प्यार करना कब आसान रहा है? प्रेमिका के भाई से पिटते प्रेमी और तो और गली की लड़कियों के कुछ पहरेदार बने लौंडे भी ऐसे आशिकों को जमकर कूट दिया करते थे. लेकिन इस तरह की कूटम-कुटाई तो प्रेमी के ‘जौहर’ का प्रतीक होती थी. पिटाई कुछ चोटों या हाथ पैर टूटने तक ही सीमित रहती थी. लेकिन कथित लव जिहाद के इस काल में प्रेम करना कठिन से कठिनतर हो गया है. बजरंग दल तो हमेशा से लाठी प्रेम की राह में लठैत बना खड़ा रहा. विश्व हिंदू परिषद ने ‘रिवर्स लव जेहाद’ भी शुरू कर दिया.
देशभर में केरल के कथित लव जिहाद की पोस्टर गर्ल बनी हदिया के मामले ने पल-पल करवट बदली. हदिया ने धर्म परिवर्तन कर शफीन नाम के युवक से शादी कर ली तो हदिया के परिवार वालों ने इसे जबरन धर्म परिवर्तन करार दिया. कुल मिलाकर मामला ऐसा बना कि एक वयस्क लड़की और लड़के की शादी लव जिहाद बन गई.
केंद्र सरकार और हाईकोर्ट ने कुछ इस तरह से भूमिका बांधी कि लव जेहाद के लिए बकायदा प्रोग्रामिंग की जा रही है. मलयाली कवयित्री कमलादास की जीवनी पर बनी फिल्म आमी को भी रोकने के लिए केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है. दरअसल कमलादास ने भी इस्लाम कुबूल कर लिया था. ऐसे में उन्हें लव जेहाद की अगुवाई करने वाली महिला माना जाता है.
‘हिंदुत्व वार्ता’ नाम से फेसबुक प्रोफाइल से जनवरी में पोस्ट की गई सौ लड़कियों के प्रोफाइल की सूची जारी हुई. इस सूची के इंट्रोडक्शन में लिखा गया कि ये एक सूची है उन हिंदू लड़कियों के फेसबुक प्रोफाइल की जो लव जिहाद का शिकार हो चुकी हैं या हो रही हैं.
हर हिंदू लड़के से आग्रह है, इनमे जो लड़के हैं, उन्हें खोजकर शिकार करें. इस खबर को इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले छापा. इन लड़कियों के बीच हंगामा मच गया. उन्हें धमकियां आने लगीं.
हाल ही में हुई अंकित सक्सेना की हत्या भी इसका उदाहरण है. मुस्लिम परिवार की एक लड़की से प्रेम की सजा करने पर लड़की के घरवालों ने अंकित को कुल्हाड़ी से काट दिया.
हद तो तब हो गई जब करीना कपूर और सैफ अली खान को भी नहीं छोड़ा गया. करीना जैसी सशक्त एक्टर के साथ जबरन जैसा शब्द जोड़ना भी अचरज भरा है.
मेरे एक मित्र ने कुछ दिन पहले मुझसे कहा हिंदू घरों में अब बाजीराव पैदा होने चाहिए. मैंने कहा हां बहादुरी में तो उनका कोई सानी नहीं तो वो झट से बोले नहीं वे बहादुर तो थे ही, बहादुर तो और भी राजा थे लेकिन बड़ी बात यह है कि उन्होंने उस वक्त रिवर्स लव जेहाद कर डाला जब लव जेहाद का नाम भी नहीं था. इसलिए हिंदू लड़कों को उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए. उनकी इस बात ने मेरे दिमाग में खलबली मचाकर रख दी.
मेरे दिमाग में ज्वार उस वक्त भी उठा जब दिल्ली के ख्याला में अंकित सक्सेना की बेदर्दी से हत्या कर दी गई. प्रेम के रूहानी किस्से इस वक्त हवाओं में हैं. लेकिन प्रेम की इन रूमानी कहानियों के बीच धर्म की राजनीति में उलझकर रह गए इन इश्कबाजों को याद न करना उनकी तौहीन होती. सनद रहे इश्क पर जोर नहीं चलता, फिर चाहें वह धर्म हो या राजनीति. अगर जबरन धर्म परिवर्तन हो रहा है तो इस पर रोक लगनी चाहिए लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन का हवाला देकर प्रेम पर भारत जैसे लोकतंत्र में ठीक नहीं. (नोटःइश्कबाजों से मेरा मतलब मनचले मजनुओं और रोडसाइड रोमियों से बिल्कुल नहीं है..)
संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर