जन्माष्टमी स्पेशल: निधिवन का वो राज, जिसे आज तक कोई नहीं जान पाया

आज वारदात में बात उस राज़ की जिसमें आंखे खोलना मना है, क्योंकि जन्माष्टमी की रात एक खास इलाके में जो कुछ होता है. उसे देखने की इजाज़त किसी को नहीं. ये सिलसिला सदियों पुराना है. मगर रात के इस राज़ का गवाह आजतक कोई नहीं बन पाया. ऐसा नहीं है कि लोगों ने तहकीकात करने की कोशिश नहीं की. बल्कि ये राज़ जिसने भी जाना वो इस राज़ को दूसरों को बताने लायक बचा ही नहीं.

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निधिवन का रहस्य कोई नहीं जान पाया निधिवन का रहस्य कोई नहीं जान पाया

परवेज़ सागर / सुप्रतिम बनर्जी

  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 4:18 PM IST

आज वारदात में बात उस राज़ की जिसमें आंखे खोलना मना है, क्योंकि जन्माष्टमी की रात एक खास इलाके में जो कुछ होता है. उसे देखने की इजाज़त किसी को नहीं. ये सिलसिला सदियों पुराना है. मगर रात के इस राज़ का गवाह आजतक कोई नहीं बन पाया. ऐसा नहीं है कि लोगों ने तहकीकात करने की कोशिश नहीं की. बल्कि ये राज़ जिसने भी जाना वो इस राज़ को दूसरों को बताने लायक बचा ही नहीं.

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तो आखिर क्या है इस रात का राज़

आज इंसान ज़मीन पर बैठे बैठे पूरा ब्रह्मांड देख सकता है. मगर जिस इलाके की हम बात कर रहे हैं, वहां इंसान वो खास रात चाह कर भी नहीं देख सकता है. क्योंकि यहां कौन क्या कब देख सकता है ये इंसान नहीं भगवान तय करते हैं. और इसीलिए इस इलाके में जाने वाले लोग रात तो रात दिन में भी अपने कदम फूंक फूंक कर रखते हैं. कहते हैं इस रात यहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी राधा के संग महारास रचाते हैं. जिसे देखने की इजाजत किसी इंसान को नहीं है.

निधिवन में यह परम्परा सदियों पुरानी हैं. जिसे आज भी कायम रखा गया है. इस रहस्य को आज तक कोई नहीं जान पाया. इंसानी ज़ेहन को तो फिर भी बरगलाया जा सकता है. उसे मजबूर किया जा सकता है किसी दास्तान पर यकीन करने के लिए. मगर जानवरों पर तो किसी का बस नहीं चलता है. वो भी वही करते हैं जो उन्हें करना होता है. फिर भी चमत्कार कहें या कोई ईश्वरीय लीला कि इस इलाके के तमाम जानवर शाम होते ही अपना ठिकाना बदल लेते हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

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