जामिया में प्रदर्शन के दौरान गोली चलाने वाला युवक जब गिरफ्तार किया गया तो थोड़ी देर बाद ही पुलिस ने ऐलान किया कि आरोपी नाबालिग है. हालांकि उसके सोशल मीडिया अकाउंट ने इस बात की तस्दीक कर दी कि वो इस हमले की तैयारी बहुत पहले से कर रहा था. उसने सरेआम जिस तरह पुलिस के सामने आकर गोली चलाई. उससे पता चल रहा था कि वो आत्मविश्वास से भरा हुआ था. शायद उसे अहसास नहीं था कि जिस मकसद से वो ये सब कर रहा है, वो उसके भविष्य को खराब भी कर सकता है. ये पहला मामला नहीं जब किसी अपराध में नाबालिग आरोपी हो. इससे पहले भी कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें गंभीर से गंभीर अपराध को अंजाम देने वाला अपराधी नाबालिग था. जानते हैं कुछ ऐसे ही चर्चित मामले.
निर्भया कांड
आखिरकार 7 साल बाद अदालत ने ये तय किया कि निर्भया के चारों गुनहगारों को फांसी की सजा दी जाए. पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस कांड को अंजाम देने वाले सभी गुनहगार लोअर मिडिल और लोअर क्लास फैमली से आते हैं. निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले 6 दरिंदे थे. जिनमें से एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी तो दूसरा नाबालिग होने की वजह से बच गया. हालांकि निर्भया कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग समेत कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. लेकिन नाबालिग दोषी की रिहाई का रास्ता साफ हो चुका था.
देश को शर्मसार कर देने वाले इस जघन्य कांड में शामिल नाबालिग दोषी की उम्र वारदात के दिन 17 साल थी. यही बात उसके लिए वरदान साबित हुई. वह दिल्ली में परिवार के साथ रहता था. मूल रूप से वह उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. 11 साल की उम्र में वह अपना गांव छोड़कर दिल्ली आ गया था. यहां वो छोटे-मोटे काम करता रहा. वो अपने 6 भाई बहनों में सबसे बड़ा है. उसके पिता मानसिक रूप से विकृत हैं. इसलिए घरवालों ने उसे पैसा कमाने के लिए दिल्ली भेजा था ताकि वह अपने परिवार का पेट भर सके. लेकिन दिल्ली आने के बाद उसने अपने परिवार से संपर्क खत्म कर दिया था. अदालत के आदेश पर उसे बाल सुधार गृह में रखा गया और फिर उसे एक एनजीओ में दो साल रहने के लिए भेजा गया था. वहां से उसे कहीं दूर अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया है.
नोएडा में मां-बेटी का कत्ल
5 दिसंबर 2017 की रात ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी टू के टावर जी के फ्लैट नंबर 1446 में लगे ताले को जब तोड़ा गया तो उसमें खून से सनी मां-बेटी की लाश मिली थी. दोनों की इस बेरहमी से हत्या की गई कि देखने वाले सन्न रह गए थे. जब ये वारदात हुई तो घर में कुल तीन लोग थे. मां, बेटी और बेटा. मगर दरवाज़ा खुला तो लाश सिर्फ मां और बेटी की मिली बेटा गायब था. दोनों लाशों के पास ही एक बैट पड़ा हुआ मिला था, जिस पर खून के निशान थे. पुलिस को मौके से एक धारदार हथियार भी मिला था. मगर नहीं मिला तो 15 साल का बेटा. तब तक तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे किसी ने मां-बेटी की हत्या की और बेटे को किडनैप कर लिया है.
वो फ्लैट था अग्रवाल फैमिली का. जिनका टाइल्स का कारोबार था. 4 दिसंबर से परिवार के लोग घर मे मौजूद मां और बच्चों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जब कई घंटों तक कोई संपर्क नहीं हुआ तब उन्होंने घर के पास रहने वाले रिश्तेरदारों से संपर्क किया. जब रिश्तेदार वहां पहुंचे तो कत्ल की वारदात की पता चला. दरअसल, मां-बेटी की हत्या के बाद से ही लापता होने से नाबालिग बेटा पहले से ही शक के घेरे में आ गया था. नाबालिग बेटे पर अपनी मां-बहन की हत्या करने का शक तो उसी वक्त हो गया था, जब घर पर मां-बेटी लाश पड़ी थी और बेटा घर से गायब था. घर में न तो बाहर से घुसने के निशान थे, न लूटपाट के निशान और न ही कोई कीमती चीज गायब थी. सिर्फ दो लाशें और घर में रहने वाला तीसरा सदस्य गायब. लेकिन किसी भी दावे से पहले बेटे का मिलना जरूरी था. लिहाजा इस केस में पुलिस के लिए सबसे अहम कड़ी बेटा ही था.
पुलिस ने घर से सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी बरामद की. इन सीसीटीवी फुटेज में बेटा आखिरी बार दिखा था. पहले रात 8 बजकर 16 मिनट पर मां और बहन के साथ बाजार से घर आते हुए लिफ्ट के अंदर दिखता है. फिर रात 11 बजकर 15 मिनट पर उसी लिफ्ट से घर से जाते हुए. लेकिन इस बार उसके कपड़े बदले हुए हैं. पीछे बैग है और हाथ में मोबाइल फोन. इन्हीं तीन घंटों के अंदर मां-बेटी की हत्या की गई. वह आराम से लिफ्ट से निकल कर बाहर जाता है और एक गार्ड से हाथ मिलाकर गाड़ी में बैठकर निकल जाता है. न कोई डर न घबराहट न शिकन. लेकिन बाद में उसने खुद अपने पिता को फोन करके अपनी करतूत बताई. पिता ने पुलिस को फोन किया. और तब वो नाबालिग आरोपी बनारस से पकड़ा गया.
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प्रिंस मर्डर केसघटना 8 सितंबर 2017 की है. जब दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में एक निजी स्कूल में 7 वर्षीय मासूम प्रिंस की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. उसकी लाश स्कूल से बाथरूम से बरामद की गई थी. उसके गले को तेजधार हथियार से काटा गया था. हैरानी की बात ये थी कि वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में भी आरोपी कैद नहीं हुआ था. गुरुग्राम पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की. और स्कूल के एक बस चालक को आरोपी बनाकर अदालत और मीडिया के सामने पेश किया. यहां तक कि पुलिस ने बस ड्राइवर से मीडिया के सामने इकबालिया बयान भी दिला दिया था. लेकिन जांच जब सीबीआई को जब इस मामले की जांच दी गई तो पूरा मामला बदल गया. दरअसल, इस वारदात को स्कूल के एक 16 वर्षीय छात्र ने अंजाम दिया था. इस मामले में गुरुग्राम पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी.
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CBI ने गुरुग्राम के सेशन कोर्ट में आरोपी छात्र के खिलाफ करीब 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. चार्जशीट में 50 के करीब गवाहों के बयान दर्ज थे. जिनमें से 23 गवाह उसी स्कूल के हैं. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी बनाए गए छात्र के खिलाफ बतौर वयस्क मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी थी. प्रिंस का परिवार जांच में लापरवाही बरतने के लिए गुरुग्राम पुलिस और स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर चुका था. प्रिंस के पिता ने कहा था कि वह गुरुग्राम पुलिस के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, जिन्होंने शुरुआती जांच में बस कंडक्टर को मुख्य आरोपी बनाया और हत्यारा साबित करने की कोशिश की थी.
परवेज़ सागर