महाराष्ट्र में मंजूर शिवसेना का साथ? आज बैठक में इन मसलों को सुलझाना चाहेंगी NCP-कांग्रेस

बैठक के लिए एनसीपी-कांग्रेस के नेता जब मिलेंगे तो उनके सामने आपसी मतभेद भुलाने की चुनौती होगी. इस बैठक में होने वाले निर्णय की रिपोर्ट केंद्रीय आलाकमान को भी सौंपी जाएगी.

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शरद पवार के आवास पर आज होगी बैठक (फोटो: PTI) शरद पवार के आवास पर आज होगी बैठक (फोटो: PTI)

मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

  • दिल्ली में कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बैठक आज
  • महाराष्ट्र के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर लग सकती है मुहर
  • कई मामलों में दोनों पार्टियों में फंसा है पेच

महाराष्ट्र में क्या एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना के बीच बात बन पाएगी? इस सवाल का जवाब आज शाम को मिल सकता है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पर शाम 5.30 बजे होने वाली कांग्रेस-एनसीपी नेताओं की बैठक में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) पर फाइनल मुहर लग सकती है.

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इस बैठक के लिए एनसीपी-कांग्रेस के नेता जब मिलेंगे तो उनके सामने आपसी मतभेद भुलाने की चुनौती होगी. इस बैठक में होने वाले निर्णय की रिपोर्ट को केंद्रीय आलाकमान को भी सौंपा जाएगा.

कहां पर फंसा है पेच?

महाराष्ट्र में कोई भी फैसला फाइनल होने से पहले कांग्रेस के सामने एक उलझन ये भी है कि उसका सहयोगी दल (NCP) बिग ब्रदर की भूमिका में दिखना चाहता है, लेकिन कांग्रेस बराबरी का दर्जा चाहती है. एनसीपी मांग कर रही है कि रोटेशनल मुख्यमंत्री हो, जिसमें ये पद उसे मिले.

यानी ढाई साल शिवसेना, ढाई साल एनसीपी.  एनसीपी की ओर से पहले इस मसले पर कांग्रेस को मनाने की कोशिश है, फिर इसी मांग को शिवसेना के सामने रखा जाएगा. इसी के बदले में एनसीपी कांग्रेस के सामने उपमुख्यमंत्री पद का ऑफर रख सकती है.

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सीट बंटवारे का खाका होगा तैयार!

एनसीपी सूत्रों की मानें तो पार्टी की तरफ से कांग्रेस के सामने 16-15-12 के फॉर्मूले का प्रपोज़ल रखा जाएगा. यानी 43 मंत्रियों में से 16 शिवसेना, 15 एनसीपी और 12 कांग्रेस के मंत्री. इसमें पेच यहां फंसा है कि क्या कांग्रेस 12 के आंकड़े पर मानेगी.

कौन बनेगा स्पीकर?

मंत्रालय के बाद बात विधानसभा स्पीकर के पद पर अटकती है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी स्पीकर की कुर्सी अपने पास चाहती है.  हालांकि अगर सीएम सेना को होगा तो स्पीकर कांग्रेस या एनसीपी के होने की संभावनाएं हैं, इस मामले में भी दोनें पार्टियों के सामने सहमति बनाने की चुनौती है.

कैसे मजबूत होगा गठबंधन?

अब जब दोनों दल नए मोर्चे का साथ जाने की सोच रहे हैं, तो वो चाहते हैं कि ये गठबंधन स्थिर रहे और उसकी विश्वसनीयता भी बनी रहे. जैसे कि आगे चलकर निकाय चुनाव, लोकसभा चुनाव में क्या फॉर्मूला होगा. साझा प्रोग्राम किस तरह आगे बढ़ेगा. इन सभी मामलों पर फाइनल मुहर के बाद सरकार गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है.

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