अगर कारगर हुआ 'सुपरकॉन्डम', तो जड़ से मिट जाएगा एड्स

भारतीय मूल के अमेरिकी प्रोफेसर और उनकी शोधकर्ता टीम ने मिलकर एक 'सुपरकॉन्डम' तैयार किया है. ये सुपरकॉन्डम एचआईवी जैसे जानलेवा इंफेक्शन से न सिर्फ लड़ने में कारगर हो सकता है बल्कि कोशिश की जा रही है कि इसे जड़ से भी मिटा दिया जाए.

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एचआईवी से लड़ेगा सुपरकॉन्डम एचआईवी से लड़ेगा सुपरकॉन्डम

मोनिका शर्मा

  • ह्यूस्टन,
  • 16 दिसंबर 2015,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

कॉन्डम के ग्लोबल इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कुछ शोधकर्ताओं ने एक नॉन-लेटेक्स कॉन्डम तैयार किया है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट्स होंगे और ये टूटने के बाद भी वायरस को खत्म कर सकेगा. शोधकर्ताओं की टीम में एक भारतीय मूल की अमेरिकी प्रोफेसर भी शामिल हैं.

एचआईवी के इंफेक्शन से लड़ाई में मदद
टेक्सस ए एंड एम यूनिवर्सिटी की महुया चौधरी और शोधकर्ताओं की टीम ने हाईड्रोजेल कॉन्डम बनाया है, जो एचआईवी से लड़ने में मदद कर सकता है. इस कॉन्डम को हाईड्रोजेल नाम के इलास्टिक पॉलीमर से तैयार किया गया है और इसमें प्लांट बेस्ड एंटीऑक्सिडेंट्स शामिल हैं, जो एंटी-एचआईवी प्रॉपर्टीज होते हैं. महुया चौधरी ने कहा, 'हम एचआईवी इंफेक्शन से बचने के लिए न सिर्फ कॉन्डम के लिए नया मटीरियल बना रहे हैं बल्कि कोशिश कर रहे हैं कि अगर संभव हो तो इस इंफेक्शन को जड़ से खत्म कर दिया जाए.'

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बुलाया जा रहा है सुपरकॉन्डम
उन्होंने आगे कहा, 'सुपरकॉन्डम एचआईवी के इंफेक्शन से लड़ने में मदद कर सकता है और साथ ही अनचाही प्रेग्नेंसी और यौन संबंध के दौरान ट्रांसफर होने वाली बीमारियों को रोकने में भी मदद करेगा. अगर हम इसमें सफल रहते हैं तो ये एचआईवी को रोकने में क्रांतिकारी साबित होगा.'

नमूना तैयार, बाजार में पहुंचने का इंतजार
इस कॉन्डम के नमूने को तैयार कर लिया गया है और दावा किया गया है कि ये ज्यादा कंफर्टेबल होगा. फिलहाल इसे पेटेंट नहीं मिला है, जिसके चलते ये बाजार तक नहीं पहुंच पाया है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि 6 महीने के अंदर ही इस कॉन्डम को टेस्ट कर लिया जाएगा. एक बार रिलीज होने के बाद ये हर किसी के लिए उपलब्ध होगा. फिलहाल दुनिया में 3.9 करोड़ लोग एचआईवी से जूझ रहे हैं.

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