सरदार सरोवर बांध के गेट बंद किए जाने के विरोध में शुरू हुआ 'नर्मदा बचाओ आंदोलन'

नर्मदा बचाओ अंदोलन के लोगों के अनुसार इस सत्याग्रह में लगभग 14 राज्यों के 400 अलग-अलग संगठनों के लोगों सहित अन्य लोग शामिल हैं. पूर्ण विस्थापन तक इसे जारी रखने की बात नर्मदा बचाओ आंदोलन के लोगों द्वारा की जा रही है.

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नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर

सना जैदी / रवीश पाल सिंह

  • बड़वानी ,
  • 31 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 1:43 AM IST

सरदार सरोवर बांध के गेट बंद किए जाने के विरोध में नर्मदा बचाओ आंदोलन के जल, जमीन, जंगल सत्याग्रह की शुरुआत शनिवार को नर्मदा नदी किनारे राजघाट से हुई. सत्याग्रह में लोग बड़वानी के कारंजा चौक से पैदल मार्च कर नर्मदा नदी किनारे स्थित महात्मा गांधी की समाधी राजघाट पहुंचे. बताया जा रहा है कि ये सत्याग्रह अनिश्चितकालीन है.

नर्मदा बचाओ अंदोलन के लोगों के अनुसार इस सत्याग्रह में लगभग 14 राज्यों के 400 अलग-अलग संगठनों के लोगों सहित अन्य लोग शामिल हैं. पूर्ण विस्थापन तक इसे जारी रखने की बात नर्मदा बचाओ आंदोलन के लोगों द्वारा की जा रही है.

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केंद्र सरकार पर साधा निशाना
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर का इस आंदोलन को लेकर कहना है कि सरदार सरोवर का पूरा पानी उद्योगपतियों के काम आ रहा है. यहां तक विस्थापितों को भी पानी नहीं मिल रहा है. सरकार जो विस्थापन के दावे कर रही है वह झूठे हैं. अभी भी परिवारों का विस्थापन नहीं हुआ है. उन्होंने मोदी सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा है यह सरकार जनतांत्रिक नहीं है. इसे जनांदोलन के द्वारा ही दबाया जा सकता है.

गेट बंद होने से डूबेंगे कई परिवार
नर्मदा बचाओ अंदोलन (NBA) के लोगों का कहना है कि सरदार सरोवर का गेट बंद ना किया जाए क्योंकि अगर गेट बंद किया जाएगा तो 45000 परिवार बिना पुर्नवास के डूब जाएंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि इस बांध से मध्य प्रदेश को पानी नहीं मिल रहा और ना ही बिजली मिल रही है.

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