भारत के अंतरिक्ष इतिहास में यह पहला साल होगा जब भारत ने पूरे साल ज्यादातर उपग्रह मिलिट्री, रक्षा और रणनीतिक अनुसंधान के लिए छोड़े हैं. इसी कड़ी में तीन और सैटेलाइट्स जुड़ने वाले हैं. क्योंकि, इसरो नवंबर और दिसंबर में तीन और सैटेलाइट्स छोड़ने वाला है. यह इसलिए किया जा रहा है ताकि जब भी पाकिस्तान में मौजूद आतंकी देश को कोई नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें तब भारतीय सेना भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Research Organization - ISRO) की मदद से उनकी साजिश को पहले ही नाकाम कर दे.
Aajtak.in ने सबसे पहले बताया था कि कार्टोसैट-3 की लॉन्चिंग में होगी एक महीने की देरी
उरी हमले का बदला लेने के लिए जब सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की, तब इसरो के उपग्रहों की मदद से ही आतंकियों के ठिकानों का पता किया गया. साथ ही लाइव तस्वीरें मंगाई गई. 25 नवंबर को सुबह 9.28 बजे इसरो कार्टोसैट-3 लॉन्च करेगा. इसके बाद वह दिसंबर महीने में दो और सर्विलांस सैटेलाइट्स रीसैट-2बीआर1 और रीसैट-2बीआर2 छोड़ेगा. आइए, जानते हैं भारत के इन ब्रह्मास्त्र सैटेलाइट्स के बारे में...
हाथ की घड़ी का समय तक देख लेगा यह सैटेलाइट
इस सैटेलाइट का नाम है - Cartosat-3 (कार्टोसैट-3). यह कार्टोसैट सीरीज का नौवां सैटेलाइट होगा. कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 1 फीट से भी कम (9.84 इंच) की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा. यानी आप की कलाई पर बंधी घड़ी पर दिख रहे सही समय की भी सटीक जानकारी देगा. बता दें कि पाकिस्तान पर हुए सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर कार्टोसैट उपग्रहों की मदद ली गई थी. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम. प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा.
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दुनिया का सबसे ताकतवर सैटेलाइट कैमरा होगा Cartosat-3 में
कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर 0.25 मीटर यानी 9.84 इंच की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है. संभवतः अभी तक इतनी सटीकता वाला सैटेलाइट कैमरा किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है. अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जियोआई-1 सैटेलाइट 16.14 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. वहीं, इसी कंपनी का वर्ल्डव्यू-2 उपग्रह 18.11 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीरें ले सकता है. इसे पृथ्वी से 450 किमी ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
कब छोड़ा जाएगा यह सैटेलाइट और किसकी मदद से?
इसरो ने बताया कि इस कार्टोसैट-3 सैटेलाइट को 25 नवंबर को सुबह 9.28 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC SHAR) से छोड़ा जाएगा. हालांकि लॉन्चिंग मौसम को देखते हुए की जाएगी. इसे पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा. कार्टोसैट-3 सैटेलाइट पीएसएलवी-सी47 (PSLV-C47) रॉकेट से छोड़ा जाएगा. 6 स्ट्रैपऑन्स के साथ पीएसएलवी की 21वीं उड़ान होगी. जबकि, पीएसएलवी की 74वीं उड़ान होगी. कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 अन्य नैनो सैटेलाइट भी छोड़े जाएंगे.
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रीसैटः सर्जिकल और एयर स्ट्राइक में की थी सेना की मदद
सभी प्रकार के मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम. प्राकृतिक आपदाओं में मदद करेगा. इस उपग्रह के जरिए अंतरिक्ष से जमीन पर 3 फीट की ऊंचाई तक की उम्दा तस्वीरें ली जा सकती हैं. इस सीरीज के उपग्रहों को सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए 26/11 मुंबई हमलों के बाद विकसित किया गया था. इससे पहले रीसैट-2बी सैटेलाइट 22 मई 2019 को छोड़ा गया था.
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कार्टोसैट सीरीज के 8 सैटेलाइट अब तक हुए हैं लॉन्च
कार्टोसैट सीरीज का पहला सैटेलाइट कार्टोसैट-1 पांच मई 2005 को पहली बार लॉन्च किया गया था. 10 जनवरी 2007 को कार्टोसैट-2, 28 अप्रैल 2008 को कार्टोसैट-2ए, 12 जुलाई 2010 को कार्टोसैट-2बी, 22 जून 2016 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट, 15 फरवरी 2017 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट, 23 जून 2017 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट और 12 जनवरी 2018 को कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट लॉन्च किए गए.
PAK की आतंकी गतिविधियों पर रहेगी सीधी नजर
कार्टोसैट-3 का उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी के लिए होगा. साथ ही प्राकृतिक आपदाओं में भी मदद करेगा. पाकिस्तान और उसके आतंकी कैंपों पर नजर रखने के लिए यह मिशन देश की सबसे ताकतवर आंख होगी. यह सीमाओं पर नजर रखेगी. दुश्मन या आतंकियों ने हिमाकत की तो इस आंख की मदद से हमारी सेना उन्हें उनके घर में घुस कर मारेगी.
ऋचीक मिश्रा