सिंह
स्टार कास्ट: पिया बाजपेयी, दर्शन कुमार, चंदन रॉय सान्याल, प्रियांशु चटर्जी
अवधि: 2.05 घंटे
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 2.5 स्टार

हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट और लैला-मजनू की कहानियों को लेकर कई फिल्में बनाई गई हैं. इसी तरह की प्रेम कहानी को नए अंदाज में डायरेक्टर राजेश राम सिंह ने पेश किया है.

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जब मिर्जा मेट जूलियट
यह कहानी इलाहाबाद के धर्मराज शुक्ला (प्रियांशु चटर्जी) की बहन जूली शुक्ला (पिया बाजपेयी) और मिर्जा (दर्शन कुमार) की है. जूली बचपन से ही भाइयों का लाड-प्यार में पली है. वह निडर है और आसपास के लोगों को भी ऐसा बनने की सीख देती है.

जूली की शादी शहर के दबंग के बेटे राजन (चंदन रॉय सान्याल) से फिक्स होती है जो उसके साथ शादी से पहले ही संबंध बनाने की कोशिश करता है. कहानी में ट्विस्ट और टर्न्स तब आते हैं जब मिर्जा और जूलियट के बीच प्यार होता है. इस बीच कहानी इलाहाबाद से नेपाल तक भी जाती है.

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नॉर्थ बेल्ट में चल सकती है फिल्म
फिल्म में एक्ट्रेस पिया बाजपेयी ने सहज अभिनय किया है. इससे एक खास एटीट्यूड उनके किरदार में दिखाई देता है. वहीं दर्शन कुमार और चंदन रॉय सान्याल का काम भी अच्छा है. एक्टर प्रियांशु चटर्जी को एक अलग अवतार में देखना सरप्राइज फैक्टर है.

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डायरेक्टर राजेश राम सिंह ने फिल्म पर पकड़ बनाकर रखी है और इसे शूट भी अच्छी लोकेशंस पर की है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी इसमें जान डालता है. ट्रीटमेंट और कॉन्सेप्ट के हिसाब से फिल्म को नॉर्थ बेल्ट में ज्यादा पसंद किया जा सकता है.

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जमते नहीं फिल्म में धार्मिक दंगे
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी घि‍सी-पिटी कहानी है जो सदियों से चली आ रही है. और हाल ही में कुछ ऐसी ही कहानी 'मिर्ज्या' फिल्म में भी राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने दिखाने की कोशिश की थी. वैसे इस फिल्म का प्लॉट और बेहतर हो सकता था.

फिल्म की लेंथ हालांकि 2 घंटे के करीब की है लेकिन एडि‍टिंग सही न होने के चलते यह खिंची हुई लगती है. वहीं धार्मिक दंगों वाले सीन भी ताल में नहीं लगते.

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ऐसे निकलेगी कॉस्ट
फिल्म का बजट कम ही है और उत्तर प्रदेश में शूट किए जाने के कारण सब्सिडी भी शायद अच्छी मिले. वहीं डिजिटल और सैटेलाइट राइट्स के साथ फिल्म की कॉस्ट रिकवरी की उम्मीद काफी है.

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