मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयान के बाद से प्रदेश में ऑपरेशन लोटस को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. सत्ता पर विरामान होने के साथ ही कमलनाथ सरकार को लेकर कयास लगते रहे हैं कि कितने दिनों चल सकेगी. दिग्विजय सिंह ने जिस तरह से यह दावा किया है कि बीजेपी 25 से 35 करोड़ रुपए में कांग्रेस विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है और सीएम कमलनाथ ने भी इस दावे की पुष्टी करते हुए बीजेपी की चुटकी ली है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद से ही राज्य के बीजेपी नेताओं की सक्रियता बढ़ी है. कर्नाटक में बाजी पलटने के बाद ही रणनीतिकारों की निगाह मध्यप्रदेश पर टिकीं, लेकिन महाराष्ट्र के झटके से भाजपा ने कदम समेट लिए थे. अब नये सिरे से मध्यप्रदेश में बीजेपी अगर अपना परचम फहराने का मंसूबा बनाती है तो इसके लिए कांग्रेस के किले में सेंध लगानी पड़ेगी.
दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर लगाया आरोप
दिग्विजय सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस और विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर दिए गए बयान के बाद अचानक मध्य प्रदेश का पारा चढ़ गया है और राजनीतिक गलियारों में इसकी तपिश महसूस की जाने लगी है. प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस व विपक्षी दल बीजेपी में अंदरखाने बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है. दिग्विजय ने मंगलवार को ट्वीट कर आरोप लगाया कि शिवराज सरकार में मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह बसपा विधायक को निजी प्लेन से दिल्ली ले गए हैं.
कमलनाथ ने बीजेपी की ली चुटकी
दिग्विजय ने लिखा कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी के विधायकों को दिल्ली लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. बसपा की विधायक श्रीमती राम बाई को क्या बीजेपी के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह जी कल चार्टर्ड फ्लाइट में भोपाल से दिल्ली नहीं लाए? शिवराज जी कुछ कहना चाहेंगे?' साथ कमलनाथ ने भी कहा कि हमारे विधायकों को खूब पैसे का ऑफर किया जा रहा है.
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सीएम कमलनाथ ने मंगलवार को कहा, 'विधायक ही कह रहे हैं मुझे, हमें इतना पैसा दिया जा रहा है, मैं तो विधायकों को कह रहा हूं कि फोकट का पैसा मिल रहा है, तो ले लेना.' इससे पहले दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा था, 'बीजेपी ने मध्य प्रदेश के कांग्रेस, बसपा, समाजवादी पार्टी के विधायकों को दिल्ली लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है.'
MP में विधायकों की संख्या का आंकड़ा
दरअसल मध्य प्रदेश के 230 सदस्यों वाले सदन में फिलहाल दो सीटें रिक्त हैं, जहां उपचुनाव होने हैं. कमलनाथ सरकार को सपा के एक, बसपा के दो, चार निर्दलीय और कांग्रेस के 114 सदस्यों समेत कुल 121 सदस्यों का समर्थन हासिल है. वहीं, बीजेपी के पास 107 सदस्य हैं. बहुमत के लिए बीजेपी को सिर्फ नौ सदस्यों की जरूरत है.
शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके नरोत्तम मिश्रा भी जोड़-तोड़ की राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. यही वजह है कि दिग्विजय ने अपने बयान में नरोत्तम मिश्रा का बाकायदा नाम लिया है. इससे कांग्रेसी किले में भी चौकसी बढ़ गई है. कांग्रेस ने अपने कुछ विधायकों पर निगाहें लगाए हुए हैं. सरकार के गठन के समय भी जिस तरह पांच-छह बार के विधायकों को सरकार में शामिल न कर नए चेहरों को तरजीह दी गई, उससे असंतोष को हवा मिली है.
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही खुलकर न बोलते हों, लेकिन मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री न बन पाने के बाद से ही उनके समर्थकों की टीस लगातार बढ़ती जा रही है. सिंधिया ने हाल ही में जिस तरह से तेवर अख्तियार किया है, उससे कमलनाथ सरकार की बेचैनी बढ़ गई थी. लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस सिंधिया को राज्यसभा भेजना चाहती है ताकि सरकार के संकट को टाला जा सके.
कुबूल अहमद