नारों के दम पर ही होती रही है राजनैतिक दलों की सत्ता में वापसी, पढ़ें कुछ चर्चित नारे

2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मुख्यमंत्री पद की दावेदार थीं, नारा लगवाया था, 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय'. इस नारे से मायावती ने सर्वसमाज को साधने की भरपूर कोशिश की. प्रयोग सफल रहा और मायावती को सूबे की जनता ने बहुमत की सरकार दी.

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संदीप कुमार सिंह

  • लखनऊ,
  • 27 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

नारे चुनाव जिताने में बहुत ही अहम रोल निभाते हैं. यह सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश ही नहीं भरते बल्कि जनमानस के में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में भी बहुत कारगार होते हैं. भारत के चुनावों में दो बातें बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं, 1- चुनावी नारे और 2- चुनावी घोषणाएं. पार्टियां इनके लिए बड़ी रिसर्च करती हैं. सभी पार्टियों का घोषणा पत्र तो लगभग एक जैसा हो सकता है लेकिन नारे बिल्कुल अलग होते हैं यही वजह है कि नारे ज्यादा महत्ता रखते हैं.

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चुनावों में नारों के दम पर ही पार्टियां चुनाव जीतती रही हैं और इसका लंबा इतिहास भी रहा है. उत्तर प्रदेश में भी चुनावी बिगुल बज चुका है. राजनैतिक पार्टियां जोरआजमाइश में लग चुकी हैं. फिलवक्त असली लड़ाई सपा-कांग्रेस (गठबंधन), बसपा और बीजेपी के बीच ही नजर आ रहा है. हालांकि सपा और कांग्रेस से खफा अजीत सिंह भी आरएलडी को राज्य की सभी सीटों से लड़ाने का ऐलान कर चुके हैं.

कांग्रेस ने की सबसे पहले शुरुआत
आपको याद दिला दें कि इन चुनावों में कांग्रेस ने सबसे पहले शुरुआत की थी. कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ... 27 साल यूपी बेहाल... जैसे नारे लोगों की जुबान पर चढ़ चुके थे. राहुल की खाट सभा, किसान संदेश यात्रा जैसी बड़ी योजनाएं भी हुईं. फायदा यह हुआ कि सत्तारुढ़ दल समाजवादी पार्टी ने उसके साथ गठबंधन कर लिया.

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पिछले लंबे समय से राज्य में लगातार चौथे नंबर पर चल रही कांग्रेस के लिए यह एक राहत भरी खबर थी. साफ जाहिर है कि चुनाव पूर्व कांग्रेस के लिए यह सफलता नारों ने ही दिलाई थी. कांग्रेस के नारे लोगों की जुबान पर चढ़ने लगे थे. लगने लगा था कि चुनाव स्ट्रेटजिस्ट पीके पार्टी को सम्मानजनक स्थिति में ला सकते हैं.

इस चुनाव के नारे
सपा- 1- जिसका जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है... 2- जीत की चाभी, डिंपल भाभी... 3- यूपी की मजबूरी है, अखिलेश यादव जरूरी है
बीएसपी- 1- बेटियों को मुस्कुराने दो, बहन जी को आने दो 2- गांव-गांव को शहर बनाने दो, बहन जी को आने दो 3- डर से नहीं हक से वोट दो, बेइमानों को चोट दो
कांग्रेस- 1- कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ 2- 27 साल... यूपी बेहाल 3- गरीबों से खींचो, अमीरों को सींचो
बीजेपी- 1- अबकी बार, 300 के पार 2- गली-गली में मचा है शोर, जनता चली भाजपा की ओर 3- जन-जन का संकल्प, परिवर्तन एक विकल्प

गठबंधन के बाद बदला नारा
सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद चुनाव रणनीतिकार और यूपी में कांग्रेस के चुनाव अभियान का जिम्मा संभाल रहे प्रशांत किशोर को अब गठबंधन के प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सूत्रों का कहना है कि अभियान में यह बात उठाई जाएगी कि अखिलेश और राहुल युवा चेहरे हैं और यूपी में इनकी जड़ें बहुत मजबूत हैं. कैंपेन की थीम होगी 'अपने लड़के Vs बाहरी मोदी'. पूरे चुनाव में इस स्लोगन और रणनीति के साथ बीजेपी को घेरने की योजना है. बताया जा रहा है कि पीके के इस स्लोगन और रणनीति को अखिलेश, राहलु और प्रियंका की हरी झंडी मिल चुकी है.

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समाजवादी पार्टी के प्रचार वाहनों पर भी कांग्रेसी रंग दिखना शुरू हो चुका है. सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद प्रचार माध्यमों में भी फर्क साफ नजर आने लगा है. पार्टी के प्रचार वाहनों में फोटो और नारों में बदलाव दिख रहा है. प्रचार वाहनों पर लगे नए पोस्टरों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समानांतर डिंपल यादव की तस्वीर लगाई गई है. इसके अलावा जो बड़ा अंतर सामने आया है वह यह है कि पहली बार सपा के पोस्टरों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को जगह दी गई है. इस चुनाव में उम्मीद की साइकिल के साथ कांग्रेस के हाथ के पंजे को भी बराबर जगह दी गई है.

पिछले चुनावों में हिट हुए थे ये नारे
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर चुनावी अभियान छेड़ा था और नारा दिया था 'सबका साथ, सबका विकास'. यह नारा न सिर्फ हिट हुआ बल्कि एनडीए को प्रचंड बहुमत दिलाने के साथ मोदी को प्रधानमंत्री भी बना गया.

2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मुख्यमंत्री पद की दावेदार थीं, नारा लगवाया था, 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय'. इस नारे से मायावती ने सर्वसमाज को साधने की भरपूर कोशिश की. प्रयोग सफल रहा और मायावती को सूबे की जनता ने बहुमत की सरकार दी.

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यूपी की राजनीति के खास नारे
1. सपा और बीएसपी के गठबंधन पर: मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम
2. बीएसपी का चर्चित नारा: तिलक, तराजू और तलवार...
3. बीजेपी का नारा (राम मंदिर आंदोलन के वक्त): राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे
4. बीएसपी का दूसरा नारा: चढ़ गुंडों की छाती पर, मोहर लगेगी हाथी पर
5. सवर्णों को साधने की खातिर बीएसपी ने बदला नारा: हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा-विष्णू-महेश हैं
6. सपा का नारा: जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है
7. सपा का नारा (पिछले विधानसभा चुनाव में): दलित नहीं दौलत की बेटी, मायावती
8. बीजेपी का लेटेस्ट नारा: सबका साथ, सबका विकास

पुराने चुनाव जिताऊ नारे
1965: जय जवान, जय किसान (कांग्रेस)
1967: समाजवादियों ने बांधी गांठ, पिछड़े पावै सौ में साठ (सोशलिस्ट पार्टी)
1971: गरीबी हटाओ (कांग्रेस)
1975-1977: सिंहासन खाली करो कि जनता आती है (सोशलिस्ट पार्टी/जनता दल)
1978: एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर,चिकमंगलूर (कांग्रेस)
1984: जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा (कांग्रेस)
1989: राजा नही फकीर है, जनता की तकदीर (कांग्रेस)
1989: सेना खून बहाती है, सरकार कमीशन खाती है (जनता दल/बीजेपी)

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