सपा-कांग्रेस गठबंधन पर भारी पड़ रही उम्मीदवारों की तनातनी

यूपी चुनावों में जीत की आस लेकर सपा और कांग्रेस ने चुनाव पूर्व गठबंधन कर लिया. तमाम बैठकों के बाद सीटों का बंटवारा भी हो गया. लेकिन, जमीनी स्तर पर अभी जंग जारी है. पिछले कई सालों से चुनाव की तैयारी में लगे तमाम स्थानीय नेता इस गठबंधन की शर्तें मानने को तैयार ही नहीं हैं.

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राहुल-अखिलेश राहुल-अखिलेश

संदीप कुमार सिंह

  • लखनऊ,
  • 14 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 10:08 AM IST

यूपी चुनावों में जीत की आस लेकर सपा और कांग्रेस ने चुनाव पूर्व गठबंधन कर लिया. तमाम बैठकों के बाद सीटों का बंटवारा भी हो गया. लेकिन, जमीनी स्तर पर अभी जंग जारी है. पिछले कई सालों से चुनाव की तैयारी में लगे तमाम स्थानीय नेता इस गठबंधन की शर्तें मानने को तैयार ही नहीं हैं. जिस वजह से लखनऊ मध्य विधानसभा सीट के साथ-साथ कुछ सीटों पर गठबंधन का पेंच फंसा हुआ है.

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कुछ सीटों पर विवाद इस कदर है कि उसके निपटारे के लिए दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व बातचीत कर चुका है. अखिलेश और राहुल की पूरी कोशिश है कि वोटों का बिखराव न हो. गठबंधन के बाद दोनों दलों की कवायद है कि वे किसी भी तरह अपने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक साथ ला सकें.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शनिवार को राजधानी में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के वक्त राहुल और अखिलेश में लखनऊ मध्य, इलाहाबाद की बारा व सोरांव, कानपुर की महराजपुर के अलावा कुछ और सीटों के लिए बातचीत भी हुई है.

ये है अखिलेश के मन की बात
अखिलेश यादव चाहते हैं कि जिन सीटों पर सपा के उम्मीदवार मजबूत हैं वहां कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान छोड़ दें और सपा के लिए चुनाव प्रचार करें. लेकिन, कांग्रेस नेता खुद को लड़ाई में मान कर चल रहे हैं. इसलिए वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कुछ सीटों पर तो कांग्रेस उम्मीदवार सपा कैंडिडेट से भी ज्यादा मजबूत हैं और वे भाजपा-बसपा को कड़ी चुनौती दे रहे हैं.

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ये हैं कुछ प्रमुख सीटें
- लखनऊ मध्य विधानसभा सीट
- कानपुर जिले की महराजपुर विधानसभा सीट
- कानपुर जिले की कैंट विधानसभा सीट
- इलाहाबाद की सोरांव विधानसभा सीट
- इलाहाबाद की बारा विधानसभा सीट
- बहराइच जिले की पयागपुर विधानसभा सीट
- अमेठी विधानसभा सीट

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