अल्मोड़ा शहर मंदिरों की नगरी कही जाती है. अल्मोड़ा सीट के चार जिले अपनी ठेठ पहाड़ी संस्कृति की वजह से उत्तराखंड के मानचित्र में विशिष्ट स्थान रखते हैं. अगर आप इस जगह पर आएं तो उत्तराखंड के मशहूर बाल मिठाई का स्वाद चखना ना भूलें. आप इसके मुरीद हो जाएंगे. इस मिठाई की जैसी ही यहां की सियायत है, मीठी-मीठी सी. ना ज्यादा ज्यादा हो हल्ला, ना ज्यादा कसैलापन. पश्चिम रामगंगा नदी की तरह यहां की राजनीति कल-कल अपने रौ में बहती रहती है.
ऊंचे पहाड़ों से निकलने वाली नदियां और इसकी स्वच्छ धाराएं इस जिले को अलौकिक सुंदरता प्रदान करती हैं. इस इलाके में चंपावत, कौसानी, बागनाथ, बैजनाथ और पिथौरागढ़ प्रमुख धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव 1957 में हुए. 1957 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर के दौरान इस सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी चुनाव जीते. हालांकि जोशी तब जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. 1980 में इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने जीत हासिल की. इसके बाद रावत इस सीट से दो बार और लोकसभा चुनाव जीते.
1984 और 89 में रावत कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से विजयी हुए. 1991 में जब देश में राम मंदिर आंदोलन की लहर थी तो इस सीट पर बीजेपी आई. जीवन शर्मा कमल के निशान पर सांसद बने. इसके बाद 2009 छोड़कर इस सीट पर बीजेपी का लगातार कब्जा रहा. 1996 में बच्ची सिंह रावत सांसद बने. बतौर सांसद उनकी पारी 98, 99, 2004 में भी जारी रही. 2009 के लोकसभा चुनाव में इस राज्य में कांग्रेस की आंधी चली, अल्मोडा सीट से प्रदीप टम्टा तो चुनाव जीते ही, बाकी 4 सीटों पर भी कांग्रेस ने कब्जा जमाया.
सामाजिक ताना-बाना
अल्मोड़ा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. इस लोकसभा क्षेत्र का विस्तार चार जिलों में है. इसके तहत अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ जिले के भूभाग आते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 14 सीटें हैं. अल्मोड़ा जिले की अल्मोडा, द्वाराहाट, जगेश्वर, रानीखेत, साल्ट, सोमेश्वर सीटें इस लोकसभा क्षेत्र के दायरे में आती हैं. बागेश्वर जिले की बागेश्वर और कापकोट सीट, चंपावत जिले की चंपावत, लोहाघाट, पिथौरागढ़ जिले की धारचूला और दीदीहाट, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ सीटें इस लोकसभा क्षेत्र में पड़ती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में जगेश्वर, रानीखेत, धारचूला सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा, बाकी 11 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की.
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 16 लाख 25 हजार 491 है. यहां की लगभग 89 फीसदी जनसंख्या गांवों में रहती है, जबकि 11 फीसदी आबादी का निवास शहरों में हैं. इस क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की संख्या लगभग एक चौथाई यानी की 24.04 फीसदी है. जबकि अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा 1.48 फीसदी है.
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 12 लाख 54 हजार 328 मतदाता थे. इनमें से कुल 6 लाख 56 हजार 525 मतदाताओं ने वोट डाला था. आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर पुरुष मतदाता 3 लाख 12 हजार 965 हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 3 लाख 43 हजार 560 है.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का असर इस सीट पर भी देखने को मिला. 2009 में हार का स्वाद चखने वाले अजय टम्टा इस बार 95 हजार 690 वोटों से चुनाव जीते. अजय टम्टा को कुल 3 लाख 48 हजार 186 वोट मिले, जबकि कांग्रेस कैंडिडेट प्रदीप टम्टा को 2 लाख 52 हजार 496 वोट मिले. अजय टम्टा को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली और उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
युवा सांसद अजय टम्टा ने पंचायत स्तर से अपनी राजनीति की शुरुआत की. जुलाई 1972 में जन्मे अजय टम्टा साल 2007 में पहली बार विधानसभा में पहुंचे. तत्कालीन सीएम बीसी खंडूरी के मंत्रिमंडल में वे सबसे कम उम्र के सदस्य बने. 2012 में वह अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर विधानसभा सीट से उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य थे. 2014 में विधायकी छोड़कर वह लोकसभा चुनाव लड़े. अजय टम्टा 2009 का भी लोकसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन वे कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा के सामने मात्र 6523 वोटों से पराजित हो गए.
सांसद निधि के तहत खर्च किए जाने वाले पैसे पर निगाह रखने वाली वेबसाइट mplads.gov.in के मुताबिक अजय टम्टा को 12.50 करोड़ रुपये जारी किए गए. इनमें से उन्होंने 8.62 रुपये विकास कार्यों पर खर्च किए हैं.
पन्ना लाल