मैं नेपोटिज्म के खिलाफ नहीं हूं: रकुलप्रीत सिंह

अजय देवगन के साथ दे दे प्यार दे, रिलेशनशिप, सिनेमा में बदलाव, नेपोटिज्म वगैरह पर क्या कहती हैं अभिनेत्री रकुलप्रीत सिंह. नवीन कुमार के साथ खास बातचीत.

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फोटोः नवीन कुमार फोटोः नवीन कुमार

मंजीत ठाकुर

  • मुंबई,
  • 22 मई 2019,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST

अजय देवगन के साथ दे दे प्यार दे, रिलेशनशिप, सिनेमा में बदलाव, नेपोटिज्म वगैरह पर क्या कहती हैं अभिनेत्री रकुलप्रीत सिंह. नवीन कुमार के साथ खास बातचीत.

दे दे प्यार दे फिल्म करने के लिए आप बेताब थीं?

हां, मुझे दो-दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता कलाकार अजय देवगन और तब्बू के साथ काम करने का मौका जो मिल रहा था. साथ ही इसकी स्क्रिप्ट भी दमदार है. 

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इससे पहले अय्यारी में भी तो आपको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता मनोज वाजपेयी के साथ काम करने का मौका मिला था?

अय्यारी की कहानी मनोज वाजपेयी और सिद्धार्थ मल्होत्रा पर आधारित थी. मनोज के साथ मेरा सीन बहुत कम था. लेकिन दे दे प्यार दे में तीन कैरेक्टर के बीच लव स्टोरी चल रही है. यह स्टोरी दर्शकों को चौंकाएगी. 

फिल्म में आपसे दुगुनी उम्र का एक तलाकशुदा मर्द प्यार करता है. इस तरह के रिलेशनशिप के बारे में आपकी राय क्या है?

मुझे तो ऐसे किसी व्यक्ति से प्यार का अनुभव नहीं है. लेकिन जब दो लोग ऐसे किसी रिलेशनशिप में हैं तो यह भी सच है कि झूठ पर रिलेशन नहीं टिकता है. 

तमिल, तेलुगू के बाद अब हिंदी फिल्मों में भी छाने की कोशिश कर रही हैं आप?

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सिनेमा में अब भाषा की कोई दीवार नहीं है. रिजनल सिनेमा भी ग्रेट सिनेमा है. आलिया भट्ट राजामौली की फिल्म कर रही हैं तो श्रद्धा कपूर भी प्रभास के साथ काम कर रही हैं. अच्छी फिल्में किसी भी भाषा में होती हैं. 

आज के सिनेमा में किस तरह का बदलाव देखती हैं?

स्क्रिप्ट पर प्रयोग हो रहे हैं. कंटेंट वाली फिल्में चल रही हैं. हीरोइन को ज्यादा काम मिल रहा है. साउथ में भी यह बदलाव दिख रहा है. बाहुबली में सेंट्रल कैरेक्टर फिमेल है. 

शूटिंग के दौरान कैमरे का सामना करने के बाद जब घर वापस आती हैं तो आइने के सामने खुद को कितना बदला हुआ महसूस करती हैं?

रकूल में कोई बदलाव नहीं रहता है. मेरे दोस्त कहते हैं कि मुझे थोड़ा बदलना चाहिए. लेकिन यह मुझसे नहीं होता है.

आप दिल्ली की हैं. नेपोटिज्म को लेकर आप क्या सोचती हैं?

यह सच है कि फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई नहीं है. लेकिन मैं नेपोटिज्म के खिलाफ नहीं हूं. मेरा मानना है कि यहां प्रतियोगिता जरूरी है. तभी आप अपना बेस्ट दे पाएंगे. 

आप गोल्फ खिलाड़ी थीं. हीरोइन बनने का ख्याल कैसे आया?

मैंने राष्ट्रीय स्तर पर गोल्फ खेला है और मैं आज भी खेलती हूं. ऐसा नहीं है कि मैं खिलाड़ी बनते बनते रह गई. मुझे प्रोफेशनल खिलाड़ी बनना ही नहीं था. मैं मॉडलिंग में आना चाहती थी. प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता को देखकर मुझे फिल्मों में आने का रास्ता दिखा. 

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आपका पसंदीदा हीरो?

मेरे पसंदीदा हीरो रणवीर सिंह हैं. उनमें गजब की ऊर्जा है. मैं उनके साथ फिल्में करना चाहती हूं. 

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