MP चुनाव: जबेरा सीट पर निर्णायक साबित होगा आदिवासी वोट

जबेरा सीट पर लोधी समाज की आबादी सबसे बड़ी संख्या में है और यही वजह हैं कि कांग्रेस और बीजेपी यहां से इस समुदाय के उम्मीदवार को टिकट देती आई हैं. हालांकि इस सीट पर आदिवासी समुदाय का वोट भी निर्णायक साबित होता है.

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अनुग्रह मिश्र

  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

मध्य प्रदेश विधनासभा चुनाव से पहले Aajtak.in अपने पाठकों के लिए राज्य की हर सीट का हाल लेकर आया है. आगामी चुनाव से पहले मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर किसका पलड़ा भारी है और कहां से कौन सी पार्टी जीतती आई है, यह सभी आंकड़े हम आपको मुहैया करा रहे हैं.

राज्य में 15 साल से सत्ता पर काबिज बीजेपी इस बार भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है. वहीं कांग्रेस ने इस बार के चुनाव के लिए अपने नेतृत्व में बदलाव कर वरिष्ठ नेता कमलनाथ को कमान सौंपी है, तो क्या इस बार कांग्रेस के कमलनाथ बीजेपी के कमल को सत्ता में काबिज होने से रोक पाएंगे? इस सवाल का जवाब तो चुनावी नतीजे देंगे लेकिन उससे पहले यहां की जबेरा विधानसभा सीट के चुनावी समीकरण जान लेते हैं.

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जबेरा सीट पर लोधी समाज की आबादी सबसे बड़ी संख्या में है और यही वजह हैं कि कांग्रेस और बीजेपी यहां से इस समुदाय के उम्मीदवार को टिकट देती आई हैं. हालांकि इस सीट पर आदिवासी समुदाय का वोट भी निर्णायक साबित होता है. फिलहाल यहां कांग्रेस का कब्जा है और प्रताप सिंह मौजूदा विधायक हैं.

दमोह लोकसभा के अंतर्गत आने वाली जबेरा विधानसभा में करीब 2 लाख मतदाता हैं. सड़क, पानी, बिजली जैसे मूलभूत समस्याओं के अलावा किसानों के लिए सिंचाई योजना और आदिवासियों के कल्याण के लिए लाई जाने वाली योजनाएं इस सीट पर मुख्य चुनावी मुद्दा साबित होती आईं हैं.   

2013 चुनाव के नतीजे

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में जबेरा सीट पर कांग्रेस के प्रताप सिंह और बीजेपी के दशरथ सिंह लोधी मैदान में थे. नतीजों में कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह को करीब 12 हजार वोटों से जीत मिली थी. गोंडवाना गणतंत्र और बीएसपी जैसी पार्टियां भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं. तीसरे नंबर पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी रही जिसे करीब 5 फीसदी वोट हासिल हुए थे.

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2008 चुनाव के नतीजे

साल 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से रतनेश सलोमन को टिकट दिया था जो चुनाव जीतने में कामयाब रहे. बीजेपी की ओर से दशरथ सिंह लोधी मैदान में थे, जिन्हें 1762 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को करीब 17 फीसदी वोट हासिल हुए थे.

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