मुंबई हमले के गुनहगार अजमल कसाब ने बताया था कि कैसे आतंक के आकाओं ने उसका ब्रेन वाश किया और जन्नत और जन्नत में मिलने वाली हूरों का लालच देकर उसे आतंक की भट्टी में झोंक दिया. मगर अब कसाब के साथ-साथ शायद कसाब जैसे आतंकवादियों का जमाना भी लद गया है. बदलते वक्त के साथ अब आतंकवादी भी चालाक हो गए हैं. उन्हें पता चल चुका है कि जन्नत में हूरों से मिलने के लिए पहले मरना जरूरी है. इसलिए उन्होंने मरने में आनाकानी शुरू कर दी.
नतीजा ये हुआ कि आतंक के आकाओं ने भी पैतरा बदला और नया चारा फेंका कि जन्नत में तो हूरें मिलेंगी ही पर उससे पहले जीते जी ज़मीन पर भी हूरें मिलेंगी. और बस इसी के साथ शुरू हो गया घाटी में आतंक का एक नया खेल. खेल ऑपरेशन जी स्कवायर का. जी स्कवायर यानी गन एंड गर्लफ्रैंड.
बड़ी पुरानी कहावत है कि नस्ल अच्छी न हो तो रिश्ता नहीं रखना चाहिए. घाटी में तो आतंक की पूरी की पूरी नस्ल में ही खोट है. आज से नहीं इनके बाप-दादाओं के ज़माने से. सन सैंतालिस में सरहद के उस पार से जो कबायली आए. उन्होंने भी वही किया जो आज अबू दुजान, बुरहान वानी, अब्दुल उनी और अबु तल्हा जैसे लश्कर के आतंकियों की नई फौज कर रही थी और इनसे पहले 80 और 90 के दशक में भी ऐसी ही कोशिशें हुईं.
आतंक के आका और आईएसआईएस भी इस नस्ल के आतंकियों की नस नस से वाकिफ़ हैं. तभी तो कश्मीर में आग सुलगती रहे इसलिए आतंक का प्लान G-square बनाया गया.. पहले तो इस G-square को समझ लीजिए. G-यानी गन भी और गलफ्रेंड भी. गन और गर्लफ्रेंड का ये कॉकटेल कितना घातक होता है. ये घाटी के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है. हाथों में एके-47 और बगल में लड़की. ये नया ट्रेंड है नए आतंक का.
जब आज़ादी की आग बदलते ज़माने के साथ मध्म पड़ने लगी तो सरहद के उस पार बैठे दुश्मनों को समझ में आ गया कि दुजाना जैसों को अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करना है तो जन्नत की हूरों के लालच से अब काम चलने वाला नहीं है. क्योंकि इन हूरों को पाने के लिए मरना पड़ेगा. और इतनी आसानी से मरने वाले उन्हें कम नसीब होने लगे. लिहाज़ा उन्होंने इन नई नस्ल के आतंकियों के लिए इसी दुनिया में हूरों के इंतेज़ाम का वादा करना शुरू कर दिया. और यकीन मानिए इस वादे के झांसे में आकर न जाने कितने आतंकी बन गए. न जाने कितने ट्रेनिंग ले रहे हैं. और न जाने कितने आतंकी बनने का मन बना रहे हैं.
अब आपको बताते हैं कि आतंक का ये प्लान G-square काम कैसे करता है. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरहद पार बैठे लश्कर और उसके जैसे आतंकी संगठन अपने ऐसे आतंकियों को जो दिखने में खूबसूरत और अच्छे डील डॉल वाले हैं. उनका बम-बंदूक के साथ रॉबिनहुड स्टाइल फोटोशूट करवाते हैं और वीडियो बनवाते हैं. जिन्हें सोशल मीडिया और दूसरे तरीकों से घाटी में वायरल किया जाता है. इससे दो फायदे होते हैं. पहला तो इन आतंकियों को भारतीय सेना से और घाटी में लड़ने के लिए हौंसला मिलेगा और दूसरा इलाके की लड़कियों के बीच उनकी हीरो जैसी इमेज बनेगी. यानी कुल मिलाकर उन्हें उनके आका हैनी ट्रैप कर देते हैं.
लड़कियों के बीच हीरो जैसे इमेज बनाने तक तो फिर भी गनीमत थी. मगर कंधे पर एके-47 रखकर रॉबिनहुड स्टाइल मारने के गुमान में घाटी के अंदर इनके कारनामे खलनायको जैसे होने लगे थे. सेना के ऑपरेशन में मारे गए अबू दुजाना के बारे में कहा जाता है कि उसका आतंक ऐसा था कि वो बंदूक के ज़ोर पर किसी भी घर में घुस जाता. वहीं खाता और वहीं रात बिताता था. उसे उसके आकाओं ने इशारों इशारों में ये छूट दे रखी थी कि कश्मीर में लड़की मिलेगी और मरोगे तो हूर मिलेंगी. लिहाज़ा ये आतंकी जिससे चाहते अपनी हवस बुझाते थे.
इस घिनौने खेल को खेलते खेलते इन आतंकियों ने घाटी में कई-कई गर्लफ्रेंड्स बना रखी हैं. जिनसे वो फोन कॉल, व्हाट्स अप और चैटिंग की दूसरी साइट्स के ज़रिए संपर्क में रहते है. इनसे एक तो इन्हें सिर छुपाने के लिए जगह मिलती है और दूसरा घाटी में पैठ बनाने का मौका भी. मगर अब इनकी अय्याशी का यही सामान इनकी मौत का सामान बनने लगा है. और एक एक कर ये तमाम अय्याश आतंकी मारे जा रहे हैं.
कश्मीर घाटी को आतंक से निजात दिलाने के लिए भारतीय फौज ने घाटी में सक्रिय 258 आतंकवादियों की एक लिस्ट तैयार की है. इसी लिस्ट के हिसाब से उन आंतकवादियों को चुन-चुन कर मारा जा रहा है. आतंक के खिलाफ जारी ऑल आउट नाम के इस ऑपरेशन के तहत अब तक भारतीय सेना 108 आतंकवादियों का सफाया कर चुकी है. इस ऑपरेशन के दौरान उन आतंकवादियों को पहले निशाना बनाया जा रहा है, जो अपनी दहशतगर्दी के लिए ज़्यादा बदनाम हैं.
आतंकी बुरहान वानी, सब्ज़ार अमहद, जुनैद मट्टू, बशीर लश्करी और अब अबु दुजाना. ये आतंक के वो चेहरे हैं, जिन्होंने घाटी को ख़ून से लाल कर रखा था. दहशत और बेरहमी की सारी हदें लांघ रखी थी. लेकिन जब एक-एक कर इनकी उल्टी गिनती चालू हुई तो देखते ही देखते सारे के सारे मटियामेट कर दिए गए. हिंदुस्तानी फौज और सुरक्षा एजेंसियों ने एक-एक कर उन्हें उसी जहन्नुम में भेज दिया, जहां के वे हक़दार थे.
परवेज़ सागर / शम्स ताहिर खान