क्या कमजोर दृष्टि वाला व्यक्ति डाक्टर बन सकता है? न्यायालय सुनाएगा फैसला,

पीठ ने कहा कि यदि आप वकालत या शिक्षण जैसे किसी अन्य पेशे के बारे में बात करें तो समझ में आता है कि एक दृष्टिहीन व्यक्ति सफलतापूर्वक इस क्षेत्र में काम कर सकता है. मगर जहां तक एमबीबीएस का सवाल है तो हमें देखना होगा कि यह कितना व्यावहारिक और संभव है.

Advertisement
उच्चतम न्यायालय उच्चतम न्यायालय

विकास जोशी

  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:35 PM IST

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस विषय पर विचार के लिए सहमत हो गया है कि क्या कमजोर दृष्टि (लो विजन) की दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्ति को एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने और मरीजों का इलाज करने की अनुमति दी जा सकती है. इस बीमारी में आंखों की रोशनी को दुरुस्त नहीं किया जा सकता.

न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह पेचीदा सवाल आया. पीठ ने अचरज व्यक्त करते हुए कहा कि क्या इस तरह की कमजोर रोशनी वाले व्यक्ति को डाक्टर बनने और मरीजों का उपचार करने की अनुमति देना व्यावहारिक है.

Advertisement

पीठ ने नीट-2018 की परीक्षा पास करने वाले एक छात्र की याचिका पर केन्द्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किए. इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि उसे कानून के मुताबिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया जाए, ताकि वह एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सके.

पीठ ने कहा कि यदि आप वकालत या शिक्षण जैसे किसी अन्य पेशे के बारे में बात करें तो समझ में आता है कि एक दृष्टिहीन व्यक्ति सफलतापूर्वक इस क्षेत्र में काम कर सकता है. मगर जहां तक एमबीबीएस का सवाल है तो हमें देखना होगा कि यह कितना व्यावहारिक और संभव है.

अवयस्क छात्र पुरस्वामी आशुतोष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और वकील गोविन्द जी ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों से संबंधित 2016 के कानून में पहले से ही इस श्रेणी के लिये पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि केन्द्र और गुजरात सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए. इस कानून के अंतर्गत आरक्षण के प्रावधानों को लागू किया जाए. पीठ ने छात्र को आज (शुक्रवार) से तीन दिन के भीतर अहमदाबाद के बी.जे मेडिकल कालेज की समिति के समक्ष इस आदेश की प्रति के साथ पेश होने का निर्देश दिया.

पीठ ने इस मामले की सुनवाई तीन जुलाई के लिए निर्धारित करते हुए कहा कि याचिका की मेडिकल जांच होगी. उसके बाद उसे लो-विजन से ग्रस्त होने संबंधी दावे के बारे में उचित चिकित्सा प्रमाण पत्र चार दिन के भीतर शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में भेजा जाएगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement